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वैश्विक नेताओं की अपील, कोरोना वैक्सीन को लेकर न हो भेदभाव - covid 19 vaccine

यदि संयुक्त राष्ट्र संघ का गठन द्वितीय विश्व युद्ध की राख से हुआ था तो कोविड-19 महामारी से क्या नया वैश्विक संकट जन्म लेगा? इस सवाल को लेकर कई आशंकाएं जाहिर की जा रही हैं. इसी बीच संयुक्त राष्ट्र के डिजिटल सम्मेलन में कोविड-19 के टीके को लेकर वैश्विक नेताओं ने अमीर-गरीब देशों के बीच भेदभाव नहीं करने की अपील की है. पढ़ें पूरी खबर...

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कोरोना वैक्सीन
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Published : Sep 25, 2020, 7:41 AM IST

जोहानिसबर्ग (दक्षिण अफ्रीका) : संयुक्त राष्ट्र के डिजिटल सम्मेलन में इस हफ्ते विश्व के कई नेताओं ने यह उम्मीद जताई कि जल्द ही कोई न कोई टीका उपलब्ध हो जाएगा. नेताओं ने यह भी आशा की है कि टीका सभी देशों के लिए वहनीय होगा, चाहे वे गरीब देश हों या फिर अमीर देश.

इसी बीच यह भी दिलचस्प है कि अमेरिका, चीन और रूस टीके को विकिसत करने और उसे वितरित करने के लिए एक सहयोगपूर्ण कोशिश कर रहे हैं. कुछ धनी देश करोड़ों की संख्या में टीके की खुराक तैयार करने के लिए औषधि कंपनियों के साथ करार भी कर रहे हैं. ऐसे में संयुक्त राष्ट्र की अपील का कोई सार्थक परिणाम निकले, इस संभावना को लेकर लोग अनिश्चित हैं.

कोविड-19 से उबर चुके एक व्यक्ति ने कहा, 'क्या लोगों को मरने के लिए छोड़ दिया जाएगा ?'

दुनिया के 150 से अधिक देश कोवाक्स में शामिल हुए हैं, जिसमें धनी देश संभावित टीके को खरीदने और गरीब देशों की पहुंच में इसे लाने के लिए धन की मदद करने को राजी हुए हैं. लेकिन अमेरिका, चीन और रूस इसमें शामिल नहीं हैं.

इसके बजाय, तीनों देशों ने खुद के द्वारा विकसित किए जाने वाले किसी टीके को साझा करने का अस्पष्ट वादा किया है. उनके पहले अपने नागरिकों की मदद करने की संभावना है.

कोवाक्स, विश्व स्वास्थ्य संगठन की कोविड-19 टीके तक वैश्विक न्यायसंगत पहुंच के लिए कार्य करने की पहल है.

रोके जा सकने वाले रोगों से लड़ने वाले गैर लाभकारी संगठन वन कैम्पेन की प्रमुख गेल स्मिथ ने कहा कि इस हफ्ते संयुक्त राष्ट्र का सम्मेलन आगाह करने वाला हो सकता है. उन्होंने कहा, 'यह पर्याप्त नहीं है कि सिर्फ जी-20 देशों के कुछ सदस्य यह महसूस करें कि टीके का न्यायसंगत वितरण इस वायरस को खत्म करने के लिए और वैश्विक अर्थव्यवस्था को फिर से खोलने के लिये महत्वपूर्ण है.'

घाना के राष्ट्रपति एन अकुफोअद्दो ने कहा, 'वायरस ने हमें यह बताया है कि हम सभी खतरे में हैं और धनी या खास वर्ग के लिए कोई विशेष सुरक्षा नहीं है. '

कोविड मुक्त प्रशांत महासागर के द्वीप पलाउ के राष्ट्रपति टॉमी आर जूनियर ने स्वार्थीपन के खिलाफ आगाह करते हुए कहा, 'टीके की जमाखोरी हम सभी को नुकसान पहुंचाएगी. '

रवांडा के राष्ट्रपति पॉल कागमे ने कहा कि टीके तक न्यायसंगत पहुंच, उपचार और संक्रमण का पता लगाने में तेजी लाकर महामारी को हर किसी के लिए खत्म किया जाएगा.

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रवांडा के राष्ट्रपति पॉल कागमे का ट्वीट

विश्व के नेताओं के दो दिनों में करीब 200 भाषणों से यह स्पष्ट है कि लगभग हर किसी ने टीके की फौरी जरूरत का जिक्र किया.

रोग नियंत्रण एवं बचाव के लिए अफ्रीकी केंद्र के प्रमुख जॉन नकेंगसोंग ने इस महीने कहा, 'हमने ऐसी स्थिति का सामना कभी नहीं किया जब विश्व को एक ही समय पर करीब 7.8 अरब लोगों के लिए टीके की जरूरत हो.'

पढ़ें :- चीनी कंपनी का दावा, 2021 की शुरुआत में आएगी कोरोना वैक्सीन

इससे ये मुश्किल सवाल खड़े होते हैं :‘टीका पहले किसे मिलेगा? उन्हें हासिल करने के लिये कौन-कौन निजी करार कर रहे हैं? इस हफ्ते के भाषणों से यह स्पष्ट है कि इन सवालों के कुछ मतलब मौजूद हैं.

इराक ने कहा, 'टीके के लिए अनुसंधान वाणिज्यिक नहीं होना चाहिए.'

