वॉशिंगटन : केंद्रीय तिब्बत प्रशासन (सीटीए) ने बताया है कि डॉ लोबसांग सांगाय का अमेरिका के ह्वाइट हाउस में प्रवेश करना एक ऐतिहासिक क्षण था. पिछले छह दशक में पहली बार सीटीए के प्रमुख को ह्वाइट हाउस में आमंत्रित किया गया है.
गौरतलब है कि सीटीए का कार्यालय भारत के धर्मशाला में है. सीटीए की ओर से शनिवार को जारी एक बयान में कहा गया कि सांगाय शुक्रवार को अमेरिकी ह्वाइट हाउस पहुंचे. हालांकि, सांगाय के इस दौरे से चीन के नाराज होने की आशंका है. माना जा रहा है कि तिब्बत के इस कदम से चीन और नाराज हो सकता है. चीन ने अमेरिका पर अपने आंतरिक मामलों में दखल देने की कोशिश करने का आरोप लगाया है.
सांगाय के ह्वाइट हाउस जाने को लेकर सीटीए ने कहा, 'आज की यात्रा सीटीए की लोकतांत्रिक प्रणाली और उसके राजनीतिक प्रमुख दोनों को मान्यता देने वाली है. यह अभूतपूर्व बैठक संभवत: अमेरिकी अधिकारियों के साथ सीटीए की भागीदारी के लिहाज से आशावादी माहौल तैयार करेगी तथा आने वाले सालों में और अधिक औपचारिक होगी.'
सीटीए के अध्यक्ष सांगाय को तिब्बत मामलों के लिए अमेरिका के नवनियुक्त विशेष समन्वयक से मुलाकात के लिए शुक्रवार को ह्वाइट हाउस आमंत्रित किया गया था.
अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने 15 अक्टूबर को वरिष्ठ राजनयिक डेस्ट्रो को तिब्बत मामलों के लिए विशेष समन्वय नियुक्त किया था. डेस्ट्रो अन्य विषयों के साथ ही चीन की कम्युनिस्ट सरकार और दलाई लामा के बीच संवाद आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करेंगे.
डेस्ट्रो की नियुक्ति की घोषणा करते हुए पोम्पियो ने कहा था कि यह कदम तिब्बत नीति कानून के संगत है और वह चीन तथा दलाई लामा या उनके प्रतिनिधियों के बीच संवाद बढ़ाने, तिब्बतियों की विशेष धार्मिक, सांस्कृतिक और भाषाई पहचान का संरक्षण करने तथा उनके मानवाधिकारों के सम्मान के लिए जोर देने के अमेरिका के प्रयासों की अगुवाई करेंगे.
चीन ने डेस्ट्रो की नियुक्ति की आलोचना करते हुए कहा है कि यह तिब्बत को अस्थिरता प्रदान करने के उद्देश्य से की गई राजनीतिक तिकड़म है.
डेस्ट्रो की नियुक्ति के बाद सांगाय ने उनसे मुलाकात कर तिब्बत के हालात पर चर्चा की थी.
डेस्ट्रो-सांगाय की मुलाकात के बारे में पूछे जाने पर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने पिछले महीने एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा, 'शिजांग (तिब्बत) के मामले पूरी तरह चीन का आंतरिक विषय है. किसी बाहरी शक्ति को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए.'