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जेल की सजा मिलने पर जुमा का छलका दर्द

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Published : Jul 5, 2021, 10:12 AM IST

दक्षिण अफ्रीका के उच्चतम न्यायालय ने देश के पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा को अदालत की अवमानना के लिए 15 माह कैद की सजा सुनाई है. जिस पर जुमा ने कहा, वैश्विक महामारी के दौरान जेल भेजना मौत की सजा के बराबर है.

जैकब जुमा
जैकब जुमा

जोहानिसबर्ग : दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा (Former South African President Jacob Zuma) ने कहा कि कोविड-19 वैश्विक महामारी (covid 19 global pandemic) के दौरान उन्हें जेल भेजना मौत की सजा के बराबर है.

जुमा ने कांडला स्थित अपने घर से रविवार शाम पत्रकारों को संबोधित किया. इससे पहले देश की शीर्ष अदालत ने उन्हें खुद को पुलिस के हवाले करने को कहा है, ताकि उनकी 15 साल कैद की सजा (15 years imprisonment) पूरी हो सके.

उन्होंने कहा, वैश्विक महामारी का कहर (global pandemic havoc) चरम पर होने के दौरान मेरी उम्र के शख्स को जेल भेजना मौत की सजा के बराबर है. दक्षिण अफ्रीका में 1995 में मौत की सजा को असंवैधानिक घोषित कर दिया गया था. संवैधानिक अदालत जुमा की सजा रद्द करने की उनकी याचिका पर सुनवाई को शनिवार को सहमत हो गई थी.

पूर्व राष्ट्रपति ने सजा रद्द करने के लिए अपनी 79 वर्षीय उम्र, स्वास्थ्य कारणों तथा अन्य अनिर्दिष्ट कारणों का हवाला दिया है. इस मामले पर 12 जुलाई को सुनवाई होगी, तब तक जुमा जेल से बाहर रहेंगे.

पढ़ें- Delta Variant की वजह से ईरान में आ सकती है कोरोना की 5वीं लहर: राष्ट्रपति हसन रूहानी

जुमा संवाददाता सम्मेलन में लगातार इस सवाल को टालते दिखे कि देश में लॉकडाउन के चौथे स्तर के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने वाले उनके कई समर्थकों को वह फटकार क्यों नहीं रहे. इन दिशा-निर्देशों के तहत जनसभा करने पर प्रतिबंध है और मास्क पहनना अनिवार्य है.

जुमा के घर के बाहर पिछले कुछ दिनों से तनावपूर्ण दृश्य देखने को मिल रहे हैं, जहां समर्थकों ने हवा में कुछ गोलियां चलाईं. उन्होंने जुमा को जेल ले जाने पर हिंसा करने की धमकी भी दी है. लॉकडाउन का सरेआम उल्लंघन करने वाले लोगों को गिरफ्तार करने में विफल रहने को लेकर पुलिस के प्रति भी रोष है. ये सब ऐसे समय में हो रहा है, जब एक दिन में दक्षिण अफ्रीका में कोविड-19 के सर्वाधिक 16,585 नए मामले सामने आए हैं और इससे और 333 लोगों की मौत हुई है.

पूर्व राष्ट्रपति के उस बयान को लेकर भी काफी गुस्सा है, जिसमें उन्होंने अपने समर्थकों को कानून का पालन करने का कहने की बजाय कहा था कि उन्हें ऐसा करने के मजबूर किया गया है.

'अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस' के नेता मवुसो मसिमांग ने कहा, एक नेता के तौर पर यह सुनिश्चित करना जुमा की जिम्मेदारी है कि कोविड-19 के मद्देनजर देश के कानूनों को पालन किया जाए. उनका दायित्व है कि वह लोगों, आयोजकों को कहें कि इस तरह की भीड़ एकत्रित ना हो. जुमा का कहना है कि लोग उत्तेजित और गुस्से में हैं इसलिए उन्हें कानून तोड़ने दिया जाए और संक्रमित होने दिया जाए. यह एक घटिया नेतृत्व है.

पढ़ें- अमेरिका : उत्तरपश्चिम हिस्सों में लू का कहर जारी, ओरेगोन में लू से 95 लोगों की मौत

गौरतलब है कि दक्षिण अफ्रीका के उच्चतम न्यायालय ने देश के पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा को अदालत की अवमानना के लिए 15 माह कैद की सजा सुनाई है. उनके कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कर रहे आयोग के समक्ष पेश होने में विफल रहने के लिए उच्चतम न्यायालय ने उन्हें अवमानना का दोषी पाया था. जुमा ने बार-बार कहा है कि आयोग के साथ सहयोग करने के बजाय वह जेल जाएंगे. जुमा (79) पर 2009 से 2018 के बीच करीब नौ वर्ष तक पद पर रहते हुए सरकारी राजस्व में लूट-खसोट होने का आरोप है.

जुमा को पद से हटाने और उन पर आपराधिक मुकदमा चलाए जाने के लिए 'अहमद खतरादा फाउंडेशन' ने अभियान चलाया था. पचास अरब रैंड के भ्रष्टाचार में जुमा मुख्य आरोपी हैं, जिसमें तीन गुप्ता बंधु भी शामिल हैं. गुप्ता बंधुओं ने उनके साथ कथित तौर पर निकटता के कारण भ्रष्टाचार को अंजाम दिया. गुप्ता बंधुओं ने जुमा के दो बच्चों को भी कथित तौर पर फायदा पहुंचाया, जो दुबई में स्वनिर्वासन में रह रहे हैं. दक्षिण अफ्रीका की सरकार ने उनके प्रत्यर्पण की कार्रवाई शुरू कर दी है.

