ग्लासगो : इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों ने अफगानिस्तान में अल्पसंख्यक गुरुद्वारे पर हाल ही में हमला किया था, इस हमले में 25 लोगों की मौत हो गई थी. गुरुद्वारे पर हुए हमले को लेकर एक स्कॉटिश मानवाधिकार कार्यकर्ता अमजद अयूब मिर्जा ने कहा कि जब तक आतंकवाद पूरी तरह से पराजित नहीं हो जाता है या वह पूरी तरह से नष्ट नहीं हो जाता है तब तक शांति नहीं होगी.
गुरुद्वारे पर हुए आतंकी हमले की निंदा करते हुए, मानवाधिकार कार्यकर्ता अमजद अयूब मिर्जा ने कहा, 'मेरी मृतकों के परिजनों के साथ सहानुभूति है. मैं उन आतंकियों का विरोध करता हूं जिनकी वजह से दर्जनों लोगों की जान चली गई और गुरुद्वारा क्षतिग्रस्त हो गया है.'
गौरतलब है कि अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के शोर बाजार में स्थित 400 साल पुराने गुरुद्वारे में बुधवार को बंदूकधारियों ने हमला कर दिया था. इस हमले में 25 सिख नागरिकों की मौत हो गई थी.
इस हमले की जिम्मेदारी अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट के सहयोगी ने ली है, लेकिन कई विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी, इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) ने अशरफ गनी का विरोध करने के लिए इस घटना का प्रचार किया.
काबुल गुरुद्वारा हमला : मृतकों के अंतिम संस्कार वाली जगह पर धमाका
मिर्जा ने बताया कि सभा के दौरान मस्जिदों में इमामों द्वारा अभद्र भाषा के लिए शून्य सहिष्णुता लागू की जानी चाहिए. इस्लामी धार्मिक आतंकवाद को हराने के लिए सभी को एक गठबंधन बनाना चाहिए.
तालिबान ने संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ एक शांति समझौता किया है. इस समझौते के अनुसार अमेरिकी सैनिकों को अफगानिस्तान छोड़ना पड़ेगा. इस समझौते पर मिर्जा ने कहा कि तालिबान और अमेरिका के बीच एक समझौता एक शांति सौदा नहीं है.
हाल के वर्षों में, अफगानिस्तान से बड़ी संख्या में सिखों और हिंदुओं ने भारत से शरण मांगी है.