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नेपाल में गांजे के उपयोग को कानूनी मान्यता देने की मांग, माना जाता है संस्कृति का हिस्सा

नेपाल में गांजे के उपयोग को कानूनी मान्यता देने के लिए मांग उठ रही है. दरअसल, गांजा नेपाल की संस्कृति से जुड़ा हुआ माना जाता है लेकिन करीब 50 साल पहले नेपाल ने दुनिया के अन्य देशों का अनुकरण करते हुए 1970 के दशक के अंत में इसके उपयोग को गैर-कानूनी बना दिया था. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Oct 12, 2021, 9:26 PM IST

गांजा
गांजा

काठमांडू : एक वक्त था जब नेपाल की संस्कृति और धर्म में पूरी तरह से घुले-मिले गांजे के उपयोग और उसकी स्वीकार्यता के कारण हिमालयी देश नेपाल दुनिया भर से आने वाले हिप्पियों के लिए जन्नत हुआ करता था. यूरोप व अमेरिका से हजारों की संख्या में बसों में भर-भर कर यहां हिप्पी आया करते थे.

50 साल बाद गांजे को कानूनी मान्यता देने की मांग

लेकिन नेपाल ने दुनिया के अन्य देशों का अनुकरण करते हुए 1970 के दशक के अंत में गांजे के उपयोग को गैर-कानूनी बना दिया और हिप्पियों का यहां आना बंद हो गया.

अब करीब 50 साल बाद फिर से गांजे की खेती, उपयोग और निर्यात को कानूनी मान्यता देने की मांग की जा रही है क्योंकि दुनिया के अन्य कई देशों ने भी गांजे के मेडिकल और रिक्रिएशनल (मनोरंजन के लिए) उपयोग की अनुमति दे दी है.

पक्षधरों ने संसद में पेश किया विधेयक

गांजे को कानूनी मान्यता देने के पक्षधरों ने इस संबंध में संसद में एक विधेयक पेश किया है जो गांजे के उपयोग को कानूनी मान्यता देगा. हालांकि देश में राजनीतिक दलों के बीच जारी मतभेद के कारण इस विधेयक पर चर्चा में देरी हो रही है.

अभियान के प्रमुख राजीव काफ्ले ने कहा, 'हम नेपाल में गांजे को कानूनी मान्यता देने की मांग कर रहे हैं, सबसे पहले ऐसे मरीजों के चिकित्सकीय उपयोग के लिए जो मृत्यु की कगार पर हैं.'

एड्स के कारक विषाणु एचआईवी से संक्रमित काफ्ले का कहना है कि गांजे ने उन्हें इस दर्द से निपटने में मदद की और उन्हें शराब तथा अन्य मादक पदार्थों के नशे से दूर रखा.

70 के दशक में हिप्पियों को किया था आकर्षित

नेपाल में गांजे के उपयोग को सामान्य स्वीकार्यता है. 1960 और 70 के दशक में इसने पश्चिमी देशों से हिप्पियों को खूब आकर्षित किया. लेकिन, पश्चिमी देशों की सरकारों से पड़ने वाले दबाव ने नेपाल को गांजे और अन्य मादक पदार्थों को गैर-कानूनी घोषित करने पर मजबूर किया.

गांवों में गांजे के पौधे सामान्य तौर पर खर पतवार की तरह उगते हैं लेकिन खेतों में बिक्री के लिए लगाए गए पौधों को कई बार पुलिस नष्ट कर देती है. ऐसे भी शहर में जहां हजारों लोग गांजे का उपयोग करते हैं, वहां इसे खरीदना कुछ मुश्किल काम नहीं है.

बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी पीते है गांजा

पोलैंड के पर्यटक लुकास वालेनजियाक ने कहा, नेपाल में आप बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी को गांजा पीते हुए देख सकते हैं.

काफ्ले और उनके रीट्रीट के एक सहकर्मी को पुलिस ने पिछले महीने हिरासत में लिया था. हालांकि उन्हें जमानत पर छोड़ दिया गया लेकिन दोनों के खिलाफ गांजा बांटने संबंधी मामला दर्ज किया गया है.

नेपाल के मौजूदा कानून के तहत व्यक्तिगत उपयोग के लिए गांजा रखने वाले व्यक्ति को एक महीने कारावास की सजा हो सकती है लेकिन इसकी आपूर्ति और बिक्री करने वाले व्यक्ति को उसके पास से मिले गांजे की मात्रा के अनुरुप अधिकतम 10 साल कारावास तक की सजा हो सकती है.

पढ़ें : एक करोड़ 68 लाख का गांजा बरामद,फिशिंग बोट का हुआ इस्तेमाल

गांजे के पक्ष में अभियान चला रहे कार्यकर्ताओं ने कुछ नेताओं को भी अपने समर्थन में मनाया है.

