ETV Bharat / international

भारत को चीन से खतरा, सैनिकों की तैनाती की समीक्षा कर रहा अमेरिका

भारत और चीन के बीच सीमा को लेकर तनाव बना हुआ है. इस बीच अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने कहा कि अमेरिका दुनियाभर में अपने सैनिकों की तैनाती की समीक्षा कर उन्हें इस तरह से तैनात कर रहा है कि वह जरुरत पड़ने पर चीन की सेना का मुकाबला कर सकें.

US shifting military says pompeo
फाइल फोटो
author img

By

Published : Jun 26, 2020, 2:23 AM IST

वाशिंगटन: अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने कहा कि भारत, मलेशिया, इंडोनेशिया, और फिलीपीन जैसे एशियाई देशों को चीन से खतरा बढ़ गया है. इसके मद्देनजर अमेरिका दुनियाभर में अपने सैनिकों की तैनाती की समीक्षा कर उन्हें इस तरह से तैनात कर रहा है कि वह जरुरत पड़ने पर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (चीन की सेना) का मुकाबला कर सकें. पोम्पिओ ने जर्मन मार्शल फंड के वर्चुअल ब्रसेल्स फोरम 2020 में एक सवाल के जवाब में यह कहा.

पोम्पिओ ने कहा कि 'हम सुनिश्चित करेंगे कि हमारी तैनाती ऐसी हो कि पीएलए का मुकाबला किया जा सके. हमें लगता है कि यह हमारे समय की यह चुनौती है और हम सुनिश्चित करेंगे कि हमारे पास उससे निपटने के लिए सभी संसाधन उचित जगह पर उपलब्ध हों.'

उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निर्देश पर सैनिकों की तैनाती की समीक्षा की जा रही है और इसी योजना के तहत अमेरिका, जर्मनी में अपने सैनिकों की संख्या करीब 52 हजार से घटा कर 25 हजार कर रहा है. पोम्पिओ ने कहा कि सैनिकों की तैनाती जमीनी स्थिति की वास्तविकता के आधार पर की जाएगी.

उन्होंने कहा कि 'कुछ जगहों पर अमेरिकी संसाधन कम रहेंगे. कुछ अन्य जगह भी होंगे...मैंने अभी चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से खतरे की बात कही है, इसलिए अब भारत को खतरा, वियतनाम को खतरा, मलेशिया, इंडोनेशिया को खतरा, दक्षिण चीन सागर की चुनौतियां हैं.'

बता दें कि अमेरिका का यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत और चीन के बीच सीमा को लेकर तनाव बना हुआ है. 15 जून को पूर्वी लद्दाख स्थित गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे.

पढ़ें-भारत-चीन सीमा विवाद : गलवान घाटी में पीछे हटे चीन के सैनिक

वाशिंगटन: अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने कहा कि भारत, मलेशिया, इंडोनेशिया, और फिलीपीन जैसे एशियाई देशों को चीन से खतरा बढ़ गया है. इसके मद्देनजर अमेरिका दुनियाभर में अपने सैनिकों की तैनाती की समीक्षा कर उन्हें इस तरह से तैनात कर रहा है कि वह जरुरत पड़ने पर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (चीन की सेना) का मुकाबला कर सकें. पोम्पिओ ने जर्मन मार्शल फंड के वर्चुअल ब्रसेल्स फोरम 2020 में एक सवाल के जवाब में यह कहा.

पोम्पिओ ने कहा कि 'हम सुनिश्चित करेंगे कि हमारी तैनाती ऐसी हो कि पीएलए का मुकाबला किया जा सके. हमें लगता है कि यह हमारे समय की यह चुनौती है और हम सुनिश्चित करेंगे कि हमारे पास उससे निपटने के लिए सभी संसाधन उचित जगह पर उपलब्ध हों.'

उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निर्देश पर सैनिकों की तैनाती की समीक्षा की जा रही है और इसी योजना के तहत अमेरिका, जर्मनी में अपने सैनिकों की संख्या करीब 52 हजार से घटा कर 25 हजार कर रहा है. पोम्पिओ ने कहा कि सैनिकों की तैनाती जमीनी स्थिति की वास्तविकता के आधार पर की जाएगी.

उन्होंने कहा कि 'कुछ जगहों पर अमेरिकी संसाधन कम रहेंगे. कुछ अन्य जगह भी होंगे...मैंने अभी चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से खतरे की बात कही है, इसलिए अब भारत को खतरा, वियतनाम को खतरा, मलेशिया, इंडोनेशिया को खतरा, दक्षिण चीन सागर की चुनौतियां हैं.'

बता दें कि अमेरिका का यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत और चीन के बीच सीमा को लेकर तनाव बना हुआ है. 15 जून को पूर्वी लद्दाख स्थित गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे.

पढ़ें-भारत-चीन सीमा विवाद : गलवान घाटी में पीछे हटे चीन के सैनिक

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.