ढाका : मानवाधिकार समूहों की आपत्ति के बावजूद बांग्लादेश में रोहिंग्या शरणार्थियों के तीसरे जत्थे को शुक्रवार को बंगाल की खाड़ी में एक द्वीप पर भेज दिया गया. सरकार का कहना है नई जगह पर शरणार्थी अच्छे से रह पाएंगे, वहीं 10 लाख से ज्यादा शरणार्थियों को म्यांमार भेजने की प्रक्रिया भी जारी रहेगी.
बांग्लादेश नौसेना के कमांडर एम मोजम्मिल हक ने बताया कि कॉक्स बाजार जिले में घनी आबादी वाले कैंपों से 1778 शरणार्थियों को चटगांव पहुंचाया गया. वहां से नौसेना के चार जहाजों से उन्हें भसान चार द्वीप ले जाया गया है. उन्होंने कहा कि शणार्थियों के चौथे जत्थे को द्वीप पर भेजने की प्रक्रिया शनिवार को शुरू होगी.
उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि दिसंबर से करीब 4,000 शरणार्थियों को द्वीप पर पहुंचा दिया गया है. द्वीप पर एक लाख लोग रह सकते हैं. अभी यह प्रक्रिया जारी रहेगी. मानवाधिकार संगठनों ने शरणार्थियों को द्वीप पर भेजे जाने की आलोचना की है,लेकिन सरकार ने कहा है कि शरणार्थी वहां स्वेच्छा से जा रहे हैं और उनपर किसी तरह का दबाव नहीं बनाया गया.
मुख्यभूमि से 34 किलोमीटर दूर
यह द्वीप मुख्यभूमि से करीब 34 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और यह करीब 20 साल पहले अस्तित्व में आया था. पहले यह बिल्कुल निर्जन क्षेत्र था. मानसून के दौरान द्वीप का काफी हिस्सा जलमग्न हो जाता है. मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि द्वीप पर लोगों को खतरे का सामना करना पड़ सकता है लेकिन सरकार ने कहा है कि उसने बचाव के लिए पर्याप्त व्यवस्था की है.
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संयुक्त राष्ट्र ने भी शरणार्थियों को द्वीप पर भेजे जाने को लेकर चिंता प्रकट की है. एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वाच ने भी सरकार से इस प्रक्रिया पर रोक लगाने का अनुरोध किया है.