ढाका : बांग्लादेश के सूचना मंत्री हसन महमूद ने रविवार को कहा कि पाकिस्तान को इस बात को लेकर संदेह था कि बांग्लादेश एक स्वतंत्र देश के तौर पर खुद को कायम रख पाएगा या नहीं, लेकिन आज जब पाकिस्तान से तुलना होती है, जिससे वह 1971 में अलग हुआ, तो बांग्लादेश मानवीय, सामाजिक और आर्थिक सूचकांकों में उससे काफी आगे है.
बांग्लादेश विदेश मंत्रालय के 'विजिट बांग्लादेश' (बांग्लादेश की यात्रा) कार्यक्रम के तहत 20 देशों से आए सदस्यों के समूह को संबोधित करते हुए महमूद ने कहा कि बांग्लादेश की जीडीपी वृद्धि दर पिछले वर्ष 8.15 प्रतिशत थी और इसके इस वर्ष 8.20 प्रतिशत रहने का अनुमान है.
महमूद ने कहा, 'प्रधानमंत्री शेख हसीना के नेतृत्व में बांग्लादेश हमारे पूर्वजों के सपने को तेजी से साकार कर रहा है.'
भारत, नेपाल, मालदीव, ब्रिटेन, पुर्तगाल और जर्मनी जैसे देशों से आए 30 सदस्यों के समूह को संबोधित करते हुए महमूद ने कहा, 'स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद कई देशों में इसको लेकर संदेह था कि बांग्लादेश एक स्वतंत्र देश के तौर पर स्वयं को बरकरार रख पाएगा या नहीं, इन देशों में विशेष तौर पर वह देश भी शामिल था, जिससे हम मुक्त हुए थे.'
उन्होंने कहा कि सामाजिक और मानवीय सूचकांकों में बांग्लादेश सभी पड़ोसी देशों से आगे है.
उन्होंने कहा, 'स्वतंत्रता के समय जीवन प्रत्याशा 39 वर्ष थी, जो आज 73 वर्ष है. भारत में यह 71 वर्ष है, जबकि पाकिस्तान में यह 69 वर्ष है. हम कई अन्य देशों से मानवीय सूचकांकों में काफी आगे हैं.'
उन्होंने कहा कि बांग्लादेश रेडीमेड कपड़ों के निर्यात के मामले में विश्व में दूसरा सबसे बड़ा देश है. उन्होंने साथ ही कहा कि पिछले दशक के दौरान विकास की गति काफी तेज रही है.
महमूद ने कहा कि शेख हसीना सरकार प्रेस की पूर्ण स्वतंत्रता और एक बहुलतावादी समाज में विश्वास करती है.
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उन्होंने कहा कि आलोचना का हमेशा ही स्वागत है और बांग्लादेश सरकार ने उसकी आलोचना करने वाले पत्रकारों को पुरस्कृत भी किया है क्योंकि ऐसा माहौल सुधारवादी उपाय करने और विकास में योगदान में मदद करता है.
उन्होंने कहा कि 'फेक न्यूज' का मुद्दा एक 'वैश्विक चुनौती' है और उनकी सरकार इससे निबटने के लिए पूरा प्रयास कर रही है.
महमूद ने प्रधानमंत्री हसीना की कल्पना के अनुसार 2021 तक बांग्लादेश को एक मध्यम आय वाला देश और 2041 तक एक विकसित देश बनाने के सरकार के प्रयासों पर प्रकाश डाला.
महमूद ने यह बात 16 दिसंबर को बांग्लादेश के 'विजय दिवस' मनाने से एक दिन पहले कही.