काबुल : अफगान राजधानी में सोमवार को राष्ट्रपति अशरफ गनी के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान विस्फोट हो गया. गोलीबारी की भी खबरें हैं. अब तक इससे हुए नुकसान की कोई खबर नहीं मिली है.
अशरफ गनी ने दूसरी बार राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली है. वहीं दूसरी ओर उनके प्रतिद्वंद्वी अब्दुल्ला ने गनी के शपथ ग्रहण समारोह को चुनौती दी थी. अब्दुल्ला ने भी खुद को राष्ट्रपति घोषित कर दिया है.
इससे तालिबान के साथ शांति वार्ता से पहले देश में राजनीतिक संकट गहरा गया है.
गनी ने शपथ ग्रहण समारोह में कहा, 'मैं अल्लाह के नाम पर शपथ लेता हूं कि मैं पवित्र इस्लाम धर्म का पालन और उसकी रक्षा करूंगा. मैं संविधान का सम्मान, उसकी निगरानी और उसे लागू करूंगा.'
गनी ने विदेशी मेहमानों, राजनयिकों और वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में एक शपथ ग्रहण समारोह में शपथ ली.
अब्दुल्ला की चुनौती की वजह से तालिबान के साथ वार्ता की योजना के खतरे में पड़ने की आशंका पैदा हो गई है. अमेरिका-तालिबान शांति समझौते पर करीब दो सप्ताह पहले हस्ताक्षर किए गए थे. इस संबंध में दोनों पक्षों के बीच बातचीत अगला महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा था.
राष्ट्रपति अशरफ गनी और उनके प्रतिद्वंद्वी अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने अपने मतभेदों को नहीं सुलझाया. गनी को पिछले साल सितंबर में हुए चुनाव में विजयी घोषित किया गया था. अब्दुल्ला ने मतदान में धोखाधड़ी के आरोप लगाए थे.
अलग-अलग समारोह किए गए आयोजित
एक ही समय पर दो अलग-अलग समारोह आयोजित किए गए. एक समारोह राष्ट्रपति भवन में गनी के लिए आयोजित किया गया वहीं पास में ही स्थिति सापेदार पैलेस में अब्दुल्ला ने शपथ ली. दोनों के समर्थक भी बड़ी संख्या में अपने अपने चहेते नेता के शपथ ग्रहण के लिए जुटे.
गनी के समारोह में अमेरिका के शांति दूत जलमाय खलीलजाद, अफगानिस्तान में अमेरिकी बलों के प्रमुख जनरल ऑस्टिन एस मिलर के साथ अमेरिकी दूतावास के चार्ज डिअफेयर्स समेत बड़ी संख्या में विदेशी मेहमान और संयुक्त राष्ट्र महासभा के अफगानिस्तान में निजी प्रतिनिधि तादामिची यामामोतो के शामिल होने से उन्हें अंतरराष्ट्रीय समर्थन की पुष्टि हुई. इसका प्रसारण सरकारी टीवी पर किया गया.
निजी टोलो टीवी पर प्रसारित अब्दुल्ला के शपथ ग्रहण में तथाकथित जिहादी कमांडर भी उपस्थित थे. इनमें वे भी थे जिन्होंने 2001 में तालिबान को खदेड़ने के लिए अमेरिकी नीत गठबंधन के साथ हाथ मिलाया था.
पिछले साल के राष्ट्रपति चुनाव में शीर्ष दो उम्मीदवारों के बीच विवाद है कि वास्तव में जीत किसने हासिल की. इससे ऐसा प्रतीत होता है कि अफगान सरकार अपने को एकजुट पेश करने में असमर्थ रहा है.
जब अमेरिका और तालिबान ने समझौते पर हस्ताक्षर किए तो वादा किया गया था कि अफगान लोग अपने देश के भविष्य के लिए एक रोड मैप तैयार करने के लिए आपस में बातचीत करेंगे.
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अमेरिका का कहना है कि अफगानिस्तान से उसकी सेना की वापसी तालिबान के आतंकवाद विरोधी वादों से जुड़ा है न कि तालिबान और अफगान सरकार के बीच बातचीत की सफलता से.
अफगानिस्तान के चुनाव आयोग ने सितंबर के चुनाव में राष्ट्रपति अशरफ गनी को विजेता घोषित किया था. देश की एकता सरकार में उनके पूर्व सहयोगी मुख्य कार्यकारी अधिकारी अब्दुल्ला अब्दुल्ला और चुनाव शिकायत आयोग का कहना है कि चुनाव में धांधली हुई है. इसके फलस्वरूप गनी और अब्दुल्ला दोनों ने खुद को विजेता घोषित कर दिया था.