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अमेरिकी अदालत ने 26/11 के आरोपी राणा की जमानत याचिका खारिज की

अमेरिका की एक अदालत ने पाकिस्तानी मूल के कनाडाई कारोबारी तहव्वुर राणा की जमानत याचिका खारिज कर दी.  भारत ने राणा को 2008 मुंबई आतंकवादी हमले में उसकी संलिप्तता के लिए उसके प्रत्यर्पण का अनुरोध किया था. उक्त हमले में छह अमेरिकी नागरिकों सहित 166 लोग मारे गए थे. पढ़ें पूरी खबर...

Tahawwur Rana
तहव्वुर राणा
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Published : Jul 25, 2020, 5:00 PM IST

वाशिंगटन : अमेरिका की एक अदालत ने 2008 मुंबई आतंकवादी हमलों में संलिप्तता के लिए भारत द्वारा भगोड़ा करार दिए गए पाकिस्तानी मूल के कनाडाई कारोबारी तहव्वुर राणा की जमानत याचिका खारिज कर दी.

डेविड कोलमैन हेडली के बचपन के दोस्त राणा (59) को 2008 मुंबई आतंकवादी हमलों के मामले में शामिल होने के लिए भारत के प्रत्यर्पण के अनुरोध पर लॉस एंजिलिस में 10 जून को फिर से गिरफ्तार किया गया था. इस हमले में छह अमेरिकियों समेत 166 लोग मारे गए थे. भारत में वह भगोड़ा अपराधी घोषित है.

लॉस एंजिलिस में अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट की न्यायाधीश जैकलीन चूलजियान ने 21 जुलाई को अपने 24 पृष्ठों के आदेश में राणा को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि उसके फरार होने का खतरा है.

अमेरिका सरकार ने यह दलील देते हुए उसे जमानत पर रिहा करने का विरोध किया कि अगर वह कनाडा भाग जाता है तो उसके भारत में मौत की सजा से बचने की आशंका है.

अमेरिका के सहायक अटॉर्नी जॉन जे लुलेजियान ने अदालत में कहा, 'किसी भी मुचलके पर जमानत देने से अदालत में राणा की मौजूदगी सुनिश्चित नहीं की जा सकेगी. उसे जमानत देने से अमेरिका को अपने विदेश मामलों में शर्मिंदा होना पड़ सकता है और उसके भारत के साथ रिश्ते तनावपूर्ण हो सकते हैं.'

वहीं, राणा के वकील ने कहा कि 26/11 के आरोपी के फरार होने का खतरा नहीं है और उन्होंने उसे जमानत पर रिहा करने के लिए 15 लाख डॉलर का मुचलका भरने का प्रस्ताव रखा.

राणा ने अपने बचाव में कहा कि अमेरिका का सह-आरोपी हेडली को भारत प्रत्यर्पित न करने का फैसला असंगत है और यह उसके प्रत्यर्पण पर रोक लगाता है. पाकिस्तान में जन्मे राणा ने वहां के आर्मी मेडिकल कॉलेज से पढ़ाई की और एक दशक से अधिक समय तक पाकिस्तानी सेना में डॉक्टर के तौर पर काम किया.

पढ़ें - 26/11 मुंबई हमले का साजिशकर्ता तहव्‍वुर राणा दोबारा गिरफ्तार

वह अब कनाडाई नागरिक है, लेकिन वह शिकागो में रहता था, जहां उसका कारोबार था. अदालत के दस्तावेजों के अनुसार वह कनाडा, पाकिस्तान, जर्मनी और इंग्लैंड में भी रहता है और वहां की यात्रा करता रहता है तथा सात भाषाएं बोलता है.

संघीय अभियोजकों ने कहा कि अगर वह कनाडा भाग जाता है तो वह मौत की सजा से बच सकता है. दरअसल, भारत के साथ कनाडा की प्रत्यर्पण संधि में ऐसा प्रावधान है कि भारत में जिस अपराध के लिए प्रत्यर्पण की मांग की गई है, अगर उसमें मौत की सजा सुनाई जा सकती है और कनाडा में उसके लिए मौत की सजा नहीं है तो प्रत्यर्पण से इनकार किया जा सकता है.

अदालत के दस्तावेजों के अनुसार राणा 28 अप्रैल 2020 को लॉस एंजिलिस में टर्मिनल आइलैंड में कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया, लेकिन उसमें लक्षण नहीं थे और अब वह स्वस्थ है.

संघीय अभियोजकों के मुताबिक 2006 से नवंबर 2008 के बीच राणा ने 'दाउद गिलानी' के नाम से पहचाने जाने वाले हेडली और पाकिस्तान में कुछ अन्य के साथ मिलकर लश्कर-ए-तैयबा तथा हरकत-उल-जिहाद-ए-इस्लामी को मुंबई में आतंकी हमलों की साजिश रचने तथा हमलों को अंजाम देने में मदद की.