(भाषा)

जोहानिसबर्ग : दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा (Former South African President Jacob Zuma) ने कहा कि कोविड-19 वैश्विक महामारी (covid 19 global pandemic) के दौरान उन्हें जेल भेजना मौत की सजा के बराबर है.

जुमा ने कांडला स्थित अपने घर से रविवार शाम पत्रकारों को संबोधित किया. इससे पहले देश की शीर्ष अदालत ने उन्हें खुद को पुलिस के हवाले करने को कहा है, ताकि उनकी 15 साल कैद की सजा (15 years imprisonment) पूरी हो सके.

उन्होंने कहा, वैश्विक महामारी का कहर (global pandemic havoc) चरम पर होने के दौरान मेरी उम्र के शख्स को जेल भेजना मौत की सजा के बराबर है. दक्षिण अफ्रीका में 1995 में मौत की सजा को असंवैधानिक घोषित कर दिया गया था. संवैधानिक अदालत जुमा की सजा रद्द करने की उनकी याचिका पर सुनवाई को शनिवार को सहमत हो गई थी.

पूर्व राष्ट्रपति ने सजा रद्द करने के लिए अपनी 79 वर्षीय उम्र, स्वास्थ्य कारणों तथा अन्य अनिर्दिष्ट कारणों का हवाला दिया है. इस मामले पर 12 जुलाई को सुनवाई होगी, तब तक जुमा जेल से बाहर रहेंगे.

पढ़ें- Delta Variant की वजह से ईरान में आ सकती है कोरोना की 5वीं लहर: राष्ट्रपति हसन रूहानी

जुमा संवाददाता सम्मेलन में लगातार इस सवाल को टालते दिखे कि देश में लॉकडाउन के चौथे स्तर के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने वाले उनके कई समर्थकों को वह फटकार क्यों नहीं रहे. इन दिशा-निर्देशों के तहत जनसभा करने पर प्रतिबंध है और मास्क पहनना अनिवार्य है.

जुमा के घर के बाहर पिछले कुछ दिनों से तनावपूर्ण दृश्य देखने को मिल रहे हैं, जहां समर्थकों ने हवा में कुछ गोलियां चलाईं. उन्होंने जुमा को जेल ले जाने पर हिंसा करने की धमकी भी दी है. लॉकडाउन का सरेआम उल्लंघन करने वाले लोगों को गिरफ्तार करने में विफल रहने को लेकर पुलिस के प्रति भी रोष है. ये सब ऐसे समय में हो रहा है, जब एक दिन में दक्षिण अफ्रीका में कोविड-19 के सर्वाधिक 16,585 नए मामले सामने आए हैं और इससे और 333 लोगों की मौत हुई है.

पूर्व राष्ट्रपति के उस बयान को लेकर भी काफी गुस्सा है, जिसमें उन्होंने अपने समर्थकों को कानून का पालन करने का कहने की बजाय कहा था कि उन्हें ऐसा करने के मजबूर किया गया है.

'अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस' के नेता मवुसो मसिमांग ने कहा, एक नेता के तौर पर यह सुनिश्चित करना जुमा की जिम्मेदारी है कि कोविड-19 के मद्देनजर देश के कानूनों को पालन किया जाए. उनका दायित्व है कि वह लोगों, आयोजकों को कहें कि इस तरह की भीड़ एकत्रित ना हो. जुमा का कहना है कि लोग उत्तेजित और गुस्से में हैं इसलिए उन्हें कानून तोड़ने दिया जाए और संक्रमित होने दिया जाए. यह एक घटिया नेतृत्व है.

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गौरतलब है कि दक्षिण अफ्रीका के उच्चतम न्यायालय ने देश के पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा को अदालत की अवमानना के लिए 15 माह कैद की सजा सुनाई है. उनके कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कर रहे आयोग के समक्ष पेश होने में विफल रहने के लिए उच्चतम न्यायालय ने उन्हें अवमानना का दोषी पाया था. जुमा ने बार-बार कहा है कि आयोग के साथ सहयोग करने के बजाय वह जेल जाएंगे. जुमा (79) पर 2009 से 2018 के बीच करीब नौ वर्ष तक पद पर रहते हुए सरकारी राजस्व में लूट-खसोट होने का आरोप है.

जुमा को पद से हटाने और उन पर आपराधिक मुकदमा चलाए जाने के लिए 'अहमद खतरादा फाउंडेशन' ने अभियान चलाया था. पचास अरब रैंड के भ्रष्टाचार में जुमा मुख्य आरोपी हैं, जिसमें तीन गुप्ता बंधु भी शामिल हैं. गुप्ता बंधुओं ने उनके साथ कथित तौर पर निकटता के कारण भ्रष्टाचार को अंजाम दिया. गुप्ता बंधुओं ने जुमा के दो बच्चों को भी कथित तौर पर फायदा पहुंचाया, जो दुबई में स्वनिर्वासन में रह रहे हैं. दक्षिण अफ्रीका की सरकार ने उनके प्रत्यर्पण की कार्रवाई शुरू कर दी है.

(भाषा)

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