ढाकाः पूर्वी बांग्लादेश की एक अदालत ने हत्या के मामले में 16 लोगों को फांसी की सजा सुनाई है. आरोपियों में इस्लामिक स्कूल के एक प्रिंसिपल पर भी शामिल हैं. वुमेन एंड चिल्ड्रेन रिप्रेशन प्रिवेंशन ट्रिब्यूनल (Women and Children Repression Prevention Tribunal) की जज मामुनुर राशिद ने ये फैसला सुनाया है.
बांग्लादेश में सभी आरोपियों को गुरुवार को सजा सुनाई गई. जानकारी के मुताबिक लड़की ने उस प्रिंसिपल के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत वापस लेने से इंकार कर दिया था, जिसे अदालत ने सजा सुनाई है. वुमेन एंड चिल्ड्रेन रिप्रेशन प्रिवेंशन एक्ट 2000 के सेक्शन 4(1)/30 के तहत फांसी की सजा सुनाई गई है.
लड़की द्वारा शिकायत वापस नहीं लेने पर आरोपियों ने उसे मदरसे की छत पर जिंदा आग के हवाले कर दिया था.
जज मामुनुर राशिद ने इस घटना में प्रिंसिपल सिराज उद दौला समेत अन्य लोगों को छात्रा की हत्या या हत्या का आदेश देने का दोषी करार दिया है. फैसला सुनाने के दौरान जज ने कहा कि सभी लोगों को उनकी मौत होने तक फांसी से लटकाया जाएगा.
इसके अलावा दोषियों पर एक-एक लाख टका (बांग्लादेश की मुद्रा) का जुर्माना भी लगाया गया है. जुर्माने का यह पैसा नुसरत के माता-पिता के पास जाएगा.
घटना अप्रैल माह और दक्षिण पूर्व फेनी में स्थित मदरसे की है. ये जगह राजधानी ढाका से 162 किलोमीटर दूर है.
ढाका ट्रिब्यून की खबर के मुताबिक छात्रा नुसरत के परिजनों ने एसएम सिराजुद्दौला के खिलाफ यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज कराया था. वे सोनागाजिया इस्लामिया फजिल मदरसा के तत्कालीन प्रिंसिपल थे.
जानकारी के मुताबिक इसके 10 दिनों के बाद छात्रा नुसरत को छह अप्रैल को जलाकर मारने की कोशिश की गई थी. इसके चार दिनों के बाद ढाका मेडिकल कॉलेज अस्पताल में उसकी मौत हो गई.
इस घटना के बाद पूरे बांग्लादेश में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुआ था. इस प्रदर्शन में छात्रा के लिए न्याय की मांग की गई, जिसके बाद प्रशासन ने दोषियों के खिलाफ तत्परता से कार्रवाई की.