पढ़ें - मुंबई आतंकी हमला : अमेरिकी अदालत का आरोपी राणा की हिरासत जारी रखने का आदेश

पाकिस्तानी-अमेरिकी हेडली लश्कर का आतंकवादी है. वह 2008 के मुंबई हमलों के मामले में सरकारी गवाह बन गया है. वह हमले में भूमिका के लिए अमेरिका में 35 साल की जेल की सजा काट रहा है.

वाशिंगटन : अमेरिका की एक अदालत ने 2008 मुंबई आतंकवादी हमलों में संलिप्तता के लिए भारत द्वारा भगोड़ा करार दिए गए पाकिस्तानी मूल के कनाडाई कारोबारी तहव्वुर राणा की जमानत याचिका खारिज कर दी.

डेविड कोलमैन हेडली के बचपन के दोस्त राणा (59) को 2008 मुंबई आतंकवादी हमलों के मामले में शामिल होने के लिए भारत के प्रत्यर्पण के अनुरोध पर लॉस एंजिलिस में 10 जून को फिर से गिरफ्तार किया गया था. इस हमले में छह अमेरिकियों समेत 166 लोग मारे गए थे. भारत में वह भगोड़ा अपराधी घोषित है.

लॉस एंजिलिस में अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट की न्यायाधीश जैकलीन चूलजियान ने 21 जुलाई को अपने 24 पृष्ठों के आदेश में राणा को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि उसके फरार होने का खतरा है.

अमेरिका सरकार ने यह दलील देते हुए उसे जमानत पर रिहा करने का विरोध किया कि अगर वह कनाडा भाग जाता है तो उसके भारत में मौत की सजा से बचने की आशंका है.

अमेरिका के सहायक अटॉर्नी जॉन जे लुलेजियान ने अदालत में कहा, 'किसी भी मुचलके पर जमानत देने से अदालत में राणा की मौजूदगी सुनिश्चित नहीं की जा सकेगी. उसे जमानत देने से अमेरिका को अपने विदेश मामलों में शर्मिंदा होना पड़ सकता है और उसके भारत के साथ रिश्ते तनावपूर्ण हो सकते हैं.'

वहीं, राणा के वकील ने कहा कि 26/11 के आरोपी के फरार होने का खतरा नहीं है और उन्होंने उसे जमानत पर रिहा करने के लिए 15 लाख डॉलर का मुचलका भरने का प्रस्ताव रखा.

राणा ने अपने बचाव में कहा कि अमेरिका का सह-आरोपी हेडली को भारत प्रत्यर्पित न करने का फैसला असंगत है और यह उसके प्रत्यर्पण पर रोक लगाता है. पाकिस्तान में जन्मे राणा ने वहां के आर्मी मेडिकल कॉलेज से पढ़ाई की और एक दशक से अधिक समय तक पाकिस्तानी सेना में डॉक्टर के तौर पर काम किया.

पढ़ें - 26/11 मुंबई हमले का साजिशकर्ता तहव्‍वुर राणा दोबारा गिरफ्तार

वह अब कनाडाई नागरिक है, लेकिन वह शिकागो में रहता था, जहां उसका कारोबार था. अदालत के दस्तावेजों के अनुसार वह कनाडा, पाकिस्तान, जर्मनी और इंग्लैंड में भी रहता है और वहां की यात्रा करता रहता है तथा सात भाषाएं बोलता है.

संघीय अभियोजकों ने कहा कि अगर वह कनाडा भाग जाता है तो वह मौत की सजा से बच सकता है. दरअसल, भारत के साथ कनाडा की प्रत्यर्पण संधि में ऐसा प्रावधान है कि भारत में जिस अपराध के लिए प्रत्यर्पण की मांग की गई है, अगर उसमें मौत की सजा सुनाई जा सकती है और कनाडा में उसके लिए मौत की सजा नहीं है तो प्रत्यर्पण से इनकार किया जा सकता है.

अदालत के दस्तावेजों के अनुसार राणा 28 अप्रैल 2020 को लॉस एंजिलिस में टर्मिनल आइलैंड में कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया, लेकिन उसमें लक्षण नहीं थे और अब वह स्वस्थ है.

संघीय अभियोजकों के मुताबिक 2006 से नवंबर 2008 के बीच राणा ने 'दाउद गिलानी' के नाम से पहचाने जाने वाले हेडली और पाकिस्तान में कुछ अन्य के साथ मिलकर लश्कर-ए-तैयबा तथा हरकत-उल-जिहाद-ए-इस्लामी को मुंबई में आतंकी हमलों की साजिश रचने तथा हमलों को अंजाम देने में मदद की.

पढ़ें - मुंबई आतंकी हमला : अमेरिकी अदालत का आरोपी राणा की हिरासत जारी रखने का आदेश

पाकिस्तानी-अमेरिकी हेडली लश्कर का आतंकवादी है. वह 2008 के मुंबई हमलों के मामले में सरकारी गवाह बन गया है. वह हमले में भूमिका के लिए अमेरिका में 35 साल की जेल की सजा काट रहा है.

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