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नोट्रे-डेम सभ्यता के सर्वश्रेष्ठ धरोहरों में से एक

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Published : Apr 16, 2019, 2:42 PM IST

नोट्रे-डेम सभ्यता के सर्वश्रेष्ठ धरोहरों में से एक है. इसका निर्माण 12वीं सदी में शुरू हुआ और 200 वर्ष तक चला.

नोट्रे-डेम

न्यूयॉर्क: कई युद्धों और क्रांतियों का गवाह बना नोट्रे-डेम कैथेड्रल गिरजाघर सदियों से अपनी बुनियाद पर मजबूती से खड़ा रहा है और इसे न केवल सर्वश्रेष्ठ गॉाथिक कैथेड्रल माना जाता है अपितु पाश्चात्य जगत की वास्तुकला के सर्वश्रेष्ठ रत्न के रूप में इसकी पहचान बनी हुई है.

एक प्रस्तरकला विशेषज्ञ के शब्दों में यह, 'सभ्यता के सर्वोत्तम स्मारकों में एक है'.

न्यूयार्क के मेट्रोपॉलिटन म्यूज़ियम ऑफ़ आर्टएक वरिष्ठ क्यूरेटर बारबरा ड्रेक बोहेम ने रूंधी आवाज में कहा, 'सभ्यता बहुत ही क्षणभंगुर है'.

बारबरा ने कहा कि 'यह प्रस्तर निर्मित महान विशाल स्मारक 1163 से अपनी जगह पर खड़ा है। तब से इसने अनेक झंझावत देखे। यह केवल एक पत्थर भर नहीं है, एक शीशे का टुकड़ा नहीं-यह संपूर्णता है'.

पढ़ें- पेरिस: 850 साल पुराना गिरजाघर आग लगने से तबाह, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने जताया दुख

उन्होंने कहा कि यह पेरिस की आत्मा है, लेकिन यह सिर्फ फ्रांस के लोगों का नहीं है. यह पूरी मानवजाति के लिए है, यह सभ्यता की सर्वश्रेष्ठ धरोहरों में से एक है.

आपको बता दें कि नोट्रे-डेम का निर्माण 12वीं सदी में शुरू हुआ था. जो करीब 200 वर्ष तक चला. हालांकि फ्रांस क्रांति के दौरान यह क्षतिग्रस्त भी हुआ.

सन 1831 में विक्टर ह्यूगो के उपन्यास ‘द हंचबैक ऑफ नोट्रे-डेम के प्रकाशन के बाद इसने फिर लोगों का ध्यान आकर्षित किया. जिसके बाद इसका दोबारा निर्माण हुआ.

न्यूयॉर्क: कई युद्धों और क्रांतियों का गवाह बना नोट्रे-डेम कैथेड्रल गिरजाघर सदियों से अपनी बुनियाद पर मजबूती से खड़ा रहा है और इसे न केवल सर्वश्रेष्ठ गॉाथिक कैथेड्रल माना जाता है अपितु पाश्चात्य जगत की वास्तुकला के सर्वश्रेष्ठ रत्न के रूप में इसकी पहचान बनी हुई है.

एक प्रस्तरकला विशेषज्ञ के शब्दों में यह, 'सभ्यता के सर्वोत्तम स्मारकों में एक है'.

न्यूयार्क के मेट्रोपॉलिटन म्यूज़ियम ऑफ़ आर्टएक वरिष्ठ क्यूरेटर बारबरा ड्रेक बोहेम ने रूंधी आवाज में कहा, 'सभ्यता बहुत ही क्षणभंगुर है'.

बारबरा ने कहा कि 'यह प्रस्तर निर्मित महान विशाल स्मारक 1163 से अपनी जगह पर खड़ा है। तब से इसने अनेक झंझावत देखे। यह केवल एक पत्थर भर नहीं है, एक शीशे का टुकड़ा नहीं-यह संपूर्णता है'.

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उन्होंने कहा कि यह पेरिस की आत्मा है, लेकिन यह सिर्फ फ्रांस के लोगों का नहीं है. यह पूरी मानवजाति के लिए है, यह सभ्यता की सर्वश्रेष्ठ धरोहरों में से एक है.

आपको बता दें कि नोट्रे-डेम का निर्माण 12वीं सदी में शुरू हुआ था. जो करीब 200 वर्ष तक चला. हालांकि फ्रांस क्रांति के दौरान यह क्षतिग्रस्त भी हुआ.

सन 1831 में विक्टर ह्यूगो के उपन्यास ‘द हंचबैक ऑफ नोट्रे-डेम के प्रकाशन के बाद इसने फिर लोगों का ध्यान आकर्षित किया. जिसके बाद इसका दोबारा निर्माण हुआ.

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