नई दिल्ली : अफगानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हमदुल्ला मोहिब ने बुधवार को कहा कि अफगान सरकार शांति वार्ता में शामिल होने के लिए तैयार है, लेकिन जो लोकतंत्र को खात्मे के लिए लड़ रहे हैं यदि वे उसके आह्वान का जवाब नहीं देते हैं तो उन्हें देश की पूरी ताकत का सामना करना पड़ेगा.
मोहिब की यह टिप्पणी तालिबान और अमेरिका की ओर से नियुक्त शांति वार्ताकार के मध्य वार्ता के बीच आई है. हालांकि, अफगान सरकार और तालिबान के बीच सीधी वार्ता अभी शुरू नहीं हुई है.
मोहिब ने नई दिल्ली में आयोजित 'रायसीना डायलॉग' में कहा कि वार्ता के लिए अनुकूल वातावरण बनाने के लिए संघर्षविराम जरूरी है.
उन्होंने कहा कि हिंसा और आतंकवाद की अफगानिस्तान में कोई जगह नहीं है.
उन्होंने कहा, 'अफगान लोग और सरकार शांति वार्ता में शामिल होने के लिए तैयार हैं. हालांकि, यदि आप इस आह्वान का जवाब नहीं देते हैं तो अफगान राष्ट्र की पूरी ताकत का सामना करने के लिए तैयार रहें.'
मोहिब की टिप्पणी ऐसे समय आई है जब अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने एक दिन पहले ही सरकार और तालिबान के बीच वार्ता की उम्मीद जताई थी.
अफगानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने भारत को एक प्रमुख साझेदार बताते हुए कहा कि भारत ने एक सुरक्षित, शांतिपूर्ण और समृद्ध अफगानिस्तान के लिए उनकी सरकार की दृष्टि पहचानी और उसे साझा किया.
उन्होंने कहा कि 2015 से द्विपक्षीय व्यापार तिगुना हो गया है. उन्होंने कहा, 'भारत ने हमारे अधिकारियों को प्रशिक्षित करने, सैन्य उपकरण मुहैया कराने, हमारे युवाओं को गुणवत्तापूर्ण विश्वविद्यालय में शिक्षित करने के लिए जो सहायता मुहैया करायी है वह अत्यंत महत्वपूर्ण है.'
मोहिब ने कहा, 'भारत ने जल, स्वास्थ्य और शासन संबंधी आधारभूत ढांचा निर्मित करने में सहायता मुहैया करायी है. अफगानिस्तान को आगे बढ़ने के लिए अफगानिस्तान को इस तरह के रचनात्मक सहायता जरूरत है और यह न केवल हमारे बल्कि भारत और क्षेत्र के लिए भी लाभकारी है.'
उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान ने पिछले चार दशकों के दौरान एक देश के तौर पर काफी कुछ सीखा है.
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मोहिब ने कहा, 'पिछले कुछ महीनों से हमारे बहादुर सुरक्षा बलों ने दुश्मन के नियंत्रण से कई जिलों को मुक्त कराया है और आईएसआईएस का नामोनिशान मिटा दिया. आईएसआईएस के 600 से अधिक लड़ाकों ने आत्मसमर्पण किया. समुदाय अब अपने पूर्व की जीवन शैली में लौट रहे हैं.'