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कोविड-19 से सात मिलियन बच्चों को हो सकता है कुपोषण : संयुक्त राष्ट्र

कोरोना वायरस महामारी दुनिया भर में भोजन वितरण में बाधा डाल रही है, जिसका गंभीर प्रभाव बच्चों पर पड़ रहा है. लांसेट पत्रिका में प्रकाशित एक विश्लेषण में डब्ल्यूएचओ, विश्व खाद्य कार्यक्रम, यूनिसेफ और एफएओ के चार संयुक्त राष्ट्र निकाय के प्रमुख संगठनों के नेताओं ने लिखा कि संकट दुनिया भर में पोषण को कम कर रहा है, विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Aug 16, 2020, 6:02 PM IST

COVID19
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वाशिंगटन : केंद्रीय राष्ट्रों ने प्रकाशित एक विश्लेषण में कहा कि कोरोना वायरस महामारी के कारण अभूतपूर्व आर्थिक और स्वास्थ्य संकट के कारण दुनिया भर में लगभग सात मिलियन बच्चे गंभीर कुपोषण से पीड़ित हो सकते हैं. विश्लेषण के अनुसार इन बच्चों में से 80% उप सहारा अफ्रिका और दक्षिण पूर्व एशिया से होंगे.

दी लांसेट जर्नल में प्रकाशित विश्लेषण में चार संयुक्त राष्ट्र निकाय के प्रमुख डब्ल्यूएचओ, विश्व खाद्य कार्यक्रम, यूनिसेफ और एफएओ के अनुसार कोविड-19 महामारी दुनिया में विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में पोषण को कम कर रही है, जिसका असर छोटे बच्चों पर पड़ रहा है. उनके आहार की बिगड़ती गुणवत्ता, पोषण सेवाओं की रुकावट और महामारी से उत्पन्न होने वाली परेशानियों के कारण सबसे अधिक बच्चे और महिलाएं कुपोषित हो रही हैं.

खाद्य आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान से बच्चों के आहार की गुणवत्ता में कमी आई है. उन्होंने कहा कि घरेलू गरीबी और खाद्य असुरक्षा की दर में वृद्धि हुई है. आवश्यक पोषण सेवाओं और आपूर्ति श्रृंखला बाधित हो गई है. खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ गई हैं. जिसके परिणामस्वरूप बच्चों के आहार की गुणवत्ता में गिरावट आएगी और कुपोषण की दर बढ़ जाएगी.

पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चे सबसे अधिक प्रभावित होंगे, जिसके कारण युवा आबादी बर्बाद हो जाएगी. रिपोर्ट में कहा गया कि यह जीवन में कुपोषण का सबसे भयानक रूप है. जो बच्चों को बहुत पतला और कमजोर बनाता है, जिससे उन्हें अधिक जोखिम है.

विशेषज्ञों के अनुसार कोविड-19 से पहले भी लगभग 47 मिलियन बच्चे गंभीर रूप से कमजोर हो गए थे. जिसमें अधिकांश उप सहारा अफ्रीका और दक्षिण पूर्व एशिया में रहते थे. अब लॉकडाउन और अंतरराष्ट्रीय व्यापार मार्गों ने महत्वपूर्ण सहायता आपूर्ति को बाधित कर दिया है. जिसके कारण संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि कोरोना वायरस महामारी लाखों लोगों के स्वास्थ्य पर 'परस्पर प्रभाव' डाल सकती है.

इस साल बच्चों के बीच प्रलयकारक होने वाले प्रतिशत को बढ़ाते हुए जांच में कहा कि कोविड-19 के सामाजिक-आर्थिक प्रभावों के कारण इस साल पांच साल से कम आयु के बच्चों के बीच प्रलयकारक की व्यापकता निम्न और मध्यम आय वाले देशों में 14.3 प्रतिशत बढ़ सकती है.

पढ़ें - कोरोना से विश्व में बढ़ सकती है कुपोषण की समस्या : यूनिसेफ रिपोर्ट

विश्लेषण में नेताओं ने कहा कि एजेंसियों ने अनुमान लगाया है कि इन बच्चों की सुरक्षा के लिए न्यूनतम 2.4 अरब डॉलर की तत्काल आवश्यकता है.

