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जिनपिंग म्यांमार दौरे पर, सू ची ने हमेशा चीन के साथ खड़े रहने का भरोसा दिया

चीन और म्यांमार ने अपने रिश्तों को नए मुकाम पर पहुंचाने की प्रतिबद्धता जताई है. इस कड़ी में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और म्यांमार की नेता आंग सान सू ची के बीच समझौते को लेकर शनिवार को बैठक हुई. इस बीच सू ची ने कहा है कि म्यांमार हमेशा चीन के साथ खड़ा रहेगा. चीनी नेता म्यांमार की दो दिवसीय राजकीय यात्रा पर हैं. जानें विस्तार से...

china and myanmar stand together despite rohingya backlash
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और म्यांमार की नेता आंग सान सू ची.
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Published : Jan 18, 2020, 4:52 PM IST

नेपीडा : चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और म्यांमार की नेता आंग सान सू ची के बीच देश में विशाल बुनियादी ढांचा निर्माण संबंधी समझौते को लेकर शनिवार को बैठक हुई. इस बीच सू ची ने कहा है कि म्यांमार हमेशा चीन के साथ खड़ा रहेगा. चीनी नेता जिनपिंग म्यांमार की दो दिवसीय राजकीय यात्रा पर हैं.

गौरतलब है कि 2017 में म्यांमार में मुख्य रूप से मुस्लिम अल्पसंख्यकों पर हुई सैन्य कार्रवाई के कारण करीब 7,40,000 रोहिंग्या मुसलमानों को सीमा पार कर बांग्लादेश जाने को मजबूर होना पड़ा था. उस कार्रवाई को संयुक्त राष्ट्र के जांचकर्ताओं ने नरसंहार करार दिया था. इस कार्रवाई को लेकर आलोचनाओं के बावजूद म्यांमार के साथ चीन मजबूती से खड़ा रहा.

सरकारी समाचार पत्र ‘ग्लोबल न्यू लाइट ऑफ म्यांमार’ के अनुसार शुक्रवार को यहां पहुंचने के बाद शी ने इस यात्रा को दोनों पड़ोसी देशों के बीच संबंधों के लिए एक 'ऐतिहासिक क्षण' कहा.

इसे भी पढ़ें- नहीं बाज आ रहा चीन, कश्मीर पर फिर से छेड़ा 'यूएन' राग

सू ची ने 'अंतरराष्ट्रीय संबंधों में ईमानदारी न होने और असमानता' का भी जिक्र किया, जिसे कुछ हद तक अमेरिका के संदर्भ में माना जा सकता है. अमेरिका ने म्यांमार के सेना प्रमुख मिन आंग हलांग पर प्रतिबंध लगाया है.

म्यांमार की नेता सू ची ने कहा कि उनका देश हमेशा चीन की तरफ रहेगा. रोहिंग्या पर कार्रवाई को लेकर सेना का बचाव करने के लिए पश्चिमी देशों ने सू ची की आलोचना की थी.

उन्होंने शुक्रवार देर रात एक समारोह के दौरान कहा, 'पड़ोसी देश के पास दुनिया के अंत तक एक साथ रहने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है.'

बता दें कि एशियाई महाशक्ति चीन अब म्यांमार में सबसे बड़ा निवेशक है और देश की कई परियोजनाओं में आर्थिक मदद दे रहा है.

नेपीडा : चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और म्यांमार की नेता आंग सान सू ची के बीच देश में विशाल बुनियादी ढांचा निर्माण संबंधी समझौते को लेकर शनिवार को बैठक हुई. इस बीच सू ची ने कहा है कि म्यांमार हमेशा चीन के साथ खड़ा रहेगा. चीनी नेता जिनपिंग म्यांमार की दो दिवसीय राजकीय यात्रा पर हैं.

गौरतलब है कि 2017 में म्यांमार में मुख्य रूप से मुस्लिम अल्पसंख्यकों पर हुई सैन्य कार्रवाई के कारण करीब 7,40,000 रोहिंग्या मुसलमानों को सीमा पार कर बांग्लादेश जाने को मजबूर होना पड़ा था. उस कार्रवाई को संयुक्त राष्ट्र के जांचकर्ताओं ने नरसंहार करार दिया था. इस कार्रवाई को लेकर आलोचनाओं के बावजूद म्यांमार के साथ चीन मजबूती से खड़ा रहा.

