नई दिल्ली : एक ओर जहां, चीन अभी हताश नही हुआ है और निरंतर प्रयास जारी रखे हुए है और नेपाल में खोई हुई जमीन को बचाने का प्रयास कर रहा है. वहीं दूसरी ओर भारत इस चिंता के साथ नेपाल में हो रही प्रगति का बारीकी से अवलोकन कर रहा है कि नेपाल और चीन के बीच निकटता बढ़ रही है. नेपाल में राजनीतिक संकट के बीच जो चिंता का विषय लग रहा है वह यह है नेपाल में चीन का प्रभाव बढ़ रहा है जिससे नई दिल्ली को हाशिए पर चले जाने का खतरा है .विश्लेषकों का कहना है कि चीन के पास एनसीपी की एकता को लेकर बहुत कुछ दांव पर लगा है. इसे वह हिमालयी राष्ट्र में अपने भू-राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए सबसे उपयुक्त वाहन के रूप में देखता है और इससे भारत को कुछ लाभ नहीं होने वाला है.
ईटीवी भारत से बात करते हुए किंग्स इंडिया इंस्टीट्यूट के अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के प्रोफेसर हर्ष वी पंत ने कहा कि दो कम्युनिस्ट पार्टियों ने चीन के आदेश पर विलय करके एक पार्टी बनाई थी ताकि सरकार बनाई जा सके. चीन के लिए जरूरी है कि हर हाल में एनसीपी के विभिन्न गुटों के बीच एकता हो लेकिन ऐसा होने जा रहा है इसकी ज्यादा संभावना नहीं है क्योंकि ओली और प्रचंड के बीच निजी हित अलग-अलग दिशाओं में हैं. मुझे नहीं लगता कि उनकी शिकायतों का एक साथ निपटारा किया जा सकता है. चीनी यह सुनिश्चित करने की बहुत कोशिश कर रहे हैं कि दो विपरीत कैंप एक निष्कर्ष पर पहुंचें लेकिन यह बहुत संभावना नहीं है क्योंकि पार्टी बहुत विभाजित है. कम्युनिस्ट ब्लॉक में गुटबाजी बहुत अधिक है. चीन मौजूदा व्यवस्था को जारी रखना चाहेगा, यानी कम्युनिस्टों को एक साथ आना चाहिए और उसी सरकार का गठन करना चाहिए जिसका पीएम ओली के नेतृत्व में गठन किया गया था. चीन के लिए एनसीपी का टूटना एक बड़ी कूटनीतिक नाकामी है. इसे देखते हुए चीन नेपाल में अपनी गतिविधियां जारी रखने के लिए कम्युनिस्ट ब्लॉक को महत्वपूर्ण मानता है. चीन का नेपाल में रुचि का नेपाल के विकास से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन नेपाल में भारत को रोकने के लिए उसे सब कुछ करना है.
चीन का भारत विरोधी अंदाज नेपाल में चीनी व्यवहार का एक बड़ा संचालक है और यदि वर्तमान व्यवस्था नाकाम हो जाती है तो बीजिंग को लगेगा कि उसके हितों का नुकसान होगा. यह काफी असाधारण बात है कि वे खुद को उस हद तक लिप्त हो गए हैं कि वे ऐसा 'स्पष्ट रूप से' कर रहे हैं.चीनी खुद को जितना अधिक शामिल कर रहे हैं उन्हे उतना ही अधिक धक्का लगेगा कि वे नेपाल के घरेलू मामलों में हस्तक्षेप कर रहे हैं. भारत में पहले एक दलील दी जाती थी कि भारत नेपाल के राजनीतिक मामलों में बहुत अधिक हस्तक्षेप करता है, लेकिन भारत उसके आंतरिक उथल-पुथल से दूर रहने की कोशिश कर रहा है जबकि चीन इसमें ज्यादा शामिल हो रहा है. काफी समय बाद इससे चीन को नेपाल में नुकसान होगा, क्योंकि कहा यह जाएगा कि चीन नेपाल के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करता रहता है. यह एक बड़ा मुद्दा बन गया है कि नेपाल के लोगों की इच्छा के अलावा यह चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की इच्छा पर है कि नेपाल का प्रधानमंत्री कौन बनता है. यह स्थिति निश्चित रूप से समस्या उत्पन्न करने वाली है लेकिन चीन के लिए स्थिति यह है कि यदि वे अपने एजेंडे के अनुसार हस्तक्षेप नहीं करते या अपने एजेंडे को आगे नहीं बढ़ाते तो वे हार जाएंगे. यदि वर्तमान व्यवस्था नाकाम रहती है तो ये बहुत संभव है कि जो लोग नेपाल की सत्ता का संचालन करेंगे वे चीन की तुलना में भारत को अधिक अपने अनुकूल देखेंगे.
