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उम्मीद है कि भारत एवं पाकिस्तान के बीच वार्ता होगी : संरा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस के प्रवक्ता ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान भारत और पाकिस्तान द्वारा एक दूसरे के खिलाफ की गई टिप्पणियों के 'लहजे एवं विषयवस्तु' के बावजूद 'हमें हमेशा उम्मीद है' कि दोनों देशों के बीच वार्ता हो सकती है.

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Published : Sep 28, 2021, 3:39 PM IST

उम्मीद
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संयुक्त राष्ट्र : पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र में शुक्रवार को अपने संबोधन के दौरान जम्मू-कश्मीर का मामला उठाया था, जिसके बाद भारत ने पाकिस्तान की निंदा की थी.

गुतारेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा, 'हमने ये टिप्पणियां सुनीं और मुझे लगता है कि टिप्पणियों के लहजे और इनकी विषय वस्तु के बावजूद हमें हमेशा से उम्मीद है कि वार्ता हो सकती है और यह संभवत: ऐसे स्थान पर हो सकती है, जो सुर्खियों में न हो.'

पिछले सप्ताह संयुक्त राष्ट्र महासभा के उच्च स्तरीय सत्र में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई तीखी नोक-झोंक के मद्देनजर दुजारिक से प्रश्न किया गया था कि क्या संयुक्त राष्ट्र क्षेत्र में शांति को लेकर चिंतित है और क्या महासचिव की दोनों देशों के नेताओं से बात करने की कोई योजना है?

यूएनजीए में खान के कश्मीर मुद्दे का राग अलापे जाने पर भारत ने इसका जवाब देते हुए कहा था कि पाकिस्तान एक ऐसा देश है जहां आतंकवादी बेरोक-टोक आ जा सकते हैं.

संयुक्त राष्ट्र में भारत की प्रथम सचिव दुबे ने जवाब देने के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए कहा था कि पाकिस्तान 'आग को भड़काने वाला' है और वह खुद को 'आग बुझाने वाले' के रूप में पेश करने का दिखावा करता है. वह पूरी दुनिया को उसकी नीतियों के कारण नुकसान उठाना पड़ा है क्योंकि वह ओसामा बिन लादेन जैसे आतंकवादियों को पालता है.

संयुक्त राष्ट्र में भारत की प्रथम सचिव दुबे ने कहा था, 'हम सुनते आ रहे हैं कि पाकिस्तान 'आतंकवाद का शिकार' है. यह ऐसा देश है जिसने खुद आग लगायी है और आग बुझाने वाले के रूप में खुद को पेश करता है.

पाकिस्तान आतंकवादियों को इस उम्मीद में पालता है कि वे केवल उसके पड़ोसी देशों को नुकसान पहुंचाएंगे. हमारे क्षेत्र और वास्तव में पूरी दुनिया को पाकिस्तान की नीतियों के कारण नुकसान उठाना पड़ा है. दूसरी ओर, वे अपने देश में सांप्रदायिक हिंसा को आतंकवादी कृत्यों का नाम देकर छिपाने की कोशिश कर रहे हैं.'

दुबे ने कहा, 'पाकिस्तान के नेता द्वारा भारत के आंतरिक मामलों को विश्व मंच पर उठाने और झूठ फैलाकर इस प्रतिष्ठित मंच की छवि खराब करने के एक और प्रयास के प्रत्युत्तर में हम जवाब देने के अपने अधिकार का इस्तेमाल कर रहे हैं.'

युवा भारतीय राजनयिक ने कहा, 'इस तरह के बयान देने वालों और झूठ बोलने वालों की सामूहिक तौर पर निंदा की जानी चाहिए. ऐसे लोग अपनी मानसिकता के कारण सहानुभूति के पात्र होते हैं.'

खान ने अपने संबोधन में पांच अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के भारत सरकार के फैसले और पाकिस्तान समर्थक अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के निधन के बारे में बात की थी.

दुबे ने दृढ़ता से दोहराया कि समूचे केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर और लद्दाख 'हमेशा भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा थे, हैं और रहेंगे. इसमें वे क्षेत्र भी शामिल हैं जो पाकिस्तान के अवैध कब्जे में हैं. हम पाकिस्तान से उसके अवैध कब्जे वाले सभी क्षेत्रों को तुरंत खाली करने का आह्वान करते हैं.' इसके बाद पाकिस्तान ने भी दुबे की टिप्पणियों पर जवाब देने के अपने अधिकार का इस्तेमाल किया था.

खान और अन्य पाकिस्तानी नेताओं और राजनयिकों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा और विश्व संगठन के अन्य मंचों पर अपने संबोधन में जम्मू कश्मीर और भारत के अन्य आंतरिक मामलों को लगातार उठाया है. कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने के पाकिस्तान के प्रयासों को अंतरराष्ट्रीय समुदाय और सदस्य देशों से कोई फायदा नहीं हुआ है, क्योंकि वे मानते हैं कि कश्मीर दोनों देशों के बीच एक द्विपक्षीय मामला है.

