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विदेशी राजनयिकों की 'जम्मू-कश्मीर यात्रा महत्वपूर्ण कदम' : अमेरिका - इंटरनेट पर पाबंदी और नेताओं की हिरासत

जम्मू-कश्मीर में बदलावों के बाद 15 देशों के राजनयिकों ने मौजूदा स्थिति का जायजा लेने के लिए कश्मीर का दौरा किया. इसे लेकर अमेरिका के विदेश मंत्रालय का बयान सामने आया है. उन्होंने इंटरनेट पर पाबंदी और नेताओं की हिरासत पर चिंता जाहिर की है. जानें मंत्रालय ने अपने बयान में क्या कुछ कहा...

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Published : Jan 12, 2020, 5:11 PM IST

वाशिंगटन : अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने 15 देशों के रानयिकों की जम्मू-कश्मीर यात्रा को 'महत्वपूर्ण कदम' करार दिया. हालांकि मंत्रालय ने इंटरनेट पर पाबंदी और नेताओं की हिरासत पर शनिवार को चिंता जाहिर की है.

संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को प्राप्त विशेष दर्जा को केंद्र सरकार ने पिछले साल पांच अगस्त को वापस ले लिया था और प्रदेश को दो केंद्र शाषित क्षेत्रों में बांट दिया था. इसके बाद से कई तरह की पाबंदियां लगाई गई थी.

पिछले साल पांच अगस्त के बाद पहली बार 15 देशों के राजनयिकों ने पिछले सप्ताह यात्रा की, जिसमें अमेरिका के राजदूत भी शामिल थे. यहां उन्होंने कई राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधियों, नागरिक संस्थाओं के सदस्यों और सेना के शीर्ष अधिकारियों के साथ मुलाकात की.

हालांकि इस यात्रा को लेकर सरकार पर आरोप लग रहा है कि यह 'गाइडेड टूर' है, लेकिन सरकार इससे इनकार कर रही है.

दक्षिण एवं मध्य एशिया की कार्यवाहक सहायक सचिव एलिस जी वेल्स ने शनिवार को उम्मीद जताई कि इस क्षेत्र में स्थिति सामान्य होगी. वेल्स इस सप्ताह दक्षिण एशिया की यात्रा पर आने वाली हैं.

पढ़ें : जम्मू-कश्मीर में 15 देशों के राजनयिक, कश्मीरी पंडितों के प्रतिनिधियों से भेंट की

उन्होंने एक ट्वीट में कहा, 'मैंने भारत में अमेरिकी राजदूत तथा अन्य विदेशी राजनयिकों की जम्मू-कश्मीर यात्रा पर बारीकी से नजर लगा रखी है. यह एक महत्वपूर्ण कदम है. हम नेताओं, लोगों को हिरासत में लिए जाने और इंटरनेट पर प्रतिबंध से चिंतित हैं. हमें उम्मीद है कि स्थिति सामान्य होगी.'

आपको बता दें कि वेल्स 15-18 जनवरी तक नई दिल्ली की यात्रा पर होंगी.

वाशिंगटन : अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने 15 देशों के रानयिकों की जम्मू-कश्मीर यात्रा को 'महत्वपूर्ण कदम' करार दिया. हालांकि मंत्रालय ने इंटरनेट पर पाबंदी और नेताओं की हिरासत पर शनिवार को चिंता जाहिर की है.

संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को प्राप्त विशेष दर्जा को केंद्र सरकार ने पिछले साल पांच अगस्त को वापस ले लिया था और प्रदेश को दो केंद्र शाषित क्षेत्रों में बांट दिया था. इसके बाद से कई तरह की पाबंदियां लगाई गई थी.

पिछले साल पांच अगस्त के बाद पहली बार 15 देशों के राजनयिकों ने पिछले सप्ताह यात्रा की, जिसमें अमेरिका के राजदूत भी शामिल थे. यहां उन्होंने कई राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधियों, नागरिक संस्थाओं के सदस्यों और सेना के शीर्ष अधिकारियों के साथ मुलाकात की.

हालांकि इस यात्रा को लेकर सरकार पर आरोप लग रहा है कि यह 'गाइडेड टूर' है, लेकिन सरकार इससे इनकार कर रही है.

दक्षिण एवं मध्य एशिया की कार्यवाहक सहायक सचिव एलिस जी वेल्स ने शनिवार को उम्मीद जताई कि इस क्षेत्र में स्थिति सामान्य होगी. वेल्स इस सप्ताह दक्षिण एशिया की यात्रा पर आने वाली हैं.

पढ़ें : जम्मू-कश्मीर में 15 देशों के राजनयिक, कश्मीरी पंडितों के प्रतिनिधियों से भेंट की

उन्होंने एक ट्वीट में कहा, 'मैंने भारत में अमेरिकी राजदूत तथा अन्य विदेशी राजनयिकों की जम्मू-कश्मीर यात्रा पर बारीकी से नजर लगा रखी है. यह एक महत्वपूर्ण कदम है. हम नेताओं, लोगों को हिरासत में लिए जाने और इंटरनेट पर प्रतिबंध से चिंतित हैं. हमें उम्मीद है कि स्थिति सामान्य होगी.'

आपको बता दें कि वेल्स 15-18 जनवरी तक नई दिल्ली की यात्रा पर होंगी.

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