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महिलाओं को कार्यस्थल पर पुरुष सहयोगियों की क्यों पड़ती है जरूरत: शोध

शोध से पता चला है कि पुरुषों का समर्थन नहीं मिलने पर महिलाओं को कार्यस्थल पर महिला विरोधी व्यंग्यों, चुटकुलों से जूझना पड़ता है. इससे उनमें अलगाव, तनाव और थकावट की भावना पैदा हो सकती है, लेकिन पुरुषों के साथ देने से लिंगभेद की लड़ाई में क्या बदलाव आता है? शोध के तहत अमेरिका और कनाडा में 64 अध्ययन विश्वविद्यालयों में पुरुषों के दबदबे वाले विभागों में पुरुष और महिला सहयोगियों की 101 जोड़ियों को चुना गया.

शोध
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Published : Jul 22, 2021, 8:19 PM IST

वॉशिंगटन : लैंगिक समानता (gender equality) की वकालत करने वाली महिलाएं और समूह कार्यस्थल पर महिला विरोधी टिप्पणियों (Anti women comments at workplace), हालात से निपटने में पुरुषों से सहयोगी बनने का आग्रह कर रहे हैं.

शोध से पता चला है कि पुरुषों का समर्थन (men support) नहीं मिलने पर महिलाओं को कार्यस्थल पर महिला विरोधी व्यंग्यों, चुटकुलों से जूझना पड़ता है. इससे उनमें अलगाव, तनाव और थकावट की भावना पैदा हो सकती है, लेकिन पुरुषों के साथ देने से लिंगभेद की लड़ाई में क्या बदलाव आता है?

शोध में पाया गया कि पुरुष सहयोगियों के महिला सहयोगियों की ताकत को रेखांकित करने, उनका ख्याल रखने जैसे छोटे-मोटे कदमों से उन्हें मदद मिल जाती है. महिलाओं को इससे लिंगभेद के नकारात्मक विचारों से खुद को दूर रखने में मदद मिलती है.

शोध में यह देखा गया कि पुरुषों पर इसका क्या असर पड़ता है. यह शोध 'सायकोलॉजी ऑफ मेन एंड मैसकुलिनिटीज' (Psychology of Men and Masculinities) में प्रकाशित हुआ है.

पढ़ें- अमेरिका : आईआईटी मुंबई के पूर्व छात्रों ने संस्थान के लिए पांच करोड़ डॉलर का दान एकत्र किया

शोध के तहत अमेरिका और कनाडा में 64 अध्ययन विश्वविद्यालयों में पुरुषों के दबदबे वाले विभागों में पुरुष और महिला सहयोगियों की 101 जोड़ियों को चुना गया. विभागों के प्रमुखों से सर्वेक्षण में महिला सदस्यों को शामिल करने के लिए कहा गया और उनसे एक पुरुष सहयोगी का नाम बताने को कहा गया, जिनके साथ अक्सर वह काम करती हैं.

महिलाओं से पूछा गया कि, जिन पुरुष सहयोगियों का उन्होंने नाम लिया है वह किस तरह का व्यवहार करते हैं, जैसे कि महिला विरोधी टिप्पणी या भेदभाव पर उनका क्या रुख रहता है? महिलाओं से यह भी पूछा गया कि क्या उन्हें ऐसा लगता है कि सहयोगी उनके काम की तारीफ करते हैं?

पुरुषों से पूछा गया कि वे सहयोगी के तौर पर कैसा व्यवहार करते हैं? उनसे कुछ खास अनुभवों को साझा करने को कहा गया. शोध में यह भी पूछा गया कि महिलाओं की मदद करते हुए और उन्हें नए कौशल के लिए बताते हुए उनको कैसा लगा?

पढ़ें- ईरान में जल संकट के बीच मोबाइल इंटरनेट व्यवधान

निष्कर्ष है कि महिलाओं का जितना समावेश होगा पुरुषों की उतनी उन्नति होगी. शोध के तहत आधे से कम महिलाओं ने अपने पुरुष सहयोगी को एक मजबूत सहयोगी बताया. पुरुषों के वर्चस्व वाले कार्यस्थल पर पुरुष सहयोगी होने से महिलाओं को सहायता मिलती है और वह उत्साह के साथ काम करती हैं. इस रुझान के दूरगामी नतीजे होंगे.

अगर महिलाएं ऊर्जावान और जुड़ाव महसूस करेंगी तो उनके काम छोड़ने की तुलना में नियोक्ता से जुड़े रहने और लिंगभेद वाले कार्यस्थल पर बदलाव लाने की संभावना है.

