वाशिंगटन : अफगानिस्तान में तालिबान के तेजी से पैर पसारने के बीच वहां से अमेरिकी राजनयिकों और उनके हजारों अफगान सहयोगियों को हवाई मार्ग से निकालने के दौरान उनकी सुरक्षा के लिए अमेरिका की मरीन बटालियन के कुछ बल सप्ताहांत में काबुल पहुंच गए हैं. पेंटागन के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने बताया कि बटालियन के प्रमुख शुक्रवार को काबुल पहुंच गए और बाकी के 3,000 जवान रविवार को वहां पहुंच जाएंगे.
अधिकारी बताते हैं कि जो सैनिक यहां अभी आए हैं उनका मिशन दूतावास कर्मियों और उनके अफगान सहयोगियों को हवाई मार्ग से रवाना करने में मदद करने तक सीमित है और यह काम इस महीने के अंत तक पूरा हो जाएगा. यदि तालिबान काबुल पर कब्जा कर लेता है और इससे दूतावास को खतरा पैदा हो रहा हो तो ये सैनिक अधिक समय तक वहां रूक सकते हैं.
तालिबान ने शनिवार तड़के काबुल के दक्षिण में स्थित दो और प्रांत पर कब्जा कर लिया और देश के उत्तर में स्थित अहम शहर मजार-ए-शरीफ पर चौतरफा हमला शुरू कर दिया.
देश में अमेरिका का मिशन समाप्त होने के बीच तालिबान ने शुक्रवार को चार और प्रांतीय राजधानियों पर कब्जा कर लिया और आशंका बढ़ गई है कि वे जल्द ही देश की राजधानी की ओर बढ़ सकते हैं जहां लाखों अफगान रहते हैं. पेंटागन में प्रेस वार्ता में किर्बी ने कहा कि उनकी हरकतों से यह साफ नजर आता है कि वे काबुल को अलग-थलग करने का प्रयास कर रहे हैं.
किर्बी ने कहा कि पेंटागन अतिरिक्त 4,500 से 5,000 सैनिकों को खाड़ी देश कतर और कुवैत में सैन्य ठिकानों पर भेज रहा है. उन्होंने कहा कि इनके अलावा अमेरिका के लिए काम करने वाले और तालिबान से डरे हुए अफगान नागरिकों और उनके परिजनों के विशेष आव्रजक वीजा आवेदनों के तेजी से निस्तारण में विदेश विभाग को मदद देने के लिए आने वाले दिनों में सेना और वायु सेना के करीब 1,000 जवानों को कतर भेजा जाएगा जिनमें सेना पुलिस और चिकित्सा कर्मी शामिल होंगे.
पेंटागन 3,500 से 4,000 सैनिकों को किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने के लिहाज से कुवैत भेजेगा. उन्होंने कहा कि काबुल में जो 3,000 सैनिक भेजे जा रहे हैं, उनके अतिरिक्त अगर जरूरत पड़ी तो उन्हें उक्त सैनिकों में से भेजा जाएगा.
अमेरिका अपने नागरिकों को अफगानिस्तान से निकालने के लिए जो अतिरिक्त सैनिक भेज रहा है वह दिखाता है कि अफगानिस्तान में बीस साल से जारी अमेरिकी लड़ाई के आधिकारिक समापन से तीन से भी कम हफ्ते पहले तालिबान देश में कितनी तेजी से काबिज होता जा रहा है.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अफगानिस्तान में अमेरिकी मिशन को खत्म करने के लिए 31 अगस्त की तारीख निर्धारित की है. अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा था काबुल में दूतावास आंशिक रूप से काम करता रहेगा लेकिन बृहस्पतिवार को दूतावास के अधिकाधिक कर्मियों को निकालने के फैसले और इसके लिए हजारों अतिरिक्त अमेरिकी सैनिकों को वहां भेजना दिखाता है कि तालिबान को रोकने में अफगान सरकार की क्षमता में भरोसा खत्म होता जा रहा है. बाइडेन प्रशासन ने पूरे दूतावास को खाली करने की संभावना से भी इनकार नहीं किया है.
बृहस्पतिवार तक अमेरिका ने अपने पूर्व कर्मी 1,200 अफगानों और उनके परिजनों को निकाल लिया था. विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइज ने कहा कि अमेरिका अफगान अनुवादकों और लड़ाई के बावजूद काबुल हवाईअड्डा पहुंच चुके लोगों को निकालने के लिए जल्द ही दैनिक आधार पर विमान भेजेगा.
दूतावास कर्मियों और उनके सहयोगियों को निकालने के लिए तीन हजार अतिरिक्त सैनिकों को वहां भेजने के अमेरिका के फैसले से अब यह सवाल खड़ा हो गया है क्या बाइडेन सैनिकों की पूर्ण वापसी के लिए तय 31 अगस्त की समससीमा का पालन कर पाएंगे. सैनिकों की वापसी की समयसीमा के बाद भी हजारों अमेरिकी सैनिकों की अफगानिस्तान में मौजूदगी बाइडेन के लिए असहज स्थिति पैदा कर सकती है क्योंकि वे बीस साल से जारी युद्ध को तय समयसीमा पर खत्म करने पर कई बार जोर दे चुके हैं.
रिपब्लिकन सदस्य सैनिकों की वापसी के कदम की पहले से आलोचना कर रहे हैं. उन्होंने इसे एक गलती बताया है. इस बीच, अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने कहा है कि वह 20 वर्षों की उपलब्धियों को बेकार नहीं जाने देंगे. उन्होंने कहा कि तालिबान के हमले के बीच विचार-विमर्श जारी है. उन्होंने शनिवार को टेलीविजन के माध्यम से राष्ट्र को संबोधित किया. हाल के दिनों में तालिबान द्वारा प्रमुख क्षेत्रों पर कब्जा जमाए जाने के बाद से यह उनकी पहली सार्वजनिक टिप्पणी है.
कोलंबिया विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय एवं लोक मामलों के प्रोफेसर स्टीफन बिडल ने कहा कि तीन हजार सैनिकों को काबुल भेजने से अफगानिस्तान के लोग और भी हतोत्साहित हो जाएंगे.
दूतावास में अभी 4,000 से कुछ अधिक कर्मी मौजूद हैं. विदेश विभाग ने अभी यह नहीं बताया कि अगले दो हफ्तों में कितने कर्मियों को वहां से निकाला जाएगा. बाइडेन प्रशासन ने तालिबानी अधिकारियों को सीधी चेतावनी दी है कि यदि इस दौरान किसी भी अमेरिकी पर हमला होगा तो अमेरिका इसका जवाब देगा.
(पीटीआई-भाषा)