ETV Bharat / international

जानें कैसे चीन की विस्तारवादी नीति का शिकार हो रहा है नेपाल

चीन पुराने समय से विस्तारवादी नीति अनुसरण करता आ रहा है. इसका हाल ही में उदाहरण देखने का मिला है. चीन ने अब नेपाल को सहायता देने के बहाने अपने गिरफ्त में ले लिया है. इसका खुलासा नेपाल के कृषि मंत्रालय के सर्वेक्षण विभाग की एक रिपोर्ट के माध्यम से हुआ है. रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन सीमावर्ती इलाकों पर धीरे-धीरे कब्जा कर रहा है. विस्तार से पढ़ें पूरी खबर...

china getting safe passage to occupy nepal territory with oli support
चीन की विस्तारवादी नीति का शिकार हो रहा है नेपाल
author img

By

Published : Aug 23, 2020, 7:33 PM IST

काठमांडू : चीन की विस्तारवादी नीति नेपाल में लगातार बढ़ती जा रही है. चीन नेपाली भूमि पर अतिक्रमण कर रहा है. इसकी प्रमुख वजह नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली का समर्थन है. क्योंकि ओली सरकार सीमा संबंधी मुद्दे उठाकर चीन को नाराज नहीं करना चाहती है.

नेपाल के कृषि मंत्रालय के सर्वेक्षण विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार, सीमा से सटे सात जिलों के कई स्थानों पर नेपाल की भूमि पर चीन अतिक्रमण कर रहा है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चीन तेजी से आगे बढ़ रहा है और अधिक से अधिक भूमफिया का अतिक्रमण कर नेपाली सीमाओं में आगे बढ़ा रहा है.

यह भी माना जा रहा है कि स्थिति और भी बदतर हो सकती है, क्योंकि नेपाली सरकार चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के विस्तारवादी एजेंडे पर चुप्पी साधे बैठी हुई है. इसके अलावा यह भी माना जा रहा है कि चीन ने नेपाल के कई क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया है. इतना ही नहीं चीन नेपाल के अंदर धीरे- धीरे अतिक्रमण फैला रहा है.

नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को बचाने की कोशिश कर रही है. रिपोर्ट के अनुसार, चीन के विस्तारवादी नीति का शिकार नेपाल के दोलखा, गोरखा, दार्चुला, हुमला, सिधुपालचौक, संखुआसभा और रसूवा जिले हैं.

नेपाल के सर्वेक्षण और मानचित्रण विभाग के अनुसार, चीन ने दोलखा स्थिति अंतरराष्ट्रीय सीमा का 1,500 मीटर हड़प चुका है. चीन ने दोलखा में कोरलंग क्षेत्र में पिलर संख्या 57 को आगे बढ़ा दिया है. इस इलाके को लेकर दोनों देशों के बीच पहले से तनाव चल रहा है. चीन की सरकार नेपाल पर इस विवाद को अपने हित में सुलझाने के लिए दवाब बना रही है.

सर्वेक्षण और मानचित्रण विभाग ने यह भी बताया है कि चीन गोरखा और दारचुला जिलों के कई गांवों को हड़प चुका है. दोलखा के सामान चीन ने गोरखा जिले में सीमा पिलर संख्या 35, 37 38 को एक जगह से हटाकर दूसरे जगह कर दिया है.

इसके अवाला चीन ने नांपा भांज्यांग पिलर संख्या 62 की जमीन पर भी कब्जा कर लिया है. इसके पहले पिलर नेपाल के गोरखा जिले के रुई गांव और टोम नदी के पास थे.

नेपाल के आधिकारिक मैप में गांव को नेपाल के हिस्से में बताया जाता है. इस क्षेत्र में रहने वाले लोग भी नेपाल सरकार को कर देते हैं, लेकिन चीन ने 2017 में इसे तिब्बत ऑटोनॉमस रीजन में विलय कर लिया था.

इसी तरह, मानवाधिकार आयोग ने बताया है कि दारचुला के जीयूजीयू गांव के एक हिस्से पर भी चीन ने कब्जा कर लिया है. इसके चलते पहले नेपाल का हिस्सा होने वाले गांव अब चीन का हिस्सा हो चुके हैं.

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि नेपाल के चार जिलों में कम से कम 11 जगहों पर चीन नेपाल की जमीन हड़प लिया है. चीन ने जिन क्षेत्रों पर कब्जा किया है वे ज्यादातर इलाके नदियों के पास हैं.

2005 से ही नेपाल ने चीन के साथ सीमा वार्ता को आगे बढ़ाने से परहेज करता है. इसका प्रमुख कारण यह है कि नेपाल चीन की सरकार को नाराज नहीं करना चाहता है. इतना ही नहीं 2012 में नेपाल ने चीन के साथ सीमा संबंधी वार्ता को रद्द कर दिया था.

यह भी पढ़ें- बढ़ते तनाव के बीच दक्षिण चीन सागर में पीएलए का छह दिवसीय सैन्य अभ्यास

हाल के दिनों में, नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की कठपुतली भी बन गई है, जो नेपाल में निर्णय लेने की प्रक्रिया पर हावी रही है.

