वाशिंगटन : भारत सरकार जम्मू-कश्मीर से भारतीय संविधान के आर्टिकल 370 के प्रावधानों को हटा दिया है. अमेरिका ने इसे भारत का आंतरिक मामला करार दिया है.
गौरतलब है कि भारत की संसद ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया है. इस मुद्दे पर पाकिस्तान लगातार भारत के खिलाफ बयानबाजी कर रहा है.
अमेरिका ने इस पर कहा है कि ये भारत का आंतरिक मामला है. अमेरिकी प्रशासन ने कश्मीर मुद्दे पर किसी भी तरह की मध्यस्थता से भी इनकार किया है.
नाम न बताने की शर्त पर एक अधिकारी ने कहा 'हम समझते हैं कि ये बात (भारत का फैसला) आंतरिक मामला है. हालांकि, जाहिर है इसका भारत की सीमाओं के बाहर भी पहलू (impleations) है. दशकों पुराने तनाव को खत्म करने के लिए हमने लंबे समय से भारत-पाकिस्तान के बीच वार्ता की बात की है.'
यह देखते हुए कि पाकिस्तान के लिए, कश्मीर हमेशा एक महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है, एक भावनात्मक मुद्दा, विदेश विभाग ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण समय है कि पाकिस्तान अपने स्वयं के कारणों और अपने स्वयं के राष्ट्रीय कार्य योजना के अनुसार, यह प्रदर्शित करे.
भारत ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को स्पष्ट रूप से कहा है कि जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति को रद्द करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 370 को खत्म करना एक आंतरिक मामला था और पाकिस्तान को वास्तविकता स्वीकार करने की सलाह भी दी.
उन्होंने कहा 'हम मानते हैं कि यह (कश्मीर पर भारतीय निर्णय) एक आंतरिक मामला है. लेकिन यह स्पष्ट रूप से भारत की सीमाओं के बाहर निहितार्थ है. हमने लंबे समय से भारत और पाकिस्तान के बीच सीधी बातचीत के लिए आह्वान किया है कि इस मुद्दे से उत्पन्न तनाव के दशकों क्या हैं.'
अधिकारी भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 को भंग करने और भारत को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में पुनर्गठित करने के भारत के फैसलों पर अमेरिकी स्थिति पर एक सवाल का जवाब दे रहे थे.
राजनयिक ने कहा कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और इमरान खान द्वारा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा की गई टेलीफोन कॉल की एक श्रृंखला मध्यस्थता नहीं है, बल्कि उनके द्वारा द्विपक्षीय रूप से अपने मतभेदों को सुलझाने के लिए दोनों देशों को प्रोत्साहित करने का प्रयास है.
बता दें कि इससे पहले सोमवार को ट्रंप ने मोदी और खान के साथ बैक-टू-बैक कॉल की. इसे अमेरिका द्वारा कई मध्यस्थता प्रयासों के रूप में देखा जाता है, जिसका भारत विरोध करता है.
अधिकारी ने कहा कि यह एक ऐसा समय है जब हम दोनों पक्षों, दोनों देशों को, रचनात्मक तरीके से इस समस्या का हल खोजने के लिए प्रोत्साहित करते हैं.
उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ने दोनों पक्षों द्वारा पूछे जाने पर मध्यस्थता करने की पेशकश की है. उन्हें दोनों पक्षों द्वारा मध्यस्थता करने के लिए नहीं कहा गया है लेकिन दक्षिण एशिया में स्थिरता को प्रोत्साहित करने में मदद करने में राष्ट्रपति की दिलचस्पी नई नहीं है.
कश्मीर मुद्दे को लेकर पाकिस्तान के फैसले पर अधिकारी ने कहा कि इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के अधिकारी ने इस तरह के कदम का पक्ष नहीं लिया.
अधिकारी ने कहा, 'यह पाकिस्तान का संप्रभु निर्णय है कि वह अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का दरवाजा खटखटाना चाहता है या नहीं? हमारा विचार है कि कश्मीर में एक प्रस्ताव को बहुपक्षीय रूप से लागू नहीं किया जाता है. इसका जवाब भारत और पाकिस्तान के बीच एक बातचीत है.'
अधिकारी ने कहा, 'हमारी स्थिति यह है कि यह एक ऐसा मुद्दा है जिसे दोनों देशों के बीच सीधे उठाया जाना चाहिए.'
'हमने हमेशा आतंकवाद के समर्थन को रोकने के लिए पाकिस्तान के निर्णायक, अपरिवर्तनीय, स्थायी कदम उठाने के संदर्भ में इस पर जोर दिया है.
हम स्पष्ट रूप से मानते हैं कि दोनों देशों के बीच एक उत्पादक बातचीत और वार्ता हो सकती है.