सरकारी समाचार पत्र ‘ग्लोबल न्यू लाइट ऑफ म्यांमार’ के अनुसार शुक्रवार को यहां पहुंचने के बाद शी ने इस यात्रा को दोनों पड़ोसी देशों के बीच संबंधों के लिए एक 'ऐतिहासिक क्षण' कहा.

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सू ची ने 'अंतरराष्ट्रीय संबंधों में ईमानदारी न होने और असमानता' का भी जिक्र किया, जिसे कुछ हद तक अमेरिका के संदर्भ में माना जा सकता है. अमेरिका ने म्यांमार के सेना प्रमुख मिन आंग हलांग पर प्रतिबंध लगाया है.

म्यांमार की नेता सू ची ने कहा कि उनका देश हमेशा चीन की तरफ रहेगा. रोहिंग्या पर कार्रवाई को लेकर सेना का बचाव करने के लिए पश्चिमी देशों ने सू ची की आलोचना की थी.

उन्होंने शुक्रवार देर रात एक समारोह के दौरान कहा, 'पड़ोसी देश के पास दुनिया के अंत तक एक साथ रहने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है.'

बता दें कि एशियाई महाशक्ति चीन अब म्यांमार में सबसे बड़ा निवेशक है और देश की कई परियोजनाओं में आर्थिक मदद दे रहा है.

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China and Myanmar 'stand together' despite Rohingya backlash
(Eds: Updating, changing slug)
         Naypyidaw (Myanmar), Jan 18 (AFP) China and Myanmar inked dozens of mammoth infrastructure and trade deals after a meeting Saturday between President Xi Jinping and fallen rights icon Aung San Suu Kyi, as Beijing doubles down on its support for a government under fire for its treatment of Rohingya Muslims.
         The Chinese leader's two-day state visit to Myanmar's purpose-built capital comes as Western investors cast a wide berth around the country due to the Rohingya crisis.
         A 2017 military crackdown on the Muslim minority, which UN investigators have called genocide, forced some 740,000 people over the border into Bangladesh.
         Beijing has stood strongly beside Myanmar and the Asian giant is now the country's largest investor even as distrust of its ambitions lingers among the public.
         More than 30 agreements were signed Saturday on Xi's final day of his visit -- with Suu Kyi and Xi seated across from each other on long tables alongside related ministers.
         Details on the amount of the package were scant but among the 33 deals was a concession and shareholders agreement on the $1.3 billion-dollar Kyaukhphyu deep-sea port and economic zone.
         There was also a letter of intent for "new urban development" in Myanmar's biggest city Yangon and feasibility studies for rail links.
         The aim is to carve out a so-called "China-Myanmar Economic Corridor" -- a path of infrastructure from China's landlocked south to Myanmar's western Rakhine state which would serve as Beijing's long-awaited gateway to the Indian Ocean.
         The elaborate signing ceremony came between sit-down meetings with Suu Kyi and powerful army chief Min Aung Hlaing, who stands accused of masterminding the Rohingya crackdown.
         After arriving Friday Xi called the visit a "historical moment" for relations between the two neighbours, according to state-run newspaper the Global New Light of Myanmar.
         He also touched on the "unfairness and inequality in international relations" in what could be seen as a slight against the United States, which has sanctioned the army chief.
         Myanmar leader Suu Kyi -- whose reputation lays in tatters in the West's eyes due to her defence of the army over the Rohingya crisis -- said the country will always be at China's side.
         "It goes without saying that a neighbouring country has no other choice, but to stand together till the end of the world," she said during a celebration late Friday.
         China remains an indispensable ally for its Southeast Asian neighbour, wielding a protective veto vote at the UN Security Council.
         The stakes are heightening as the UN's top court prepares to rule next week on whether "emergency measures" should be taken against Myanmar as part of a genocide complaint in The Hague.
         But widespread suspicion of Beijing's influence in the country persists among those who are sceptical the economic benefits will trickle down to the masses and of ties to rebel groups fighting the state in border areas.
         "This is a big problem for our country... they believe that China has been taking advantage," said Thu Wai, leader of the Democratic Party, one of the 17 political parties at Friday's celebration.
         That anger will be on full display in a planned protest Saturday afternoon in Yangon, where demonstrators are to rally against any reinstatement of a controversial Chinese-backed mega-dam.
         The $3.6 billion 6,000 megawatt Myitsone project was suspended in 2011 in the face of vociferous criticism across the country.
         This is believed to have been a personal affront to Xi, who signed the deal with Myanmar's then-military junta as vice president in 2009. (AFP)
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