सत्तारूढ़ गठबंधन के मजबूत सदस्यों में से एक स्वास्थ्य मंत्री बिरोद खाटीवाड़ा प्रस्तावित विधेयक के पक्ष में लॉबिंग कर रहे हैं और इस मुद्दे पर संसद में चर्चा के लिए भी आवेदन दिया है. उन्होंने बताया कि गांजे से जुड़े आरोपों के लेकर फिलहाल करीब 9,000 लोग देश की जेलों में बंद हैं.

(पीटीआई-भाषा)

काठमांडू : एक वक्त था जब नेपाल की संस्कृति और धर्म में पूरी तरह से घुले-मिले गांजे के उपयोग और उसकी स्वीकार्यता के कारण हिमालयी देश नेपाल दुनिया भर से आने वाले हिप्पियों के लिए जन्नत हुआ करता था. यूरोप व अमेरिका से हजारों की संख्या में बसों में भर-भर कर यहां हिप्पी आया करते थे.

50 साल बाद गांजे को कानूनी मान्यता देने की मांग

लेकिन नेपाल ने दुनिया के अन्य देशों का अनुकरण करते हुए 1970 के दशक के अंत में गांजे के उपयोग को गैर-कानूनी बना दिया और हिप्पियों का यहां आना बंद हो गया.

अब करीब 50 साल बाद फिर से गांजे की खेती, उपयोग और निर्यात को कानूनी मान्यता देने की मांग की जा रही है क्योंकि दुनिया के अन्य कई देशों ने भी गांजे के मेडिकल और रिक्रिएशनल (मनोरंजन के लिए) उपयोग की अनुमति दे दी है.

पक्षधरों ने संसद में पेश किया विधेयक

गांजे को कानूनी मान्यता देने के पक्षधरों ने इस संबंध में संसद में एक विधेयक पेश किया है जो गांजे के उपयोग को कानूनी मान्यता देगा. हालांकि देश में राजनीतिक दलों के बीच जारी मतभेद के कारण इस विधेयक पर चर्चा में देरी हो रही है.

अभियान के प्रमुख राजीव काफ्ले ने कहा, 'हम नेपाल में गांजे को कानूनी मान्यता देने की मांग कर रहे हैं, सबसे पहले ऐसे मरीजों के चिकित्सकीय उपयोग के लिए जो मृत्यु की कगार पर हैं.'

एड्स के कारक विषाणु एचआईवी से संक्रमित काफ्ले का कहना है कि गांजे ने उन्हें इस दर्द से निपटने में मदद की और उन्हें शराब तथा अन्य मादक पदार्थों के नशे से दूर रखा.

70 के दशक में हिप्पियों को किया था आकर्षित

नेपाल में गांजे के उपयोग को सामान्य स्वीकार्यता है. 1960 और 70 के दशक में इसने पश्चिमी देशों से हिप्पियों को खूब आकर्षित किया. लेकिन, पश्चिमी देशों की सरकारों से पड़ने वाले दबाव ने नेपाल को गांजे और अन्य मादक पदार्थों को गैर-कानूनी घोषित करने पर मजबूर किया.

गांवों में गांजे के पौधे सामान्य तौर पर खर पतवार की तरह उगते हैं लेकिन खेतों में बिक्री के लिए लगाए गए पौधों को कई बार पुलिस नष्ट कर देती है. ऐसे भी शहर में जहां हजारों लोग गांजे का उपयोग करते हैं, वहां इसे खरीदना कुछ मुश्किल काम नहीं है.

बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी पीते है गांजा

पोलैंड के पर्यटक लुकास वालेनजियाक ने कहा, नेपाल में आप बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी को गांजा पीते हुए देख सकते हैं.

काफ्ले और उनके रीट्रीट के एक सहकर्मी को पुलिस ने पिछले महीने हिरासत में लिया था. हालांकि उन्हें जमानत पर छोड़ दिया गया लेकिन दोनों के खिलाफ गांजा बांटने संबंधी मामला दर्ज किया गया है.

नेपाल के मौजूदा कानून के तहत व्यक्तिगत उपयोग के लिए गांजा रखने वाले व्यक्ति को एक महीने कारावास की सजा हो सकती है लेकिन इसकी आपूर्ति और बिक्री करने वाले व्यक्ति को उसके पास से मिले गांजे की मात्रा के अनुरुप अधिकतम 10 साल कारावास तक की सजा हो सकती है.

पढ़ें : एक करोड़ 68 लाख का गांजा बरामद,फिशिंग बोट का हुआ इस्तेमाल

गांजे के पक्ष में अभियान चला रहे कार्यकर्ताओं ने कुछ नेताओं को भी अपने समर्थन में मनाया है.

सत्तारूढ़ गठबंधन के मजबूत सदस्यों में से एक स्वास्थ्य मंत्री बिरोद खाटीवाड़ा प्रस्तावित विधेयक के पक्ष में लॉबिंग कर रहे हैं और इस मुद्दे पर संसद में चर्चा के लिए भी आवेदन दिया है. उन्होंने बताया कि गांजे से जुड़े आरोपों के लेकर फिलहाल करीब 9,000 लोग देश की जेलों में बंद हैं.

(पीटीआई-भाषा)

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