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पिछले 20 साल में भारत और अमेरिका के संबंधों में नाटकीय बदलाव आए हैं: जयशंकर - india america relation

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि दो सबसे बड़े लोकतंत्रों के बीच संबंध मजबूत हो रहे हैं और चुनौती यह है कि इस गति को तेज कैसे किया जाए ताकि एक नए क्षितिज को देखा जा सके. उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के संबंधों में पिछले दो दशक से नाटकीय बदलाव आए हैं. जानें उन्होंने और क्या कुछ कहा...

विदेश मंत्री एस जयशंकर
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Published : Oct 2, 2019, 12:58 PM IST

Updated : Oct 2, 2019, 9:05 PM IST

वाशिंगटन: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत और अमेरिका के संबंधों में पिछले दो दशक में नाटकीय बदलाव आए हैं.

उन्होंने साथ ही कहा कि विश्व के दो सबसे बड़े लोकतंत्रों के बीच संबंध मजबूत हो रहे हैं और चुनौती यह है कि इस गति को तेज कैसे किया जाए ताकि एक नए क्षितिज को देखा जा सके.

जयशंकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ संयुक्त राष्ट्र महासभा के वार्षिक सत्र में भाग लेने के बाद रविवार को न्यूयार्क से यहां पहुंचे थे. इस सत्र के इतर प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री ने विश्व के कई नेताओं से द्विपक्षीय बैठकें की थी.

पढ़ें: कश्मीर पांच अगस्त से पहले बदहाल स्थिति में था: जयशंकर

विदेश मंत्री ने 'यूएस इंडिया स्ट्रेटैजिक एंड पार्टनरशिप फोरम' के एक समारोह में कहा, 'आपने पिछले 20 साल में इन संबंधों में नाटकीय बदलाव देखे हैं और बड़े देशों के बीच बड़े बदलाव आम बात नहीं है.

तीन दिवसीय आधिकारिक दौरे पर वाशिंगटन डीसी आए जयशंकर ने कहा, 'जब मैं नाटकीय बदलाव की बात करता हूं तो एक भी क्षेत्र ऐसा नहीं है जिसमें बहुत अधिक विकास दर देखने को न मिली हो.

जयशंकर ने अमेरिका में भारतीय प्रधानमंत्रियों के सार्वजनिक स्वागत में आए बदलाव का जिक्र किया.

उन्होंने पिछले महीने ह्यूस्टन में हुए ऐतिहासिक हाउडी मोदी कार्यक्रम का जिक्र करते हुए कहा कि 10 साल पहले हम यह कल्पना नहीं कर सकते थे.

हाउडी मोदी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 50,000 से अधिक भारतीय अमेरिकियों को संबोधित किया था.

उन्होंने कहा, अब यह क्यों हुआ? यह काफी हद तक भारतीय अमेरिकी समुदाय के कारण हुआ.

जयशंकर ने कहा कि जब पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू 1949 में अमेरिका आए थे, तो यहां 3,000 भारतीय अमेरिकी थे. जब इंदिरा गांधी 1966 में अमेरिका आई थीं, तब 30,000 भारतीय-अमेरिकी थे और राजीव गांधी जब 1980 के दशक में अमेरिका आए थे, उस समय संख्या बढ़कर तीन लाख हो गई थी.

पढ़ें: भारत का अमेरिका की घरेलू राजनीति की ओर निर्दलीय रुख है : जयशंकर

उसकी तुलना में अमेरिका में अब 30 लाख से अधिक भारतीय-अमेरिकी हैं और यदि प्रवासी भारतीयों को भी जोड़ लिया जाए तो यह संख्या दोगुनी है.

उन्होंने कहा कि हाउडी मोदी कार्यक्रम एक तरह से एक ऐसे घटनाक्रम को प्रतिबिम्बित करता है, जो दुनिया का भविष्य होगा और प्रतिभा एक भौगोलिक स्थान से दूसरे स्थान में जाएगी.

जयशंकर ने कहा कि यह वास्तव में वैश्विक अर्थव्यवस्था में कुछ बड़ी प्रक्रियाओं की ओर इशारा करता है. यह उन भारतीय-अमेरिकियों के बारे में हैं, जो भारत के साथ अपने संबंधों को बरकरार रखने में बहुत सहज हैं.

कार्यक्रम में 50,000 भारतीय अमेरिकियों का एकत्र होना इन संबंधों की अनूठी प्रकृति को दर्शाता है. उन्होंने कहा, 'यदि आप सुरक्षा समेत संपूर्ण संबंधों की राजनीति की ओर देखते हैं तो हमने वास्तव में एक बहुत मुश्किल इतिहास, कभी-कभी शत्रुतापूर्ण संबंधों से आगे बढ़कर ऐसे संबंध विकसित किए हैं

जिनमें भारतीय एवं अमेरिकी प्रणालियों के बीच संबंध बहुत सहज हैं.

