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भारतीय सीमा के पास चीन की निर्माण गतिविधियां 'उकसावे से भरा कदम'

पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास भारत और चीन के बीच मई से सैन्य गतिरोध की स्थिति बनी हुई है. दोनों देशों की सेनाओं ने एलएसी के पास बड़ी संख्या में सैन्य बलों को तैनात किया है. इस गतिरोध को सुलझाने के लिए दोनों पक्षों ने कई दौर की वार्ता की है, लेकिन इनका कोई ठोस परिणाम नहीं निकला है.

Raja Krishnamurthy
राजा कृष्णमूर्ति
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Published : Nov 29, 2020, 1:23 PM IST

वॉशिंगटन: अमेरिका के एक प्रभावशाली सांसद ने लद्दाख में भारतीय सीमा के पास चीन की जारी निर्माण गतिविधियों संबंधी खबरों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि, यदि ये खबरें सही हैं तो यह चीन की ओर से 'उकसाने वाला कदम' है और यह दक्षिण चीन सागर में जारी बीजिंग की गतिविधियों जैसा ही है.

पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास भारत और चीन के बीच मई से सैन्य गतिरोध की स्थिति बनी हुई है.

गतिरोध को सुलझाने के लिए दोनों पक्षों ने की वार्ता
दोनों देशों की सेनाओं ने एलएसी के पास बड़ी संख्या में सैन्य बलों को तैनात किया है. इस गतिरोध को सुलझाने के लिए दोनों पक्षों ने कई दौर की वार्ता की है, लेकिन इनका कोई ठोस परिणाम नहीं निकला है.

'चीनी सेना का उकसाने वाला कदम'
डेमोक्रेटिक पार्टी के सांसद राजा कृष्णमूर्ति ने कहा कि, यदि यह (खबरें) सही है, तो यह चीनी सेना का जमीनी तथ्यों को बदलने के लिए उकसाने वाला एक और कदम होगा.

पढ़ें: जो बाइडेन की टीम में शामिल हुए भारतीय मूल के 20 लोग

'तथ्यों को बदलने की कोशिश'
अमेरिकी सदन की खुफिया मामलों की स्थायी प्रवर समिति के अब तक के पहले भारतीय-अमेरिकी सदस्य कृष्णमूर्ति ने कहा कि, यह दक्षिण चीन सागर में उसके (चीन के) व्यवहार की तरह है, जहां वह द्वीप बना रहा है और जहां वह तथ्यों को बदलने की कोशिश कर रहा है.

'अमेरिका भारत के साथ खड़ा है'
उन्होंने कहा कि चीन की निर्माण गतिविधियों की सूचना देने वाले स्रोतों में उपग्रह से ली गई तस्वीरें भी शामिल हैं. लगातार तीसरी बार प्रतिनिधि सभा में हाल में पुन: चुने गए कृष्णमूर्ति ने कहा कि, अमेरिका भारत के साथ खड़ा है. उन्होंने कहा कि, मुझे यह कहना होगा कि अमेरिकी संसद और ट्रंप प्रशासन एवं आगामी बाइडन प्रशासन हिंद प्रशांत क्षेत्र में हमारे भारतीय साझेदारों के साथ खड़े हैं.

'अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का समर्थन'
कांग्रेस के सांसद ने कहा कि, भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका का मालाबार अभ्यास इस बात का संकेत है कि हिंद प्रशांत क्षेत्र में लोकतांत्रिक देश एक-दूसरे के साथ खड़े रहेंगे और नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का समर्थन करेंगे. कृष्णमूर्ति ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि, अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन भारत के पुराने मित्र हैं और वह भारतीय मूल की निर्वाचित उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के साथ मिलकर भारत के लिए खड़े रहेंगे.

पढ़ें:चीन रक्षा मंत्री का नेपाल दौरा, राष्ट्रपति और पीएम से करेंगे मुलाकात

'अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का समर्थन'
उन्होंने कहा कि, मुझे लगता है कि कमला हैरिस की भारतीय जड़ों के मद्देनजर इन संबंधों को और मजबूत बनाने का आधार बनता है. निर्वाचित विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन भी भारत के पुराने मित्र हैं. वह क्षेत्र को बहुत अच्छी तरह जानते हैं. मुझे भरोसा है कि ब्लिंकन राष्ट्रपति बाइडन और उपराष्ट्रपति हैरिस के साथ मिलकर संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे.

