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फार-यूवीसी किरणें हवा में फैले 99 फीसदी कोरोना वायरस को करेगी खत्म

कोलम्बिया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का दावा है कि एक खास तरह की अल्ट्रा वॉयलेट किरणों से हवा में मौजूद 99% कोरोना वायरस खत्म किया जा सकता है. शोधकर्ताओं का कहना है कि फार-यूवीसी किरणें जीवाणुओं और वायरस को खत्म करती हैं और यह इंसानों के शरीर को नुकसान भी नहीं पहुंचातीं हैं.

Columbia University Researchers
कोलंबिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं
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Published : Jun 28, 2020, 4:31 AM IST

न्यूयॉर्क : कोलम्बिया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का दावा है कि एक खास तरह की अल्ट्रा वॉयलेट किरणों से हवा में मौजूद 99% कोरोना वायरस खत्म किया जा सकता है. शोधकर्ताओं का कहना है कि फार-यूवीसी किरणें जीवाणुओं और वायरस को खत्म करती हैं और यह इंसानों के शरीर को नुकसान भी नहीं पहुंचातीं हैं.

अध्ययन में पाया गया है कि 99.9 फीसदी कोरोना वायरस एयरबॉर्न ड्रॉपलेट्स में मौजूद होते हैं, जो की पराबैंगनी प्रकाश की एक विशेष तरंग दैर्ध्य (वेव लेंथ) के संपर्क में आने से खत्म हो जाते हैं.

कोलंबिया विश्वविद्यालय के इरविंग मेडिकल सेंटर में किए गए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने दो सामान्य कोरोना वायरस को एरोसोलाइज़ करने के लिए एक धुंधले डिवाइस का इस्तेमाल किया है. जिसमें पाया गया कि 99.9 प्रतिशत वायरस फार-यूवीसी प्रकाश के संपर्क में आने के बाद मार गए थे.

शोधकर्ताओं द्वारा अनुमान के मुताबिक, फार-यूवीसी (far-UVC ) प्रकाश के निरंतर संपर्क से आठ मिनट में 90 प्रतिशत वायरस मार सकेगी. 11 मिनट में 95 प्रतिशत, 16 मिनट में 99 प्रतिशत, 25 मिनट में 99.9 प्रतिशत वायरस मारे जाएंगे.

शोधकर्ताओं के अनुसार, इस अवधारणा को इनडोर किया जाना चाहिए, जिससें हम संक्रमण की रोकथाम से बच सकते हैं और इन्फ्लूएंजा जैसे अन्य वायरस का जोखिम भी कम हो सकता है.

पढ़े : ब्रिटेन : कोरोना वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल शुरू, जल्द दवा बनने की उम्मीद

फार-यूवीसी किरणें जीवाणुओं और वायरस को खत्म करती हैं और यह इंसानों के शरीर को नुकसान भी नहीं पहुंचातीं हैं. शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया कि इसका उपयोग अस्पतालों, बसों, विमानों, स्कूलों, रेस्तरां, कार्यालयों, जिम और यहां तक ​​कि सिनेमाघरों में किया जा सकता है.

न्यूयॉर्क : कोलम्बिया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का दावा है कि एक खास तरह की अल्ट्रा वॉयलेट किरणों से हवा में मौजूद 99% कोरोना वायरस खत्म किया जा सकता है. शोधकर्ताओं का कहना है कि फार-यूवीसी किरणें जीवाणुओं और वायरस को खत्म करती हैं और यह इंसानों के शरीर को नुकसान भी नहीं पहुंचातीं हैं.

अध्ययन में पाया गया है कि 99.9 फीसदी कोरोना वायरस एयरबॉर्न ड्रॉपलेट्स में मौजूद होते हैं, जो की पराबैंगनी प्रकाश की एक विशेष तरंग दैर्ध्य (वेव लेंथ) के संपर्क में आने से खत्म हो जाते हैं.

कोलंबिया विश्वविद्यालय के इरविंग मेडिकल सेंटर में किए गए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने दो सामान्य कोरोना वायरस को एरोसोलाइज़ करने के लिए एक धुंधले डिवाइस का इस्तेमाल किया है. जिसमें पाया गया कि 99.9 प्रतिशत वायरस फार-यूवीसी प्रकाश के संपर्क में आने के बाद मार गए थे.

शोधकर्ताओं द्वारा अनुमान के मुताबिक, फार-यूवीसी (far-UVC ) प्रकाश के निरंतर संपर्क से आठ मिनट में 90 प्रतिशत वायरस मार सकेगी. 11 मिनट में 95 प्रतिशत, 16 मिनट में 99 प्रतिशत, 25 मिनट में 99.9 प्रतिशत वायरस मारे जाएंगे.

शोधकर्ताओं के अनुसार, इस अवधारणा को इनडोर किया जाना चाहिए, जिससें हम संक्रमण की रोकथाम से बच सकते हैं और इन्फ्लूएंजा जैसे अन्य वायरस का जोखिम भी कम हो सकता है.

पढ़े : ब्रिटेन : कोरोना वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल शुरू, जल्द दवा बनने की उम्मीद

फार-यूवीसी किरणें जीवाणुओं और वायरस को खत्म करती हैं और यह इंसानों के शरीर को नुकसान भी नहीं पहुंचातीं हैं. शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया कि इसका उपयोग अस्पतालों, बसों, विमानों, स्कूलों, रेस्तरां, कार्यालयों, जिम और यहां तक ​​कि सिनेमाघरों में किया जा सकता है.

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