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श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव के लिए UNPA और DNA के बीच बैठक, गठजोड़ पर नहीं बनी बात

श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव के वास्ते व्यापक गठजोड़ को लेकर यूनाइटेड नेशनल पार्टी के सहयोगी दलों ने प्रस्तावित डेमोक्रेटिक नेशनल अलायंस को अंतिम रूप देने के लिए शनिवार को बैठक विफल

मैत्रीपाला सिरिसेना ( फाइल फोटो)
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Published : Aug 19, 2019, 2:50 AM IST

Updated : Sep 27, 2019, 11:27 AM IST

कोलंबो: श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव के वास्ते व्यापक गठजोड़ को लेकर सत्तारूढ़ गठबंधन में मुख्य पार्टी यूनाइटेड नेशनल पार्टी के घटक दलों के बीच वार्ता बिना किसी समझौते के खत्म हो गई है. इस बात की जानकारी पार्टी के एक सदस्य ने दी.

पिछले साल देश में संवैधानिक संकट गहरा गया था जब राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के नेता और प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को अपदस्थ करते हुए महिंदा राजपक्षे को पद नियुक्त किया था.

उच्चतम न्यायालय के दखल के बाद दिसंबर में विक्रमसिंघे को पद पर बहाल कर दिया गया था लेकिन सरकार के भीतर मतभेद बना रहा.

यूएनपी के सहयोगी दलों ने प्रस्तावित डेमोक्रेटिक नेशनल अलायंस (डीएनए) को अंतिम रूप देने के लिए शनिवार को बैठक की.

डीएनए के गठन के कुछ पहलुओं पर सहयोगी दल राजी हुए. अगले राष्ट्रपति चुनाव के लिए पार्टी के उम्मीदवार के मुद्दे पर प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे के नेतृत्व वाली यूएनपी का रुख अलग था.

उधर, राष्ट्रपति पद के दावेदार माने जा रहे गोटाभाया राजपक्षे ने दावा किया कि एक आतंकी समूह चुनाव प्रचार के दौरान उन्हें नुकसान पहुंचाने की योजना बना रहा है.

पढ़ें- बांग्लादेश में डेंगू से अब तक 40 लोगों की मौत

लिट्टे को पराजित कर देश में गृह युद्ध खत्म करने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

महिंद्रा राजपक्षे के भाई गोटाभाया ने राष्ट्रपति सिरिसेना से शिकायत की है कि उनके खुफिया अधिकारियों ने उन्हें सूचित किया है कि उनपर हमले का प्रयास हो सकता है.

राष्ट्रपति ने आतंकवाद छानबीन के पुलिस निदेशक को मामले की जांच करने का आदेश दिया है.

कोलंबो: श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव के वास्ते व्यापक गठजोड़ को लेकर सत्तारूढ़ गठबंधन में मुख्य पार्टी यूनाइटेड नेशनल पार्टी के घटक दलों के बीच वार्ता बिना किसी समझौते के खत्म हो गई है. इस बात की जानकारी पार्टी के एक सदस्य ने दी.

पिछले साल देश में संवैधानिक संकट गहरा गया था जब राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के नेता और प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को अपदस्थ करते हुए महिंदा राजपक्षे को पद नियुक्त किया था.

उच्चतम न्यायालय के दखल के बाद दिसंबर में विक्रमसिंघे को पद पर बहाल कर दिया गया था लेकिन सरकार के भीतर मतभेद बना रहा.

यूएनपी के सहयोगी दलों ने प्रस्तावित डेमोक्रेटिक नेशनल अलायंस (डीएनए) को अंतिम रूप देने के लिए शनिवार को बैठक की.

डीएनए के गठन के कुछ पहलुओं पर सहयोगी दल राजी हुए. अगले राष्ट्रपति चुनाव के लिए पार्टी के उम्मीदवार के मुद्दे पर प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे के नेतृत्व वाली यूएनपी का रुख अलग था.

उधर, राष्ट्रपति पद के दावेदार माने जा रहे गोटाभाया राजपक्षे ने दावा किया कि एक आतंकी समूह चुनाव प्रचार के दौरान उन्हें नुकसान पहुंचाने की योजना बना रहा है.

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लिट्टे को पराजित कर देश में गृह युद्ध खत्म करने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

महिंद्रा राजपक्षे के भाई गोटाभाया ने राष्ट्रपति सिरिसेना से शिकायत की है कि उनके खुफिया अधिकारियों ने उन्हें सूचित किया है कि उनपर हमले का प्रयास हो सकता है.

राष्ट्रपति ने आतंकवाद छानबीन के पुलिस निदेशक को मामले की जांच करने का आदेश दिया है.

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Last Updated : Sep 27, 2019, 11:27 AM IST
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