भारत और अमेरिका की पहली प्राथमिकता
कृष्णमूर्ति ने कहा कि, हम डेमोक्रेटिक एवं रिपब्लिकन राष्ट्रपतियों के अपनाए इस रुख को बरकरार रखेंगे कि हम क्षेत्र में भारत के साथ खड़े हैं और चीन समेत किसी भी पड़ोसी द्वारा होने वाली हर प्रकार की सैन्य कार्रवाई के खिलाफ हैं. उन्होंने कहा कि, कोविड-19 से निपटना भारत और अमेरिका के लिए पहली प्राथमिकता होना चाहिए.

वॉशिंगटन: अमेरिका के एक प्रभावशाली सांसद ने लद्दाख में भारतीय सीमा के पास चीन की जारी निर्माण गतिविधियों संबंधी खबरों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि, यदि ये खबरें सही हैं तो यह चीन की ओर से 'उकसाने वाला कदम' है और यह दक्षिण चीन सागर में जारी बीजिंग की गतिविधियों जैसा ही है.

पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास भारत और चीन के बीच मई से सैन्य गतिरोध की स्थिति बनी हुई है.

गतिरोध को सुलझाने के लिए दोनों पक्षों ने की वार्ता
दोनों देशों की सेनाओं ने एलएसी के पास बड़ी संख्या में सैन्य बलों को तैनात किया है. इस गतिरोध को सुलझाने के लिए दोनों पक्षों ने कई दौर की वार्ता की है, लेकिन इनका कोई ठोस परिणाम नहीं निकला है.

'चीनी सेना का उकसाने वाला कदम'
डेमोक्रेटिक पार्टी के सांसद राजा कृष्णमूर्ति ने कहा कि, यदि यह (खबरें) सही है, तो यह चीनी सेना का जमीनी तथ्यों को बदलने के लिए उकसाने वाला एक और कदम होगा.

पढ़ें: जो बाइडेन की टीम में शामिल हुए भारतीय मूल के 20 लोग

'तथ्यों को बदलने की कोशिश'
अमेरिकी सदन की खुफिया मामलों की स्थायी प्रवर समिति के अब तक के पहले भारतीय-अमेरिकी सदस्य कृष्णमूर्ति ने कहा कि, यह दक्षिण चीन सागर में उसके (चीन के) व्यवहार की तरह है, जहां वह द्वीप बना रहा है और जहां वह तथ्यों को बदलने की कोशिश कर रहा है.

'अमेरिका भारत के साथ खड़ा है'
उन्होंने कहा कि चीन की निर्माण गतिविधियों की सूचना देने वाले स्रोतों में उपग्रह से ली गई तस्वीरें भी शामिल हैं. लगातार तीसरी बार प्रतिनिधि सभा में हाल में पुन: चुने गए कृष्णमूर्ति ने कहा कि, अमेरिका भारत के साथ खड़ा है. उन्होंने कहा कि, मुझे यह कहना होगा कि अमेरिकी संसद और ट्रंप प्रशासन एवं आगामी बाइडन प्रशासन हिंद प्रशांत क्षेत्र में हमारे भारतीय साझेदारों के साथ खड़े हैं.

'अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का समर्थन'
कांग्रेस के सांसद ने कहा कि, भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका का मालाबार अभ्यास इस बात का संकेत है कि हिंद प्रशांत क्षेत्र में लोकतांत्रिक देश एक-दूसरे के साथ खड़े रहेंगे और नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का समर्थन करेंगे. कृष्णमूर्ति ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि, अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन भारत के पुराने मित्र हैं और वह भारतीय मूल की निर्वाचित उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के साथ मिलकर भारत के लिए खड़े रहेंगे.

पढ़ें:चीन रक्षा मंत्री का नेपाल दौरा, राष्ट्रपति और पीएम से करेंगे मुलाकात

'अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का समर्थन'
उन्होंने कहा कि, मुझे लगता है कि कमला हैरिस की भारतीय जड़ों के मद्देनजर इन संबंधों को और मजबूत बनाने का आधार बनता है. निर्वाचित विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन भी भारत के पुराने मित्र हैं. वह क्षेत्र को बहुत अच्छी तरह जानते हैं. मुझे भरोसा है कि ब्लिंकन राष्ट्रपति बाइडन और उपराष्ट्रपति हैरिस के साथ मिलकर संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे.

भारत और अमेरिका की पहली प्राथमिकता
कृष्णमूर्ति ने कहा कि, हम डेमोक्रेटिक एवं रिपब्लिकन राष्ट्रपतियों के अपनाए इस रुख को बरकरार रखेंगे कि हम क्षेत्र में भारत के साथ खड़े हैं और चीन समेत किसी भी पड़ोसी द्वारा होने वाली हर प्रकार की सैन्य कार्रवाई के खिलाफ हैं. उन्होंने कहा कि, कोविड-19 से निपटना भारत और अमेरिका के लिए पहली प्राथमिकता होना चाहिए.

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