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एमआईटी और हार्वर्ड ने बनाया अनोखा फेस मास्क, जानिए क्या है खास

कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए एमआईटी और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने ऐसा फेस मास्क बनाया है जो कोविड-19 संक्रमण का पता लगा सकता है.

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Published : Jun 30, 2021, 5:52 PM IST

बोस्टन : एमआईटी और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं ने एक नए फेस मास्क का डिजाइन तैयार किया है जिसे पहनने के डेढ़ घंटे के अंदर पता चल सकता है कि उसे पहनने वाले को सार्स-सीओवी-2 या कोरोना वायरस का संक्रमण तो नहीं है.

पत्रिका 'नेचर बायोटेक्नोलॉजी' में इस मास्क डिजाइन का उल्लेख है. इसके ऊपर छोटे-छोटे डिस्पोजेबल सेंसर लगे होते हैं जिन्हें दूसरे मास्क में भी लगाया जा सकता है और इनसे अन्य वायरसों के संक्रमण का भी पता चल सकता है.

अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार, इन सेंसरों को न केवल फेस मास्क पर बल्कि प्रयोगशालाओं में स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले कोट जैसे परिधान आदि पर भी लगाया जा सकता है. इस तरइ इनसे स्वास्थ्य कर्मियों को वायरस के संभावित खतरे पर नजर रखी जा सकती है.

पढ़ें :- पश्चिम बंगाल की दिगंतिका द्वारा आविष्कार किए गए मास्क को गूगल म्यूजियम में मिली जगह

अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) में प्रोफेसर जेम्स कॉलिन्स ने कहा, हमने देखा कि वायरस या बैक्टीरियल न्यूक्लिक एसिड का पता लगाने के लिए कई तरह के सिंथेटिक जैविक सेंसर का उपयोग किया जा सकता है. इनसे कई जहरीले रसायनों का भी पता चल सकता है.

(पीटीआई-भाषा)

बोस्टन : एमआईटी और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं ने एक नए फेस मास्क का डिजाइन तैयार किया है जिसे पहनने के डेढ़ घंटे के अंदर पता चल सकता है कि उसे पहनने वाले को सार्स-सीओवी-2 या कोरोना वायरस का संक्रमण तो नहीं है.

पत्रिका 'नेचर बायोटेक्नोलॉजी' में इस मास्क डिजाइन का उल्लेख है. इसके ऊपर छोटे-छोटे डिस्पोजेबल सेंसर लगे होते हैं जिन्हें दूसरे मास्क में भी लगाया जा सकता है और इनसे अन्य वायरसों के संक्रमण का भी पता चल सकता है.

अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार, इन सेंसरों को न केवल फेस मास्क पर बल्कि प्रयोगशालाओं में स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले कोट जैसे परिधान आदि पर भी लगाया जा सकता है. इस तरइ इनसे स्वास्थ्य कर्मियों को वायरस के संभावित खतरे पर नजर रखी जा सकती है.

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अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) में प्रोफेसर जेम्स कॉलिन्स ने कहा, हमने देखा कि वायरस या बैक्टीरियल न्यूक्लिक एसिड का पता लगाने के लिए कई तरह के सिंथेटिक जैविक सेंसर का उपयोग किया जा सकता है. इनसे कई जहरीले रसायनों का भी पता चल सकता है.

(पीटीआई-भाषा)

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