नई दिल्ली में सेंटर फॉर चाइना एनालिसिस एंड स्ट्रेटजी की शोध सहयोगी नम्रता हसीजा ने कहा कि नेपाल का नेतृत्व कम्युनिस्ट संभाल रहे है जो चीन के बेहद करीबी हैं. चीन के गुओ येओहो नेपाल के राजनीतिक हलकों में एक जाना पहचाना चेहरा हैं और माना जाता है कि उन्होंने 2018 में पीएम ओली की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूनिफ़ाइड मार्क्सवादी-लेनिनवादी) और प्रचंड की कम्युनिस्ट पार्टी के विलय करके नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी माओवादी सेंटर के गठन में भूमिका निभाई है. चीन के लिए नेपाल में एक वामपंथी सरकार का होना अच्छा है, लेकिन वे ऐसे किसी नेता के लिए खुश होंगे जो चीनी के पक्ष में है. सीसीपी ने एनसीपी को अपने वैचारिक पहलुओं का प्रशिक्षण देने के लिए कक्षाएं भी शुरू की थीं. चीन ने नेपाली वामपंथी नेताओं को प्रभावित करने के लिए बहुत प्रयास किए थे लेकिन चीनी लोकतंत्र को नहीं समझते हैं. नेपाल के लोग है जो ये वोट दिए हैं. ओली के खिलाफ प्रदर्शन हुए हैं और हसीजा ने आगे कहा नेपाली चीनी हस्तक्षेप से खुश नहीं हैं. भारत और नेपाल एक अलग और बहुआयामी संबंध साझा करते हैं. नेपाल में ओली के कृत्य ने फिर से अनिश्चितता का दौर शुरू कर दिया है जो कि भारत के लिए अच्छा नहीं है क्योंकि एक स्थिर नेपाल एक अच्छा पड़ोसी होगा. लेकिन क्या कोई भी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी यह भी एक सवाल है. एक त्रिशंकु संसद नेपाल के लिए अच्छी नहीं होगी और हमने देखा है कि नेपाल में गठबंधन काम नहीं करता है.
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वह कहती हैं कि चीन भारत की वजह से नेपाल में दिलचस्पी रखता है लेकिन यह भी इस वजह से कि वह तिब्बत के साथ सीमा साझा करता है. चीन ने भारत के साथ तीन मोर्चों पर युद्ध के बारे में बात करनी शुरू कर दी है, जिसका अर्थ है भारत के खिलाफ एक तरफ से चीन-पाकिस्तान और नेपाल. एनसीपी पहले ही उस उद्देश्य को पूरा कर चुका है जिसके लिए उसे चीनियों ने तैयार किया था. वर्ष 2008 से नेपाल ने कुल 11 प्रधानंमंत्री देखे हैं और तब से वहां उथल-पुथल का दौर जारी है. सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के प्रतिद्वंद्वी गुट के अध्यक्ष माधव कुमार नेपाल ने मंगलवार को कहा कि यदि पीएम ओली अपनी गलतियों को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं तो पार्टी अब भी एकजुट हो सकती है, क्योंकि संसद को भंग करने के खिलाफ हजारों प्रदर्शनकारियों ने काठमांडू की सड़कों पर विरोध प्रदर्शन किया है.