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बांग्लादेश कोर्ट का फैसला, हिंदू विधवाएं पति की संपत्ति की हकदार - bangladeshi hindu widows

बांग्लादेश हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि विधवा हिंदू महिलाएं अपने दिवंगत पति की कृषि भूमि और गैर-कृषि भूमि की हकदार हैं. मौजूदा कानून के अनुसार हिंदू विधवाओं का कृषि भूमि जैसी अन्य संपत्तियों पर अधिकार नहीं है. वह सिर्फ घर की जमीन की हकदार हैं.

bangladesh court
बांग्लादेश हाईकोर्ट
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Published : Sep 4, 2020, 8:26 AM IST

ढाका : बांग्लादेश की एक अदालत ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि विधवा हिंदू महिलाएं अपने दिवंगत पति की कृषि भूमि और गैर-कृषि भूमि की हकदार हैं. अदालत के इस फैसले के साथ ही उनका अपने पति की संपत्ति पर अधिकार का रास्ता साफ हो गया है.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट की हाईकोर्ट डिवीजन ने बुधवार को अपने आदेश में कहा कि कृषि भूमि और गैर-कृषि भूमि में कोई फर्क नहीं किया जा सकता, इसलिए हिंदू विधवाएं अपने पति की जमीनों की हकदार हैं.

मौजूदा कानून के अनुसार देश की हिंदू विधवाएं घर की जमीन की हकदार हैं और कृषि भूमि जैसी अन्य संपत्तियों पर उनका अधिकार नहीं है.

अदालत ने अपने फैसले में कहा है, 'हिंदू विधवाओं का अपने पति की कृषि और गैर-कृषि दोनों जमीनों पर अधिकार होगा. उन्हें अपने जीवनकाल में उस संपत्ति को बेचने का भी अधिकार होगा.'

यह भी पढ़ें- पाकिस्तान कोर्ट ने नवाज शरीफ के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया

हाईकोर्ट ने यह फैसला निचली अदालत के फैसले के खिलाफ दायर खुलना के निवासी ज्योतिंद्रनाथ मंडल की याचिका पर सुनाया. खुलना के संयुक्त जिला न्यायाधीश ने सात मार्च 2004 को ज्योतिंद्रनाथ द्वारा दायर मामले पर फैसला सुनाते हुए कहा था कि ज्योतिंद्रनाथ के बड़े भाई अभिमन्यु मंडल की विधवा गौरी दासी को अपने दिवंगत पति की कृषि भूमि पर अधिकार है. इस फैसले के खिलाफ ज्योतिंद्रनाथ ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

गौरी दासी के पति की 1996 में मौत हो चुकी है, उनके नाम पर कृषि भूमि दर्ज है.

ढाका : बांग्लादेश की एक अदालत ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि विधवा हिंदू महिलाएं अपने दिवंगत पति की कृषि भूमि और गैर-कृषि भूमि की हकदार हैं. अदालत के इस फैसले के साथ ही उनका अपने पति की संपत्ति पर अधिकार का रास्ता साफ हो गया है.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट की हाईकोर्ट डिवीजन ने बुधवार को अपने आदेश में कहा कि कृषि भूमि और गैर-कृषि भूमि में कोई फर्क नहीं किया जा सकता, इसलिए हिंदू विधवाएं अपने पति की जमीनों की हकदार हैं.

मौजूदा कानून के अनुसार देश की हिंदू विधवाएं घर की जमीन की हकदार हैं और कृषि भूमि जैसी अन्य संपत्तियों पर उनका अधिकार नहीं है.

अदालत ने अपने फैसले में कहा है, 'हिंदू विधवाओं का अपने पति की कृषि और गैर-कृषि दोनों जमीनों पर अधिकार होगा. उन्हें अपने जीवनकाल में उस संपत्ति को बेचने का भी अधिकार होगा.'

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हाईकोर्ट ने यह फैसला निचली अदालत के फैसले के खिलाफ दायर खुलना के निवासी ज्योतिंद्रनाथ मंडल की याचिका पर सुनाया. खुलना के संयुक्त जिला न्यायाधीश ने सात मार्च 2004 को ज्योतिंद्रनाथ द्वारा दायर मामले पर फैसला सुनाते हुए कहा था कि ज्योतिंद्रनाथ के बड़े भाई अभिमन्यु मंडल की विधवा गौरी दासी को अपने दिवंगत पति की कृषि भूमि पर अधिकार है. इस फैसले के खिलाफ ज्योतिंद्रनाथ ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

गौरी दासी के पति की 1996 में मौत हो चुकी है, उनके नाम पर कृषि भूमि दर्ज है.

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