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वनीता गुप्ता ने अमेरिका की पहली भारतीय मूल की सहयोगी अटॉर्नी जनरल बनकर रचा इतिहास - पहली भारतीय मूल की सहयोगी अटॉर्नी जनरल

वनीता गुप्ता अमेरिका की सहयोगी अटॉर्नी जनरल बन गई हैं. वह इस पद पर चुनी जाने वाली पहली भारतीय मूल की महिला बन गई हैं. जो बाइडेन ने उन्हें बधाई दी है.

Vanita Gupta
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Published : Apr 22, 2021, 3:29 PM IST

वॉशिंगटन : भारतीय मूल की प्रमुख अमेरिकी नागरिक अधिकारों की वकील वनीता गुप्ता को अमेरिका की संसद ने सहयोगी अटॉर्नी जनरल के पद के लिए चुना है जिसके बाद वह पहली अश्वेत व्यक्ति बन गई हैं जो न्याय मंत्रालय में तीसरे सबसे बड़े पद पर काबिज होंगी.

सीनेट में गुप्ता के पक्ष में 51 वोट पड़े जबकि 49 सांसदों ने उनके खिलाफ मत डाले. रिपब्लिकन सीनेटर लीजा मुरकोवस्की ने खुद को अपनी पार्टी के रुख से अलग करते हुए गुप्ता का समर्थन में वोट किया. इससे डेमोक्रेट्स के पक्ष में 51 मत हो गए और ऐतिहासिक रूप से गुप्ता के नाम की पुष्टि हुई.

बराबर मत पड़ने की सूरत में उपराष्ट्रपति कमला हैरिस अपना वोट डालने के लिए सीनेट में मौजूद थीं. अमेरिका में 100 सदस्यीय सीनेट में दोनों पार्टियों के 50-50 सदस्य हैं.

राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा, सहयोगी अटॉर्नी जनरल के तौर पर सेवा देने के लिए पहली अश्वेत महिला के रूप में इतिहास रचने के लिए वनीता गुप्ता को बधाई. अब, मैं सीनेट से क्रिस्टन क्लार्क के नाम की भी पुष्टि करने की अपील करता हूं. दोनों बेहद योग्य हैं, अति सम्मानित वकील हैं जो नस्ली समानता एवं न्याय को बेहतर बनाने के प्रति समर्पित हैं.

गुप्ता पहली नागरिक अधिकार वकील भी हैं जो न्याय मंत्रालय के शीर्ष तीन पदों में से एक पर सेवा देंगी.

सीनेट के बहुमत के नेता चक शूमर ने गुप्ता के नाम की पुष्टि में अहम भूमिका निभाई.

उन्होंने कहा, वह हमारी संघीय कानून प्रवर्तन एजेंसी में लंबे समय से अपेक्षित नजरिया लाएंगी.

भारतीय आव्रजकों की बेटी गुप्ता फिलाडेल्फिया इलाके में जन्मी और पली-बढ़ी हैं. नागरिक अधिकारों के लिए लड़ने का उनका शानदार करियर रहा है.

पढ़ें :- जो बाइडेन ने की वनिता गुप्ता की तारीफ, कहा- उन्होंने भारतीय प्रवासियों का गौरवान्वित किया

उन्होंने येल विश्वविद्यालय से अपनी बीए की डिग्री प्राप्त की और न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय से ज्यूरिस डॉक्टर की डिग्री ली.

गुप्ता ने 28 साल की उम्र में अपने करियर की शुरूआत 'एनएएसीपी कानूनी बचाव कोष' से की थी जहां उन्होंने टेक्सास में 38 अश्वेत अमेरिकियों को नशीली दवाओं के मामलों में गलत तरीके से दोषी ठहराने के फैसलों को पलटने में सफलता हासिल की थी.

अमेरिकी नागरिक स्वतंत्रता संघ (एसीएलयू) में कार्यरत रहने के दौरान उन्होंने सामूहिक कैद को समाप्त करने की लड़ाई लड़ी और शरणार्थी बच्चों की तरफ से आप्रवासन एवं सीमा शुल्क प्रवर्तन (आईसीए) के खिलाफ ऐतिहासिक समझौता हासिल किया था जिससे केंद्र में परिवारों को हिरासत में रखने की व्यवस्था समाप्त हुई.