पढ़ें: विदेश मंत्री एस जयशंकर स्टैच्यू ऑफ यूनिटी और सरदार सरोवार बांध देखने पहुंचे

जयशंकर ने कहा, 'मैंने किसी को बताया था कि एक समय था, जब किसी भारतीय का पेंटागन में जाना वास्तव में अजीब बात होती थी. आज, जब यदि वे हमें हर घंटे नहीं देखते हैं, तो उन्हें हमारी याद आती है. उनके यह कहते ही वहां ठहाके गूंज उठे.

जयशंकर ने कहा कि 15 साल पहले भारतीय सेना के पास अपने भंडार में वस्तुत: कोई अमेरिकी उपकरण नहीं था और आज भारत अमेरिकी विमान, दो अमेरिकी हेलीकॉप्टर उड़ाता है, उसके पास अमेरिकी तोपें और एक अमेरिकी पोत है.

उन्होंने कहा, 'यह एक बड़ा बदलाव है. यह केवल उपकरणों की बात नहीं है. यह पूरी संस्कृति और समझ की बात है जो इनके साथ विकसित हुई है.
जयशंकर ने कहा, 'भले ही शिक्षा की बात हो, प्रतिभा की बात हो, अर्थव्यवस्था की बात हो, रक्षा की बात हो, पर्यटन की बात हो, ये संबंध वास्तव में मजबूत हो रहे हैं.

उन्होंने कहा, और हमारे सामने अब चुनौती यह है कि आप इस गति को बरकरार कैसे रखेंगे, इसे कैसे बढ़ाएंगे और नया क्षितिज कैसे देखेंगे. दुनिया का भविष्य देखिए, उस दुनिया में हमारा स्थान क्या होगा और हम इन संबंधों का सर्वाधिक फायदा कैसे उठा सकते हैं.

वाशिंगटन: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत और अमेरिका के संबंधों में पिछले दो दशक में नाटकीय बदलाव आए हैं.

उन्होंने साथ ही कहा कि विश्व के दो सबसे बड़े लोकतंत्रों के बीच संबंध मजबूत हो रहे हैं और चुनौती यह है कि इस गति को तेज कैसे किया जाए ताकि एक नए क्षितिज को देखा जा सके.

जयशंकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ संयुक्त राष्ट्र महासभा के वार्षिक सत्र में भाग लेने के बाद रविवार को न्यूयार्क से यहां पहुंचे थे. इस सत्र के इतर प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री ने विश्व के कई नेताओं से द्विपक्षीय बैठकें की थी.

पढ़ें: कश्मीर पांच अगस्त से पहले बदहाल स्थिति में था: जयशंकर

विदेश मंत्री ने 'यूएस इंडिया स्ट्रेटैजिक एंड पार्टनरशिप फोरम' के एक समारोह में कहा, 'आपने पिछले 20 साल में इन संबंधों में नाटकीय बदलाव देखे हैं और बड़े देशों के बीच बड़े बदलाव आम बात नहीं है.

तीन दिवसीय आधिकारिक दौरे पर वाशिंगटन डीसी आए जयशंकर ने कहा, 'जब मैं नाटकीय बदलाव की बात करता हूं तो एक भी क्षेत्र ऐसा नहीं है जिसमें बहुत अधिक विकास दर देखने को न मिली हो.

जयशंकर ने अमेरिका में भारतीय प्रधानमंत्रियों के सार्वजनिक स्वागत में आए बदलाव का जिक्र किया.

उन्होंने पिछले महीने ह्यूस्टन में हुए ऐतिहासिक हाउडी मोदी कार्यक्रम का जिक्र करते हुए कहा कि 10 साल पहले हम यह कल्पना नहीं कर सकते थे.

हाउडी मोदी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 50,000 से अधिक भारतीय अमेरिकियों को संबोधित किया था.

उन्होंने कहा, अब यह क्यों हुआ? यह काफी हद तक भारतीय अमेरिकी समुदाय के कारण हुआ.

जयशंकर ने कहा कि जब पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू 1949 में अमेरिका आए थे, तो यहां 3,000 भारतीय अमेरिकी थे. जब इंदिरा गांधी 1966 में अमेरिका आई थीं, तब 30,000 भारतीय-अमेरिकी थे और राजीव गांधी जब 1980 के दशक में अमेरिका आए थे, उस समय संख्या बढ़कर तीन लाख हो गई थी.

