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संयुक्त राष्ट्र की टीम ने इराक में इस्लामिक स्टेट के खिलाफ नए सबूत हासिल किए

इराक में इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों ने कभी ना मिटने वाले जख्म दिए हैं. यहां इराक के यजीदी अल्पसंख्यक की हजारों महिलाओं और लड़कियों के साथ बलात्कार किया गया और उन्हें गुलाम बनाया गया, जबकि पुरुषों को मार डाला गया. संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि इन आतंकियों के खिलाफ सबूत जुटाए जा रहे हैं.

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प्रतीकात्मक तस्वीर.
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Published : May 19, 2020, 1:25 PM IST

वाशिंगटन : संयुक्त राष्ट्र की एक जांच टीम ने कहा है कि उसने इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों के खिलाफ इराक में सबूतों के नए स्रोत एकत्र करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है, जिनमें 20 लाख से अधिक कॉल रिकॉर्ड शामिल हैं. जिससे 2014 में यज़ीदी अल्पसंख्यकों विरोधी अपराधों को अंजाम देने वालों के खिलाफ मामले मजबूत होंगे.

जांच टीम ने जून 2014 में तिकरित एयर अकादमी के निहत्थे कैडेटों और सैन्य कर्मियों की सामूहिक हत्याओं और 2014 से 2016 तक मोसुल में इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों द्वारा किए गए अपराधों की जांच में भी प्रगति की बात कही है.

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को सौंपी गई एक रिपोर्ट में, जांच टीम ने कहा कि वह कानून के लंबित मुद्दे को लेकर इराक की सरकार के साथ लगातार बातचीत कर रही है, ताकि देश को इस्लामिक स्टेट के युद्ध अपराधों, मानवता विरोधी अपराधों और नरसंहार के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मिल सके.

रिपोर्ट में कहा गया है, आने वाले छह महीनों में, टीम कोशिश करेगी कि सरकार इस अवसर का इस्तेमाल करे, ताकि टीम द्वारा एकत्र किए गए सबूतों के आधार पर कार्यवाही शुरू की जा सके. इस्लामिक स्टेट समूह का कभी इराक और सीरिया दोनों देशों के एक तिहाई हिस्से पर कब्जा था, लेकिन उसे करारी हार का सामना करना पड़ा है. वह खत्म होने के कगार पर पहुंच गया है, लेकिन उसके लड़ाके अभी भी हमले करते रहे हैं.

आतंकवादी समूह के लड़ाकों और समर्थकों के अत्याचार ने उस क्षेत्र में जख्म के गहरे निशान छोड़े हैं. इराक के यज़ीदी अल्पसंख्यक की हजारों महिलाओं और लड़कियों के साथ बलात्कार किया गया था और उन्हें गुलाम बना लिया गया था, जबकि पुरुषों को मार डाला गया था.

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने दिसंबर 2016 में सीरिया में युद्ध अपराधों या मानवता विरोधी अपराधों के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ मुकदमा चलाने और मामले की जांच करने में सहायता के लिए एक स्वतंत्र पैनल की स्थापना की थी.

वाशिंगटन : संयुक्त राष्ट्र की एक जांच टीम ने कहा है कि उसने इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों के खिलाफ इराक में सबूतों के नए स्रोत एकत्र करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है, जिनमें 20 लाख से अधिक कॉल रिकॉर्ड शामिल हैं. जिससे 2014 में यज़ीदी अल्पसंख्यकों विरोधी अपराधों को अंजाम देने वालों के खिलाफ मामले मजबूत होंगे.

जांच टीम ने जून 2014 में तिकरित एयर अकादमी के निहत्थे कैडेटों और सैन्य कर्मियों की सामूहिक हत्याओं और 2014 से 2016 तक मोसुल में इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों द्वारा किए गए अपराधों की जांच में भी प्रगति की बात कही है.

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को सौंपी गई एक रिपोर्ट में, जांच टीम ने कहा कि वह कानून के लंबित मुद्दे को लेकर इराक की सरकार के साथ लगातार बातचीत कर रही है, ताकि देश को इस्लामिक स्टेट के युद्ध अपराधों, मानवता विरोधी अपराधों और नरसंहार के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मिल सके.

रिपोर्ट में कहा गया है, आने वाले छह महीनों में, टीम कोशिश करेगी कि सरकार इस अवसर का इस्तेमाल करे, ताकि टीम द्वारा एकत्र किए गए सबूतों के आधार पर कार्यवाही शुरू की जा सके. इस्लामिक स्टेट समूह का कभी इराक और सीरिया दोनों देशों के एक तिहाई हिस्से पर कब्जा था, लेकिन उसे करारी हार का सामना करना पड़ा है. वह खत्म होने के कगार पर पहुंच गया है, लेकिन उसके लड़ाके अभी भी हमले करते रहे हैं.

आतंकवादी समूह के लड़ाकों और समर्थकों के अत्याचार ने उस क्षेत्र में जख्म के गहरे निशान छोड़े हैं. इराक के यज़ीदी अल्पसंख्यक की हजारों महिलाओं और लड़कियों के साथ बलात्कार किया गया था और उन्हें गुलाम बना लिया गया था, जबकि पुरुषों को मार डाला गया था.

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने दिसंबर 2016 में सीरिया में युद्ध अपराधों या मानवता विरोधी अपराधों के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ मुकदमा चलाने और मामले की जांच करने में सहायता के लिए एक स्वतंत्र पैनल की स्थापना की थी.

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