2014 से 2017 तक गुप्ता ने पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के तहत नागरिक अधिकारों के लिए सहायक अटॉर्नी जनरल के तौर पर सेवा दी.

भारतीय-अमेरिकी समूहों ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर गुप्ता को बधाई दी है.

वॉशिंगटन : भारतीय मूल की प्रमुख अमेरिकी नागरिक अधिकारों की वकील वनीता गुप्ता को अमेरिका की संसद ने सहयोगी अटॉर्नी जनरल के पद के लिए चुना है जिसके बाद वह पहली अश्वेत व्यक्ति बन गई हैं जो न्याय मंत्रालय में तीसरे सबसे बड़े पद पर काबिज होंगी.

सीनेट में गुप्ता के पक्ष में 51 वोट पड़े जबकि 49 सांसदों ने उनके खिलाफ मत डाले. रिपब्लिकन सीनेटर लीजा मुरकोवस्की ने खुद को अपनी पार्टी के रुख से अलग करते हुए गुप्ता का समर्थन में वोट किया. इससे डेमोक्रेट्स के पक्ष में 51 मत हो गए और ऐतिहासिक रूप से गुप्ता के नाम की पुष्टि हुई.

बराबर मत पड़ने की सूरत में उपराष्ट्रपति कमला हैरिस अपना वोट डालने के लिए सीनेट में मौजूद थीं. अमेरिका में 100 सदस्यीय सीनेट में दोनों पार्टियों के 50-50 सदस्य हैं.

राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा, सहयोगी अटॉर्नी जनरल के तौर पर सेवा देने के लिए पहली अश्वेत महिला के रूप में इतिहास रचने के लिए वनीता गुप्ता को बधाई. अब, मैं सीनेट से क्रिस्टन क्लार्क के नाम की भी पुष्टि करने की अपील करता हूं. दोनों बेहद योग्य हैं, अति सम्मानित वकील हैं जो नस्ली समानता एवं न्याय को बेहतर बनाने के प्रति समर्पित हैं.

गुप्ता पहली नागरिक अधिकार वकील भी हैं जो न्याय मंत्रालय के शीर्ष तीन पदों में से एक पर सेवा देंगी.

सीनेट के बहुमत के नेता चक शूमर ने गुप्ता के नाम की पुष्टि में अहम भूमिका निभाई.

उन्होंने कहा, वह हमारी संघीय कानून प्रवर्तन एजेंसी में लंबे समय से अपेक्षित नजरिया लाएंगी.

भारतीय आव्रजकों की बेटी गुप्ता फिलाडेल्फिया इलाके में जन्मी और पली-बढ़ी हैं. नागरिक अधिकारों के लिए लड़ने का उनका शानदार करियर रहा है.

पढ़ें :- जो बाइडेन ने की वनिता गुप्ता की तारीफ, कहा- उन्होंने भारतीय प्रवासियों का गौरवान्वित किया

उन्होंने येल विश्वविद्यालय से अपनी बीए की डिग्री प्राप्त की और न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय से ज्यूरिस डॉक्टर की डिग्री ली.

गुप्ता ने 28 साल की उम्र में अपने करियर की शुरूआत 'एनएएसीपी कानूनी बचाव कोष' से की थी जहां उन्होंने टेक्सास में 38 अश्वेत अमेरिकियों को नशीली दवाओं के मामलों में गलत तरीके से दोषी ठहराने के फैसलों को पलटने में सफलता हासिल की थी.

अमेरिकी नागरिक स्वतंत्रता संघ (एसीएलयू) में कार्यरत रहने के दौरान उन्होंने सामूहिक कैद को समाप्त करने की लड़ाई लड़ी और शरणार्थी बच्चों की तरफ से आप्रवासन एवं सीमा शुल्क प्रवर्तन (आईसीए) के खिलाफ ऐतिहासिक समझौता हासिल किया था जिससे केंद्र में परिवारों को हिरासत में रखने की व्यवस्था समाप्त हुई.

2014 से 2017 तक गुप्ता ने पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के तहत नागरिक अधिकारों के लिए सहायक अटॉर्नी जनरल के तौर पर सेवा दी.

भारतीय-अमेरिकी समूहों ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर गुप्ता को बधाई दी है.

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