इसे भी पढ़ें : यूएन प्रमुख से मिले जयशंकर, अफगानिस्तान के हालात पर की चर्चा

संयुक्त राष्ट्र : पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र में शुक्रवार को अपने संबोधन के दौरान जम्मू-कश्मीर का मामला उठाया था, जिसके बाद भारत ने पाकिस्तान की निंदा की थी.

गुतारेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा, 'हमने ये टिप्पणियां सुनीं और मुझे लगता है कि टिप्पणियों के लहजे और इनकी विषय वस्तु के बावजूद हमें हमेशा से उम्मीद है कि वार्ता हो सकती है और यह संभवत: ऐसे स्थान पर हो सकती है, जो सुर्खियों में न हो.'

पिछले सप्ताह संयुक्त राष्ट्र महासभा के उच्च स्तरीय सत्र में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई तीखी नोक-झोंक के मद्देनजर दुजारिक से प्रश्न किया गया था कि क्या संयुक्त राष्ट्र क्षेत्र में शांति को लेकर चिंतित है और क्या महासचिव की दोनों देशों के नेताओं से बात करने की कोई योजना है?

यूएनजीए में खान के कश्मीर मुद्दे का राग अलापे जाने पर भारत ने इसका जवाब देते हुए कहा था कि पाकिस्तान एक ऐसा देश है जहां आतंकवादी बेरोक-टोक आ जा सकते हैं.

संयुक्त राष्ट्र में भारत की प्रथम सचिव दुबे ने जवाब देने के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए कहा था कि पाकिस्तान 'आग को भड़काने वाला' है और वह खुद को 'आग बुझाने वाले' के रूप में पेश करने का दिखावा करता है. वह पूरी दुनिया को उसकी नीतियों के कारण नुकसान उठाना पड़ा है क्योंकि वह ओसामा बिन लादेन जैसे आतंकवादियों को पालता है.

संयुक्त राष्ट्र में भारत की प्रथम सचिव दुबे ने कहा था, 'हम सुनते आ रहे हैं कि पाकिस्तान 'आतंकवाद का शिकार' है. यह ऐसा देश है जिसने खुद आग लगायी है और आग बुझाने वाले के रूप में खुद को पेश करता है.

पाकिस्तान आतंकवादियों को इस उम्मीद में पालता है कि वे केवल उसके पड़ोसी देशों को नुकसान पहुंचाएंगे. हमारे क्षेत्र और वास्तव में पूरी दुनिया को पाकिस्तान की नीतियों के कारण नुकसान उठाना पड़ा है. दूसरी ओर, वे अपने देश में सांप्रदायिक हिंसा को आतंकवादी कृत्यों का नाम देकर छिपाने की कोशिश कर रहे हैं.'

दुबे ने कहा, 'पाकिस्तान के नेता द्वारा भारत के आंतरिक मामलों को विश्व मंच पर उठाने और झूठ फैलाकर इस प्रतिष्ठित मंच की छवि खराब करने के एक और प्रयास के प्रत्युत्तर में हम जवाब देने के अपने अधिकार का इस्तेमाल कर रहे हैं.'

युवा भारतीय राजनयिक ने कहा, 'इस तरह के बयान देने वालों और झूठ बोलने वालों की सामूहिक तौर पर निंदा की जानी चाहिए. ऐसे लोग अपनी मानसिकता के कारण सहानुभूति के पात्र होते हैं.'

खान ने अपने संबोधन में पांच अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के भारत सरकार के फैसले और पाकिस्तान समर्थक अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के निधन के बारे में बात की थी.

दुबे ने दृढ़ता से दोहराया कि समूचे केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर और लद्दाख 'हमेशा भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा थे, हैं और रहेंगे. इसमें वे क्षेत्र भी शामिल हैं जो पाकिस्तान के अवैध कब्जे में हैं. हम पाकिस्तान से उसके अवैध कब्जे वाले सभी क्षेत्रों को तुरंत खाली करने का आह्वान करते हैं.' इसके बाद पाकिस्तान ने भी दुबे की टिप्पणियों पर जवाब देने के अपने अधिकार का इस्तेमाल किया था.

खान और अन्य पाकिस्तानी नेताओं और राजनयिकों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा और विश्व संगठन के अन्य मंचों पर अपने संबोधन में जम्मू कश्मीर और भारत के अन्य आंतरिक मामलों को लगातार उठाया है. कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने के पाकिस्तान के प्रयासों को अंतरराष्ट्रीय समुदाय और सदस्य देशों से कोई फायदा नहीं हुआ है, क्योंकि वे मानते हैं कि कश्मीर दोनों देशों के बीच एक द्विपक्षीय मामला है.

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