पढ़ें: भारत का अमेरिका की घरेलू राजनीति की ओर निर्दलीय रुख है : जयशंकर

उसकी तुलना में अमेरिका में अब 30 लाख से अधिक भारतीय-अमेरिकी हैं और यदि प्रवासी भारतीयों को भी जोड़ लिया जाए तो यह संख्या दोगुनी है.

उन्होंने कहा कि हाउडी मोदी कार्यक्रम एक तरह से एक ऐसे घटनाक्रम को प्रतिबिम्बित करता है, जो दुनिया का भविष्य होगा और प्रतिभा एक भौगोलिक स्थान से दूसरे स्थान में जाएगी.

जयशंकर ने कहा कि यह वास्तव में वैश्विक अर्थव्यवस्था में कुछ बड़ी प्रक्रियाओं की ओर इशारा करता है. यह उन भारतीय-अमेरिकियों के बारे में हैं, जो भारत के साथ अपने संबंधों को बरकरार रखने में बहुत सहज हैं.

कार्यक्रम में 50,000 भारतीय अमेरिकियों का एकत्र होना इन संबंधों की अनूठी प्रकृति को दर्शाता है. उन्होंने कहा, 'यदि आप सुरक्षा समेत संपूर्ण संबंधों की राजनीति की ओर देखते हैं तो हमने वास्तव में एक बहुत मुश्किल इतिहास, कभी-कभी शत्रुतापूर्ण संबंधों से आगे बढ़कर ऐसे संबंध विकसित किए हैं

जिनमें भारतीय एवं अमेरिकी प्रणालियों के बीच संबंध बहुत सहज हैं.

पढ़ें: विदेश मंत्री एस जयशंकर स्टैच्यू ऑफ यूनिटी और सरदार सरोवार बांध देखने पहुंचे

जयशंकर ने कहा, 'मैंने किसी को बताया था कि एक समय था, जब किसी भारतीय का पेंटागन में जाना वास्तव में अजीब बात होती थी. आज, जब यदि वे हमें हर घंटे नहीं देखते हैं, तो उन्हें हमारी याद आती है. उनके यह कहते ही वहां ठहाके गूंज उठे.

जयशंकर ने कहा कि 15 साल पहले भारतीय सेना के पास अपने भंडार में वस्तुत: कोई अमेरिकी उपकरण नहीं था और आज भारत अमेरिकी विमान, दो अमेरिकी हेलीकॉप्टर उड़ाता है, उसके पास अमेरिकी तोपें और एक अमेरिकी पोत है.

उन्होंने कहा, 'यह एक बड़ा बदलाव है. यह केवल उपकरणों की बात नहीं है. यह पूरी संस्कृति और समझ की बात है जो इनके साथ विकसित हुई है.
जयशंकर ने कहा, 'भले ही शिक्षा की बात हो, प्रतिभा की बात हो, अर्थव्यवस्था की बात हो, रक्षा की बात हो, पर्यटन की बात हो, ये संबंध वास्तव में मजबूत हो रहे हैं.

उन्होंने कहा, और हमारे सामने अब चुनौती यह है कि आप इस गति को बरकरार कैसे रखेंगे, इसे कैसे बढ़ाएंगे और नया क्षितिज कैसे देखेंगे. दुनिया का भविष्य देखिए, उस दुनिया में हमारा स्थान क्या होगा और हम इन संबंधों का सर्वाधिक फायदा कैसे उठा सकते हैं.

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पीटीआई-भाषा संवाददाता 11:38 HRS IST




             
  • पिछले 20 साल में भारत और अमेरिका के संबंधों में नाटकीय बदलाव आए हैं: जयशंकर



(ललित के झा)



वाशिंगटन, दो अक्टूबर (भाषा) विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत और अमेरिका के संबंधों में पिछले दो दशक में नाटकीय बदलाव आए हैं।



उन्होंने साथ ही कहा कि विश्व के दो सबसे बड़े लोकतंत्रों के बीच संबंध मजबूत हो रहे हैं और चुनौती यह है कि इस गति को तेज कैसे किया जाए ताकि एक नए क्षितिज को देखा जा सके।



जयशंकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ संयुक्त राष्ट्र महासभा के वार्षिक सत्र में भाग लेने के बाद रविवार को न्यूयार्क से यहां पहुंचे थे। इस सत्र के इतर प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री ने विश्व के कई नेताओं से द्विपक्षीय बैठकें की थी।।



विदेश मंत्री ने ‘यूएस इंडिया स्ट्रेटैजिक एंड पार्टनरशिप फोरम’ के एक समारोह में कहा, ‘‘आपने पिछले 20 साल में इन संबंधों में नाटकीय बदलाव देखे हैं और बड़े देशों के बीच बड़े बदलाव आम बात नहीं है।’’



