बीजिंग : चीन ने ईरान के परमाणु समझौते से दूरी बनाने और नये समझौते के लिए काम करने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आह्वान को खारिज करते हुए कहा कि यह समझौता संयुक्त राष्ट्र द्वारा बड़े परिश्रम के बाद पारित हुआ और सभी पक्षों को इसका पालन करना चाहिए.
ईरान और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्यों अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, फ्रांस और चीन तथा जर्मनी और यूरोपीय संघ के बीच 2015 में ज्वाइंट कांप्रिहेंसिव प्लान ऑफ एक्शन (जेसीपीओए) हुआ था.
राष्ट्रपति ट्रंप लगातार परमाणु करार की आलोचना करते रहे हैं. वह समझौते से पहले ही अलग हो चुके हैं और उनका कहना था कि यह अपेक्षित परिणाम प्राप्त करने वाला नहीं है.
ट्रंप ने बुधवार को कहा कि दूसरे देशों के लिए भी समय आ गया है कि ईरान के साथ हुए जेसीपीओए से अलग हो जाएं. हमें ईरान के साथ एक अन्य करार करने की दिशा में मिलकर काम करना चाहिए ताकि दुनिया और सुरक्षित एवं शांतिपूर्ण हो.
ट्रंप की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने गुरुवार को यहां मीडिया से कहा कि पश्चिम एशिया में तनाव का मूल कारण परमाणु करार से अमेरिका का अलग होना है.
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परमाणु करार से अमेरिका के हटने को ईरान ने अतार्किक करार दिया
उन्होंने कहा, 'पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ रहा है. ईरान के परमाणु मुद्दे के समक्ष गंभीर चुनौतियां हैं. अमेरिका अतरराष्ट्रीय कानून की अज्ञानता में एवं वचनबद्धताओं की अनदेखी करते हुए एकतरफा तौर पर जेसीपीओए से हट गया. वह अन्य पक्षों के क्रियान्वयन के रास्ते में भी अड़चन पैदा कर रहा है. यह तनाव की मूल वजह है.'
उन्होंने कहा, 'हम सभी पक्षों से आग्रह करते हैं कि करार से जुड़े रहें और पश्चिम एशिया में तनाव कम करें. चीन दूसरे पक्षों के साथ संपर्क में रहेगा और इस संबंध में स्थिति सामान्य करने की दिशा में काम करता रहेगा.'