इस्लामाबाद: भ्रष्टाचार के एक मामले में सजा काट रहे पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की जमानत याचिका को पाकिस्तान की एक अदालत ने खारिज कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने उन्हें चिकित्सकीय आधार पर राहत देने से भी इनकार कर दिया है.
जमानत याचिका खारिज करने का कारण बाद में सुनाए जाने वाले फैसले में बताया जाएगा. बता दें, शरीफ (69) अल अजीजिया स्टील मिल भ्रष्टाचार मामले में लाहौर की कोट लखपत जेल में सात वर्ष कैद की सजा काट रहे हैं.
पीठ ने किया आवेदन खारिज
इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति आमिर फारूक और न्यायमूर्ति मोहसिन अख्तर कयानी की दो सदस्यीय पीठ ने कहा कि आवेदन खारिज किया जाता है. अदालत ने अपने फैसले में कहा कि स्वास्थ्य के आधार पर शरीफ को जमानत नहीं दी जा सकती है क्योंकि उनका अस्पताल में इलाज चल रहा है.
जिन्ना अस्पताल में किया जा रहा है शरीफ का इलाज
आपको बता दें, शरीफ का इलाज लाहौर के जिन्ना अस्पताल में चल रहा है, जहां उन्हें कुछ हफ्ते पहले भर्ती कराया गया था. फैसला सुनाने के वक्त पूर्व प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी और पूर्व विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ सहित पाकिस्तान मुस्लिम लीग-- नवाज (पीएमएल-एन) के कई नेता मौजूद थे.
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तीन बार प्रधानमंत्री रह चुके हैं शरीफ
पंजाब सरकार के अधिकारियों के मुताबिक जमानत याचिका खारिज होने के बाद तीन बार प्रधानमंत्री रहे शरीफ ने चिकित्सकों से कहा कि अस्पताल से वापस उन्हें जेल भेज दिया जाए.
चिकित्सकों ने शरीफ को एंजियोग्राफी की सलाह
अधिकारी ने बताया, ‘चिकित्सकों ने शरीफ की एंजियोग्राफी कराने की सलाह दी लेकिन उन्होंने जिन्ना अस्पताल में एंजियोग्राफी कराने से इंकार कर दिया. हमने शरीफ के आग्रह पर उन्हें वापस जेल भेज दिया है.’ उन्होंने कहा कि शरीफ का परिवार जमानत मिलने के बाद लंदन में एंजियोग्राफी कराने के लिए इच्छुक है.
क्या होता है एंजियोग्राफी परीक्षण
बता दें, हृदय धमनियों और शिराओं में अवरोध का पता लगाने के लिए एंजियोग्राफी परीक्षण किया जाता है. गृह विभाग के प्रवक्ता ने शरीफ की इच्छा पर वापस उन्हें जेल भेजे जाने की पुष्टि की है. नवाज शरीफ के छोटे भाई शाहबाज शरीफ ने कहा कि उच्च न्यायालय के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देने के लिए वह वकीलों से विचार-विमर्श कर रहे हैं.
कई लोगों ने की फैसले के विरोध में नारेबाजी
फैसला सुनाए जाने के बाद अब्बासी ने कहा, ‘हम निर्णय से निराश हैं क्योंकि अलग-अलग पैनल ने रोग (शरीफ के) का पता लगाया और उपचार की अनुशंसा की. लेकिन हम फैसले को स्वीकार करते हैं और उपचार के लिए अन्य मंच की तलाश करेंगे.’ अदालत के बाहर मौजूद पीएमएल-एन के कई कार्यकर्ताओं ने फैसले के विरोध में नारेबाजी की.