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आर्मीनिया और अजरबैजान संघर्षविराम के लिए सहमत हुए - राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन

आर्मीनिया और अजरबैजान दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने एक वक्तव्य में कहा कि संघर्षविराम का मकसद कैदियों की अदला बदली करना और शवों को लेना है. इसमें कहा गया कि अन्य बातों पर सहमति बाद में बनेगी.

Armenia - Azerbaijan ceasefire
आर्मीनिया- अजरबैजान संघर्षविराम
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Published : Oct 10, 2020, 10:33 AM IST

मास्को : आर्मीनिया और अजरबैजान ने कहा कि वह नागोरनो-काराबाख में संघर्षविराम पर सहमत हो गए हैं और यह शनिवार दोपहर से शुरू होगा.दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने एक वक्तव्य में कहा कि संघर्षविराम का मकसद कैदियों की अदला बदली करना और शवों को लेना है. इसमें कहा गया कि अन्य बातों पर सहमति बाद में बनेगी.

आर्मीनिया और अजरबैजान के विदेश मंत्रियों के बीच यह वार्ता रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के निमंत्रण पर हुई.इस घोषणा से पहले मास्को में रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव की देखरेख में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच 10 घंटे तक वार्ता हुई थी. लावरोव ने कहा कि यह संघर्षविराम विवाद निपटाने के लिए वार्ता का मार्ग प्रशस्त करेगा.

पढ़ें : संघर्षविराम उल्लंघन : पाक ने पर वरिष्ठ भारतीय राजनयिक को तलब किया

नागोरनो-काराबाख क्षेत्र में 27 सितंबर को दोनों देशों के बीच संघर्ष शुरू हुआ था. यह क्षेत्र अजरबैजान के तहत आता है लेकिन इस पर स्थानीय आर्मीनियाई बलों का नियंत्रण है. यह 1994 में खत्म हुए युद्ध के बाद इस इलाके में सबसे गंभीर संघर्ष है.इस संघर्ष में अब तक सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है.

मास्को : आर्मीनिया और अजरबैजान ने कहा कि वह नागोरनो-काराबाख में संघर्षविराम पर सहमत हो गए हैं और यह शनिवार दोपहर से शुरू होगा.दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने एक वक्तव्य में कहा कि संघर्षविराम का मकसद कैदियों की अदला बदली करना और शवों को लेना है. इसमें कहा गया कि अन्य बातों पर सहमति बाद में बनेगी.

आर्मीनिया और अजरबैजान के विदेश मंत्रियों के बीच यह वार्ता रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के निमंत्रण पर हुई.इस घोषणा से पहले मास्को में रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव की देखरेख में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच 10 घंटे तक वार्ता हुई थी. लावरोव ने कहा कि यह संघर्षविराम विवाद निपटाने के लिए वार्ता का मार्ग प्रशस्त करेगा.

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नागोरनो-काराबाख क्षेत्र में 27 सितंबर को दोनों देशों के बीच संघर्ष शुरू हुआ था. यह क्षेत्र अजरबैजान के तहत आता है लेकिन इस पर स्थानीय आर्मीनियाई बलों का नियंत्रण है. यह 1994 में खत्म हुए युद्ध के बाद इस इलाके में सबसे गंभीर संघर्ष है.इस संघर्ष में अब तक सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है.

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