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रूस के साथ S-400 सौदे के चलते भारत पर लग सकती हैं अमेरिकी पाबंदियां

भारत ने इस मिसाइल प्रणाली के लिए रूस को 2019 में 80 करोड़ डॉलर की पहली किश्त का भुगतान किया. एस-400 रूस की सबसे उन्नत लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल के रूप में जानी जाती है.

अमेरिकी पाबंदियां
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Published : Jan 5, 2021, 12:30 PM IST

वॉशिंगटन : अमेरिकी कांग्रेस से जुड़ी एक रिपोर्ट में चेतावनी दी गयी है कि रूस निर्मित एस-400 वायु रक्षा प्रणाली खरीदने के लिए अरबों डॉलर के भारत के सौदे को लेकर अमेरिका उस पर पाबंदियां लगा सकता है.

अमेरिकी (संसद) कांग्रेस के स्वतंत्र एवं द्विदलीय शोध निकाय 'कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस' (सीआरएस) ने कांग्रेस को सौंपी अपनी नवीनतम रिपोर्ट में कहा, भारत 'और प्रौद्योगिकी साझा करने और सह निर्माण पहल के लिए इच्छुक है, जबकि अमेरिका भारत की रक्षा 'ऑफसेट' नीति में और सुधार एवं रक्षा के क्षेत्र में उच्च प्रत्यक्ष विदेशी निवेश सीमा की अपील करता है.

यह रिपोर्ट कांग्रेस के सदस्यों के वास्ते सुविचारित निर्णय लेने के लिए तैयार की गयी है. उसमें चेतावनी दी गई कि रूस निर्मित एस-400 वायु रक्षा प्रणाली खरीदने के भारत के अरबों डॉलर के सौदे के कारण अमेरिका 'काउंटरिंग अमेरिकाज एडवरसरीज थ्रू सैंक्संस एक्ट' (पाबंदियों के द्वारा दुश्मनों का मुकाबला करने संबंधित कानून) के तहत भारत पर पाबंदियां लगा सकता है.

वैसे सीआरएस रिपोर्ट अमेरिकी कांग्रेस की आधिकारिक रिपोर्ट नहीं होती और न ही वे सांसदों के विचार की झलक पेश करती हैं. वे स्वतंत्र विशेषज्ञों द्वारा सांसदों के लिए तैयार की जाती है, ताकि वे सारी बातें समझने के बाद सोच-समझकर निर्णय लें.

पढ़ें : ब्रिटेन में फिर लगा लॉकडाउन, फरवरी माह के मध्य तक रहेगा प्रभावी

अक्टूबर, 2018 में भारत ने ट्रंप प्रशासन की चेतावनी के बाद भी चार एस-400 खरीदने के लिए रूस के साथ पांच अरब डॉलर का सौदा किया था. ट्रंप प्रशासन ने चेतावनी दी कि ऐसा करने से भारत पर अमेरिकी पाबंदियां लग सकती है.

भारत ने इस मिसाइल प्रणाली के लिए रूस को 2019 में 80 करोड़ डॉलर की पहली किश्त का भुगतान किया.

एस-400 रूस की सबसे उन्नत लंबी दूरी तक सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल के रूप में जानी जाती है. पिछले महीने रूस ने कहा था कि अमेरिकी पाबंदियों की धमकी के बावजूद एस-400 मिसाइल प्रणाली की पहले खेप की आपूर्ति समेत वर्तमान रक्षा सौदों को अमलीजामा पहनाया जा रहा है.

पिछले महीने नयी दिल्ली में रूसी राजदूत निकोलाय कुदाशेव ढाई अरब डॉलर सौदे के तहत एस-400 मिसाइल प्रणाली की खरीद को लेकर तुर्की पर अमेरिकी पाबंदियों की आलोचना करते प्रतीत हुए थे और उन्होंने कहा था कि रूस ऐसी एकतरफा कार्रवाइयों को मान्यता नहीं देता.

वॉशिंगटन : अमेरिकी कांग्रेस से जुड़ी एक रिपोर्ट में चेतावनी दी गयी है कि रूस निर्मित एस-400 वायु रक्षा प्रणाली खरीदने के लिए अरबों डॉलर के भारत के सौदे को लेकर अमेरिका उस पर पाबंदियां लगा सकता है.

अमेरिकी (संसद) कांग्रेस के स्वतंत्र एवं द्विदलीय शोध निकाय 'कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस' (सीआरएस) ने कांग्रेस को सौंपी अपनी नवीनतम रिपोर्ट में कहा, भारत 'और प्रौद्योगिकी साझा करने और सह निर्माण पहल के लिए इच्छुक है, जबकि अमेरिका भारत की रक्षा 'ऑफसेट' नीति में और सुधार एवं रक्षा के क्षेत्र में उच्च प्रत्यक्ष विदेशी निवेश सीमा की अपील करता है.

यह रिपोर्ट कांग्रेस के सदस्यों के वास्ते सुविचारित निर्णय लेने के लिए तैयार की गयी है. उसमें चेतावनी दी गई कि रूस निर्मित एस-400 वायु रक्षा प्रणाली खरीदने के भारत के अरबों डॉलर के सौदे के कारण अमेरिका 'काउंटरिंग अमेरिकाज एडवरसरीज थ्रू सैंक्संस एक्ट' (पाबंदियों के द्वारा दुश्मनों का मुकाबला करने संबंधित कानून) के तहत भारत पर पाबंदियां लगा सकता है.

वैसे सीआरएस रिपोर्ट अमेरिकी कांग्रेस की आधिकारिक रिपोर्ट नहीं होती और न ही वे सांसदों के विचार की झलक पेश करती हैं. वे स्वतंत्र विशेषज्ञों द्वारा सांसदों के लिए तैयार की जाती है, ताकि वे सारी बातें समझने के बाद सोच-समझकर निर्णय लें.

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अक्टूबर, 2018 में भारत ने ट्रंप प्रशासन की चेतावनी के बाद भी चार एस-400 खरीदने के लिए रूस के साथ पांच अरब डॉलर का सौदा किया था. ट्रंप प्रशासन ने चेतावनी दी कि ऐसा करने से भारत पर अमेरिकी पाबंदियां लग सकती है.

भारत ने इस मिसाइल प्रणाली के लिए रूस को 2019 में 80 करोड़ डॉलर की पहली किश्त का भुगतान किया.

एस-400 रूस की सबसे उन्नत लंबी दूरी तक सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल के रूप में जानी जाती है. पिछले महीने रूस ने कहा था कि अमेरिकी पाबंदियों की धमकी के बावजूद एस-400 मिसाइल प्रणाली की पहले खेप की आपूर्ति समेत वर्तमान रक्षा सौदों को अमलीजामा पहनाया जा रहा है.

पिछले महीने नयी दिल्ली में रूसी राजदूत निकोलाय कुदाशेव ढाई अरब डॉलर सौदे के तहत एस-400 मिसाइल प्रणाली की खरीद को लेकर तुर्की पर अमेरिकी पाबंदियों की आलोचना करते प्रतीत हुए थे और उन्होंने कहा था कि रूस ऐसी एकतरफा कार्रवाइयों को मान्यता नहीं देता.

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