जो पुरुष महिला सहयोगियों की मदद करते हैं, उनके भी आगे बढ़ने की संभावना रहती है और नए कौशल भी सीखते हैं. साथ ही बेहतर पिता, पति, भाई, बेटा और दोस्त बनते हैं. इस रुझान से संकेत मिलता है कि महिलाओं का पुरुष सहयोगी होने से कार्यस्थल पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है.

(मेग वारेन, प्रबंधन के एसोसिएट प्राफेसर, वेस्टर्न वाशिंगटन विश्वविद्यालय)

(द कन्वरसेशन)

वॉशिंगटन : लैंगिक समानता (gender equality) की वकालत करने वाली महिलाएं और समूह कार्यस्थल पर महिला विरोधी टिप्पणियों (Anti women comments at workplace), हालात से निपटने में पुरुषों से सहयोगी बनने का आग्रह कर रहे हैं.

शोध से पता चला है कि पुरुषों का समर्थन (men support) नहीं मिलने पर महिलाओं को कार्यस्थल पर महिला विरोधी व्यंग्यों, चुटकुलों से जूझना पड़ता है. इससे उनमें अलगाव, तनाव और थकावट की भावना पैदा हो सकती है, लेकिन पुरुषों के साथ देने से लिंगभेद की लड़ाई में क्या बदलाव आता है?

शोध में पाया गया कि पुरुष सहयोगियों के महिला सहयोगियों की ताकत को रेखांकित करने, उनका ख्याल रखने जैसे छोटे-मोटे कदमों से उन्हें मदद मिल जाती है. महिलाओं को इससे लिंगभेद के नकारात्मक विचारों से खुद को दूर रखने में मदद मिलती है.

शोध में यह देखा गया कि पुरुषों पर इसका क्या असर पड़ता है. यह शोध 'सायकोलॉजी ऑफ मेन एंड मैसकुलिनिटीज' (Psychology of Men and Masculinities) में प्रकाशित हुआ है.

पढ़ें- अमेरिका : आईआईटी मुंबई के पूर्व छात्रों ने संस्थान के लिए पांच करोड़ डॉलर का दान एकत्र किया

शोध के तहत अमेरिका और कनाडा में 64 अध्ययन विश्वविद्यालयों में पुरुषों के दबदबे वाले विभागों में पुरुष और महिला सहयोगियों की 101 जोड़ियों को चुना गया. विभागों के प्रमुखों से सर्वेक्षण में महिला सदस्यों को शामिल करने के लिए कहा गया और उनसे एक पुरुष सहयोगी का नाम बताने को कहा गया, जिनके साथ अक्सर वह काम करती हैं.

महिलाओं से पूछा गया कि, जिन पुरुष सहयोगियों का उन्होंने नाम लिया है वह किस तरह का व्यवहार करते हैं, जैसे कि महिला विरोधी टिप्पणी या भेदभाव पर उनका क्या रुख रहता है? महिलाओं से यह भी पूछा गया कि क्या उन्हें ऐसा लगता है कि सहयोगी उनके काम की तारीफ करते हैं?

पुरुषों से पूछा गया कि वे सहयोगी के तौर पर कैसा व्यवहार करते हैं? उनसे कुछ खास अनुभवों को साझा करने को कहा गया. शोध में यह भी पूछा गया कि महिलाओं की मदद करते हुए और उन्हें नए कौशल के लिए बताते हुए उनको कैसा लगा?

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निष्कर्ष है कि महिलाओं का जितना समावेश होगा पुरुषों की उतनी उन्नति होगी. शोध के तहत आधे से कम महिलाओं ने अपने पुरुष सहयोगी को एक मजबूत सहयोगी बताया. पुरुषों के वर्चस्व वाले कार्यस्थल पर पुरुष सहयोगी होने से महिलाओं को सहायता मिलती है और वह उत्साह के साथ काम करती हैं. इस रुझान के दूरगामी नतीजे होंगे.

अगर महिलाएं ऊर्जावान और जुड़ाव महसूस करेंगी तो उनके काम छोड़ने की तुलना में नियोक्ता से जुड़े रहने और लिंगभेद वाले कार्यस्थल पर बदलाव लाने की संभावना है.

जो पुरुष महिला सहयोगियों की मदद करते हैं, उनके भी आगे बढ़ने की संभावना रहती है और नए कौशल भी सीखते हैं. साथ ही बेहतर पिता, पति, भाई, बेटा और दोस्त बनते हैं. इस रुझान से संकेत मिलता है कि महिलाओं का पुरुष सहयोगी होने से कार्यस्थल पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है.

(मेग वारेन, प्रबंधन के एसोसिएट प्राफेसर, वेस्टर्न वाशिंगटन विश्वविद्यालय)

(द कन्वरसेशन)

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