उन्होंने यह भी कहा कि कोविड-19 महामारी से बाल कुपोषण के अन्य रूपों में वृद्धि होने की संभावना है. जिसमें स्टंटिंग, माइक्रोन्यूट्रिएंट की कमी और अधिक वजन शामिल है.

संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि वैश्विक समुदाय की अब तक कि विफलता, बच्चों, मानव पूंजी और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं के लिए दीर्घकालिक परिणाम विनाशकारी होंगे.

वाशिंगटन : केंद्रीय राष्ट्रों ने प्रकाशित एक विश्लेषण में कहा कि कोरोना वायरस महामारी के कारण अभूतपूर्व आर्थिक और स्वास्थ्य संकट के कारण दुनिया भर में लगभग सात मिलियन बच्चे गंभीर कुपोषण से पीड़ित हो सकते हैं. विश्लेषण के अनुसार इन बच्चों में से 80% उप सहारा अफ्रिका और दक्षिण पूर्व एशिया से होंगे.

दी लांसेट जर्नल में प्रकाशित विश्लेषण में चार संयुक्त राष्ट्र निकाय के प्रमुख डब्ल्यूएचओ, विश्व खाद्य कार्यक्रम, यूनिसेफ और एफएओ के अनुसार कोविड-19 महामारी दुनिया में विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में पोषण को कम कर रही है, जिसका असर छोटे बच्चों पर पड़ रहा है. उनके आहार की बिगड़ती गुणवत्ता, पोषण सेवाओं की रुकावट और महामारी से उत्पन्न होने वाली परेशानियों के कारण सबसे अधिक बच्चे और महिलाएं कुपोषित हो रही हैं.

खाद्य आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान से बच्चों के आहार की गुणवत्ता में कमी आई है. उन्होंने कहा कि घरेलू गरीबी और खाद्य असुरक्षा की दर में वृद्धि हुई है. आवश्यक पोषण सेवाओं और आपूर्ति श्रृंखला बाधित हो गई है. खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ गई हैं. जिसके परिणामस्वरूप बच्चों के आहार की गुणवत्ता में गिरावट आएगी और कुपोषण की दर बढ़ जाएगी.

पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चे सबसे अधिक प्रभावित होंगे, जिसके कारण युवा आबादी बर्बाद हो जाएगी. रिपोर्ट में कहा गया कि यह जीवन में कुपोषण का सबसे भयानक रूप है. जो बच्चों को बहुत पतला और कमजोर बनाता है, जिससे उन्हें अधिक जोखिम है.

विशेषज्ञों के अनुसार कोविड-19 से पहले भी लगभग 47 मिलियन बच्चे गंभीर रूप से कमजोर हो गए थे. जिसमें अधिकांश उप सहारा अफ्रीका और दक्षिण पूर्व एशिया में रहते थे. अब लॉकडाउन और अंतरराष्ट्रीय व्यापार मार्गों ने महत्वपूर्ण सहायता आपूर्ति को बाधित कर दिया है. जिसके कारण संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि कोरोना वायरस महामारी लाखों लोगों के स्वास्थ्य पर 'परस्पर प्रभाव' डाल सकती है.

इस साल बच्चों के बीच प्रलयकारक होने वाले प्रतिशत को बढ़ाते हुए जांच में कहा कि कोविड-19 के सामाजिक-आर्थिक प्रभावों के कारण इस साल पांच साल से कम आयु के बच्चों के बीच प्रलयकारक की व्यापकता निम्न और मध्यम आय वाले देशों में 14.3 प्रतिशत बढ़ सकती है.

पढ़ें - कोरोना से विश्व में बढ़ सकती है कुपोषण की समस्या : यूनिसेफ रिपोर्ट

विश्लेषण में नेताओं ने कहा कि एजेंसियों ने अनुमान लगाया है कि इन बच्चों की सुरक्षा के लिए न्यूनतम 2.4 अरब डॉलर की तत्काल आवश्यकता है.

उन्होंने यह भी कहा कि कोविड-19 महामारी से बाल कुपोषण के अन्य रूपों में वृद्धि होने की संभावना है. जिसमें स्टंटिंग, माइक्रोन्यूट्रिएंट की कमी और अधिक वजन शामिल है.

संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि वैश्विक समुदाय की अब तक कि विफलता, बच्चों, मानव पूंजी और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं के लिए दीर्घकालिक परिणाम विनाशकारी होंगे.

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