पूरी दुनिया ने उन घटनाक्रमों को देखा है, जिसमें नेपाल में चीनी राजदूत एक मध्यस्थ के रूप में काम कर रही है. इतना ही नहीं चीनी राजदूत ओली और प्रचंड के बीच उत्पन्न हुए विवाद को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है.

चीनी राजदूत ने ओली सरकार को बचाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. चीन से नेपाल की मित्रता और सहायता चीन के विस्तारवादी नीति का एक हिस्सा है.

काठमांडू : चीन की विस्तारवादी नीति नेपाल में लगातार बढ़ती जा रही है. चीन नेपाली भूमि पर अतिक्रमण कर रहा है. इसकी प्रमुख वजह नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली का समर्थन है. क्योंकि ओली सरकार सीमा संबंधी मुद्दे उठाकर चीन को नाराज नहीं करना चाहती है.

नेपाल के कृषि मंत्रालय के सर्वेक्षण विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार, सीमा से सटे सात जिलों के कई स्थानों पर नेपाल की भूमि पर चीन अतिक्रमण कर रहा है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चीन तेजी से आगे बढ़ रहा है और अधिक से अधिक भूमफिया का अतिक्रमण कर नेपाली सीमाओं में आगे बढ़ा रहा है.

यह भी माना जा रहा है कि स्थिति और भी बदतर हो सकती है, क्योंकि नेपाली सरकार चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के विस्तारवादी एजेंडे पर चुप्पी साधे बैठी हुई है. इसके अलावा यह भी माना जा रहा है कि चीन ने नेपाल के कई क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया है. इतना ही नहीं चीन नेपाल के अंदर धीरे- धीरे अतिक्रमण फैला रहा है.

नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को बचाने की कोशिश कर रही है. रिपोर्ट के अनुसार, चीन के विस्तारवादी नीति का शिकार नेपाल के दोलखा, गोरखा, दार्चुला, हुमला, सिधुपालचौक, संखुआसभा और रसूवा जिले हैं.

नेपाल के सर्वेक्षण और मानचित्रण विभाग के अनुसार, चीन ने दोलखा स्थिति अंतरराष्ट्रीय सीमा का 1,500 मीटर हड़प चुका है. चीन ने दोलखा में कोरलंग क्षेत्र में पिलर संख्या 57 को आगे बढ़ा दिया है. इस इलाके को लेकर दोनों देशों के बीच पहले से तनाव चल रहा है. चीन की सरकार नेपाल पर इस विवाद को अपने हित में सुलझाने के लिए दवाब बना रही है.

सर्वेक्षण और मानचित्रण विभाग ने यह भी बताया है कि चीन गोरखा और दारचुला जिलों के कई गांवों को हड़प चुका है. दोलखा के सामान चीन ने गोरखा जिले में सीमा पिलर संख्या 35, 37 38 को एक जगह से हटाकर दूसरे जगह कर दिया है.

इसके अवाला चीन ने नांपा भांज्यांग पिलर संख्या 62 की जमीन पर भी कब्जा कर लिया है. इसके पहले पिलर नेपाल के गोरखा जिले के रुई गांव और टोम नदी के पास थे.

नेपाल के आधिकारिक मैप में गांव को नेपाल के हिस्से में बताया जाता है. इस क्षेत्र में रहने वाले लोग भी नेपाल सरकार को कर देते हैं, लेकिन चीन ने 2017 में इसे तिब्बत ऑटोनॉमस रीजन में विलय कर लिया था.

इसी तरह, मानवाधिकार आयोग ने बताया है कि दारचुला के जीयूजीयू गांव के एक हिस्से पर भी चीन ने कब्जा कर लिया है. इसके चलते पहले नेपाल का हिस्सा होने वाले गांव अब चीन का हिस्सा हो चुके हैं.

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि नेपाल के चार जिलों में कम से कम 11 जगहों पर चीन नेपाल की जमीन हड़प लिया है. चीन ने जिन क्षेत्रों पर कब्जा किया है वे ज्यादातर इलाके नदियों के पास हैं.

2005 से ही नेपाल ने चीन के साथ सीमा वार्ता को आगे बढ़ाने से परहेज करता है. इसका प्रमुख कारण यह है कि नेपाल चीन की सरकार को नाराज नहीं करना चाहता है. इतना ही नहीं 2012 में नेपाल ने चीन के साथ सीमा संबंधी वार्ता को रद्द कर दिया था.

यह भी पढ़ें- बढ़ते तनाव के बीच दक्षिण चीन सागर में पीएलए का छह दिवसीय सैन्य अभ्यास

हाल के दिनों में, नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की कठपुतली भी बन गई है, जो नेपाल में निर्णय लेने की प्रक्रिया पर हावी रही है.

पूरी दुनिया ने उन घटनाक्रमों को देखा है, जिसमें नेपाल में चीनी राजदूत एक मध्यस्थ के रूप में काम कर रही है. इतना ही नहीं चीनी राजदूत ओली और प्रचंड के बीच उत्पन्न हुए विवाद को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है.

चीनी राजदूत ने ओली सरकार को बचाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. चीन से नेपाल की मित्रता और सहायता चीन के विस्तारवादी नीति का एक हिस्सा है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.