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अमेरिका-तालिबान शांति समझौता शर्तों पर आधारित है: खलीलजाद

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Published : Sep 24, 2020, 9:24 AM IST

फरवरी में अमेरिका और तालिबान के बीच समझौता हुआ. इसको लेकर अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि जाल्मेय खलीलजाद ने कहा कि यह समझौता शर्तों पर आधारित है इसका क्रियान्वयन आचरण पर निर्भर करेगा.

Khalilzad
खलीलजाद

वाशिंगटन : अमेरिका के एक शीर्ष राजनयिक ने कहा है कि अमेरिका-तालिबान शांति समझौता शर्तों पर आधारित है और अमेरिका द्वारा उसका क्रियान्वयन आतंकवादी संगठन के महज शब्दों पर नहीं बल्कि आचरण पर निर्भर करेगा.

दोहा में फरवरी में अमेरिका और तालिबान के बीच हुए समझौते में अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी की योजना है और उसके बदले में आतंकवादी संगठन सुरक्षा गारंटी देगा.

इस करार के तहत अमेरिका 14 महीने में 12,000 सैनिकों को वापस बुलाएगा. तब से एक चौथाई सैनिक कम भी हो गए हैं. तालिबान ने वचन दिया है कि वह अलकायदा समेत अन्य संगठनों को अफगान जमीन का इस्तेमाल भर्ती, प्रशिक्षण, ऐसी गतिविधियों के लिए धन जुटाने के लिए नहीं करने देगा जो अमेरिका या उसके सहयोगियों के लिए खतरा पैदा करेगी.

पढ़ें :- जानिए ऐतिहासिक तालिबान-अफगान वार्ता के बारे में

अफगानिस्तान सुलह के लिए अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि जाल्मेय खलीलजाद ने मंगलवार को अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की निगरानी एवं सुधार समिति की राष्ट्रीय सुरक्षा उपसमिति के सामने कहा, 'यह समझौता शर्तों पर आधारित है...यदि हमें समझौते को लागू करना है तो हमें उसके शब्दों को नहीं बल्कि उसके बर्ताव को देखना होगा.'

वाशिंगटन : अमेरिका के एक शीर्ष राजनयिक ने कहा है कि अमेरिका-तालिबान शांति समझौता शर्तों पर आधारित है और अमेरिका द्वारा उसका क्रियान्वयन आतंकवादी संगठन के महज शब्दों पर नहीं बल्कि आचरण पर निर्भर करेगा.

दोहा में फरवरी में अमेरिका और तालिबान के बीच हुए समझौते में अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी की योजना है और उसके बदले में आतंकवादी संगठन सुरक्षा गारंटी देगा.

इस करार के तहत अमेरिका 14 महीने में 12,000 सैनिकों को वापस बुलाएगा. तब से एक चौथाई सैनिक कम भी हो गए हैं. तालिबान ने वचन दिया है कि वह अलकायदा समेत अन्य संगठनों को अफगान जमीन का इस्तेमाल भर्ती, प्रशिक्षण, ऐसी गतिविधियों के लिए धन जुटाने के लिए नहीं करने देगा जो अमेरिका या उसके सहयोगियों के लिए खतरा पैदा करेगी.

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अफगानिस्तान सुलह के लिए अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि जाल्मेय खलीलजाद ने मंगलवार को अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की निगरानी एवं सुधार समिति की राष्ट्रीय सुरक्षा उपसमिति के सामने कहा, 'यह समझौता शर्तों पर आधारित है...यदि हमें समझौते को लागू करना है तो हमें उसके शब्दों को नहीं बल्कि उसके बर्ताव को देखना होगा.'

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