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बांग्लादेशी विदेश मंत्री बोले, रोहिंग्या मुद्दे का हल न होने से बढ़ेगा आतंकवाद - मंत्री स्तरीय बैठक

बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमेन ने चेतावनी दी है कि रोहिंग्या संकट का हल निकालने में विफलता का परिणाम आगे चलकर कट्टरपंथ और आतंकवाद के रूप में सामने आएगा.

Rohingya issue
बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमेन
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Published : Sep 14, 2020, 8:32 PM IST

ढाका : बांग्लादेश के विदेश मंत्री ए के मोमेन ने कहा है कि म्यांमा को प्रभावी तरीके से रोहिंग्या की वापसी प्रक्रिया के लिए इसमें भारत समेत मित्र देशों के असैन्य पर्यवेक्षकों को शामिल करना चाहिए. उन्होंने कहा कि मानवीय समस्या का समाधान करने में नाकामी से कट्टरवाद और आतंकवाद बढ़ेगा, जो कि क्षेत्र की शांति और स्थिरता के लिए खतरा होगा.

दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के संगठन आसियान की 27वीं बैठक को संबोधित करते हुए शनिवार को मोमेन ने कहा कि रोहिंग्या अपने वतन (म्यांमा) नहीं लौट रहे हैं, क्योंकि उन्हें सुरक्षा और अन्य मुद्दों को लेकर अपनी सरकार पर भरोसा नहीं है. इस बैठक का आयोजन वियतनाम की ओर से किया गया.

वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए मंत्री स्तरीय बैठक को संबोधित करते हुए मोमेन ने कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था, परिस्थितिकी पर जोखिम और समाज पर पड़ने वाले व्यापक असर के बावजूद बांग्लादेश ने म्यांमा से आए 11 लाख लोगों को मानवीय आधार पर शरण दी. म्यांमा हमारा मित्र देश है और इसलिए बांग्लादेश ने उनकी वापसी के लिए म्यांमा के साथ तीन समझौते पर दस्तखत किए हैं. म्यांमा सत्यापन के बाद उनकी वापसी के लिए सहमत हुआ है.

पढ़ें: चीन में अमेरिकी राजदूत ब्रान्स्टेड छोड़ सकते हैं पद, पोम्पिओ ने बताई वजह

उन्होंने कहा कि भरोसे में लेने और विश्वास बहाली के उपाय के तौर पर हम म्यांमा को सुझाव देते हैं कि वह चीन, रूस, भारत या अपनी पंसद के अन्य मित्र देशों के असैन्य पर्यवेक्षकों को इसमें शामिल करे. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक सेना के अभियान के बाद म्यांमा के अशांत राखाइन प्रांत से 2017 से करीब नौ लाख रोहिंग्या मुसलमान पलायन कर चुके हैं. भारी संख्या में आए शरणार्थियों की वजह से पड़ोसी बांग्लादेश में दिक्कतें शुरू हो गयीं.

ढाका : बांग्लादेश के विदेश मंत्री ए के मोमेन ने कहा है कि म्यांमा को प्रभावी तरीके से रोहिंग्या की वापसी प्रक्रिया के लिए इसमें भारत समेत मित्र देशों के असैन्य पर्यवेक्षकों को शामिल करना चाहिए. उन्होंने कहा कि मानवीय समस्या का समाधान करने में नाकामी से कट्टरवाद और आतंकवाद बढ़ेगा, जो कि क्षेत्र की शांति और स्थिरता के लिए खतरा होगा.

दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के संगठन आसियान की 27वीं बैठक को संबोधित करते हुए शनिवार को मोमेन ने कहा कि रोहिंग्या अपने वतन (म्यांमा) नहीं लौट रहे हैं, क्योंकि उन्हें सुरक्षा और अन्य मुद्दों को लेकर अपनी सरकार पर भरोसा नहीं है. इस बैठक का आयोजन वियतनाम की ओर से किया गया.

वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए मंत्री स्तरीय बैठक को संबोधित करते हुए मोमेन ने कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था, परिस्थितिकी पर जोखिम और समाज पर पड़ने वाले व्यापक असर के बावजूद बांग्लादेश ने म्यांमा से आए 11 लाख लोगों को मानवीय आधार पर शरण दी. म्यांमा हमारा मित्र देश है और इसलिए बांग्लादेश ने उनकी वापसी के लिए म्यांमा के साथ तीन समझौते पर दस्तखत किए हैं. म्यांमा सत्यापन के बाद उनकी वापसी के लिए सहमत हुआ है.

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उन्होंने कहा कि भरोसे में लेने और विश्वास बहाली के उपाय के तौर पर हम म्यांमा को सुझाव देते हैं कि वह चीन, रूस, भारत या अपनी पंसद के अन्य मित्र देशों के असैन्य पर्यवेक्षकों को इसमें शामिल करे. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक सेना के अभियान के बाद म्यांमा के अशांत राखाइन प्रांत से 2017 से करीब नौ लाख रोहिंग्या मुसलमान पलायन कर चुके हैं. भारी संख्या में आए शरणार्थियों की वजह से पड़ोसी बांग्लादेश में दिक्कतें शुरू हो गयीं.

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