तीन दिवसीय आधिकारिक दौरे पर वाशिंगटन डीसी आए जयशंकर ने कहा, ‘‘जब मैं नाटकीय बदलाव की बात करता हूं तो एक भी क्षेत्र ऐसा नहीं है जिसमें बहुत अधिक विकास दर देखने को न मिली हो।’’



जयशंकर ने अमेरिका में भारतीय प्रधानमंत्रियों के सार्वजनिक स्वागत में आए बदलाव का जिक्र किया।



उन्होंने पिछले महीने ह्यूस्टन में हुए ऐतिहासिक ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम का जिक्र करते हुए कहा कि 10 साल पहले ‘‘हम यह कल्पना नहीं कर सकते’’ थे।



‘हाउडी मोदी’ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 50,000 से अधिक भारतीय अमेरिकियों को संबोधित किया था।



उन्होंने कहा, ‘‘अब यह क्यों हुआ? यह काफी हद तक भारतीय अमेरिकी समुदाय के कारण हुआ।’’



जयशंकर ने कहा कि जब पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू 1949 में अमेरिका आए थे, तो यहां 3,000 भारतीय अमेरिकी थे। जब इंदिरा गांधी 1966 में अमेरिका आई थीं, तब 30,000 भारतीय-अमेरिकी थे और राजीव गांधी जब 1980 के दशक में अमेरिका आए थे, उस समय संख्या बढ़कर तीन लाख हो गई थी। उसकी तुलना में अमेरिका में अब 30 लाख से अधिक भारतीय-अमेरिकी हैं और यदि प्रवासी भारतीयों को भी जोड़ लिया जाए तो यह संख्या दोगुनी है।



उन्होंने कहा कि ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम एक तरह से एक ऐसे घटनाक्रम को प्रतिबिम्बित करता है, जो दुनिया का भविष्य होगा और प्रतिभा एक भौगोलिक स्थान से दूसरे स्थान में जाएगी।



जयशंकर ने कहा कि यह वास्तव में वैश्विक अर्थव्यवस्था में कुछ बड़ी प्रक्रियाओं की ओर इशारा करता है। यह उन भारतीय-अमेरिकियों के बारे में हैं, जो भारत के साथ अपने संबंधों को बरकरार रखने में बहुत सहज हैं।



कार्यक्रम में 50,000 भारतीय अमेरिकियों का एकत्र होना इन संबंधों की अनूठी प्रकृति को दर्शाता है।



उन्होंने कहा, ‘‘यदि आप सुरक्षा समेत संपूर्ण संबंधों की राजनीति की ओर देखते हैं तो हमने वास्तव में एक बहुत मुश्किल इतिहास, कभी-कभी शत्रुतापूर्ण संबंधों से आगे बढ़कर ऐसे संबंध विकसित किए हैं जिनमें भारतीय एवं अमेरिकी प्रणालियों के बीच संबंध बहुत सहज हैं।’’



जयशंकर ने कहा, ‘‘मैंने किसी को बताया था कि एक समय था, जब किसी भारतीय का पेंटागन में जाना वास्तव में अजीब बात होती थी। आज, जब यदि वे हमें हर घंटे नहीं देखते हैं, तो उन्हें हमारी याद आती है।’’



उनके यह कहते ही वहां ठहाके गूंज उठे।



जयशंकर ने कहा कि 15 साल पहले भारतीय सेना के पास अपने भंडार में वस्तुत: कोई अमेरिकी उपकरण नहीं था और आज भारत अमेरिकी विमान, दो अमेरिकी हेलीकॉप्टर उड़ाता है, उसके पास अमेरिकी तोपें और एक अमेरिकी पोत है।



उन्होंने कहा, ‘‘यह एक बड़ा बदलाव है। यह केवल उपकरणों की बात नहीं है। यह पूरी संस्कृति और समझ की बात है जो इनके साथ विकसित हुई है।’’



जयशंकर ने कहा, ‘‘भले ही शिक्षा की बात हो, प्रतिभा की बात हो, अर्थव्यवस्था की बात हो, रक्षा की बात हो, पर्यटन की बात हो, ये संबंध वास्तव में मजबूत हो रहे हैं।’’



उन्होंने कहा, ‘‘और हमारे सामने अब चुनौती यह है कि आप इस गति को बरकरार कैसे रखेंगे, इसे कैसे बढ़ाएंगे और नया क्षितिज कैसे देखेंगे। दुनिया का भविष्य देखिए, उस दुनिया में हमारा स्थान क्या होगा और हम इन संबंधों का सर्वाधिक फायदा कैसे उठा सकते हैं।’’


Conclusion:
Last Updated : Oct 2, 2019, 9:05 PM IST
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