तुर्की ने कहा, 'प्रतिस्पर्धा का विषय नहीं होना चाहिए.'

कजाखस्तान ने कहा, 'हमें टीके से राजनीति को बाहर रखना चाहिए. '

स्लोवाकिया ने कहा, 'हमें करूणा के वास्तविक वैश्वकीकरण की जरूरत है.'

डोमिनिकन गणराज्य ने एक बयान में कहा, 'हम मांग करते हैं कि यह टीका धरती पर सभी मनुष्यों के लिए उपलब्ध हो. '

मोजाम्बिक ने चेतावनी दी कि महामारी के समय राष्ट्रवाद अलग-थलग होना एक नाकामी है.

फिलिपीन के राष्ट्रपति रोद्रीगो दुतेरते ने कहा कि कोविड टीका को अवश्य ही एक वैश्विक सार्वजनिक वस्तु माना जाना चाहिए.

जोहानिसबर्ग (दक्षिण अफ्रीका) : संयुक्त राष्ट्र के डिजिटल सम्मेलन में इस हफ्ते विश्व के कई नेताओं ने यह उम्मीद जताई कि जल्द ही कोई न कोई टीका उपलब्ध हो जाएगा. नेताओं ने यह भी आशा की है कि टीका सभी देशों के लिए वहनीय होगा, चाहे वे गरीब देश हों या फिर अमीर देश.

इसी बीच यह भी दिलचस्प है कि अमेरिका, चीन और रूस टीके को विकिसत करने और उसे वितरित करने के लिए एक सहयोगपूर्ण कोशिश कर रहे हैं. कुछ धनी देश करोड़ों की संख्या में टीके की खुराक तैयार करने के लिए औषधि कंपनियों के साथ करार भी कर रहे हैं. ऐसे में संयुक्त राष्ट्र की अपील का कोई सार्थक परिणाम निकले, इस संभावना को लेकर लोग अनिश्चित हैं.

कोविड-19 से उबर चुके एक व्यक्ति ने कहा, 'क्या लोगों को मरने के लिए छोड़ दिया जाएगा ?'

दुनिया के 150 से अधिक देश कोवाक्स में शामिल हुए हैं, जिसमें धनी देश संभावित टीके को खरीदने और गरीब देशों की पहुंच में इसे लाने के लिए धन की मदद करने को राजी हुए हैं. लेकिन अमेरिका, चीन और रूस इसमें शामिल नहीं हैं.

इसके बजाय, तीनों देशों ने खुद के द्वारा विकसित किए जाने वाले किसी टीके को साझा करने का अस्पष्ट वादा किया है. उनके पहले अपने नागरिकों की मदद करने की संभावना है.

कोवाक्स, विश्व स्वास्थ्य संगठन की कोविड-19 टीके तक वैश्विक न्यायसंगत पहुंच के लिए कार्य करने की पहल है.

रोके जा सकने वाले रोगों से लड़ने वाले गैर लाभकारी संगठन वन कैम्पेन की प्रमुख गेल स्मिथ ने कहा कि इस हफ्ते संयुक्त राष्ट्र का सम्मेलन आगाह करने वाला हो सकता है. उन्होंने कहा, 'यह पर्याप्त नहीं है कि सिर्फ जी-20 देशों के कुछ सदस्य यह महसूस करें कि टीके का न्यायसंगत वितरण इस वायरस को खत्म करने के लिए और वैश्विक अर्थव्यवस्था को फिर से खोलने के लिये महत्वपूर्ण है.'

घाना के राष्ट्रपति एन अकुफोअद्दो ने कहा, 'वायरस ने हमें यह बताया है कि हम सभी खतरे में हैं और धनी या खास वर्ग के लिए कोई विशेष सुरक्षा नहीं है. '

कोविड मुक्त प्रशांत महासागर के द्वीप पलाउ के राष्ट्रपति टॉमी आर जूनियर ने स्वार्थीपन के खिलाफ आगाह करते हुए कहा, 'टीके की जमाखोरी हम सभी को नुकसान पहुंचाएगी. '

रवांडा के राष्ट्रपति पॉल कागमे ने कहा कि टीके तक न्यायसंगत पहुंच, उपचार और संक्रमण का पता लगाने में तेजी लाकर महामारी को हर किसी के लिए खत्म किया जाएगा.

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रवांडा के राष्ट्रपति पॉल कागमे का ट्वीट

विश्व के नेताओं के दो दिनों में करीब 200 भाषणों से यह स्पष्ट है कि लगभग हर किसी ने टीके की फौरी जरूरत का जिक्र किया.

रोग नियंत्रण एवं बचाव के लिए अफ्रीकी केंद्र के प्रमुख जॉन नकेंगसोंग ने इस महीने कहा, 'हमने ऐसी स्थिति का सामना कभी नहीं किया जब विश्व को एक ही समय पर करीब 7.8 अरब लोगों के लिए टीके की जरूरत हो.'

पढ़ें :- चीनी कंपनी का दावा, 2021 की शुरुआत में आएगी कोरोना वैक्सीन

इससे ये मुश्किल सवाल खड़े होते हैं :‘टीका पहले किसे मिलेगा? उन्हें हासिल करने के लिये कौन-कौन निजी करार कर रहे हैं? इस हफ्ते के भाषणों से यह स्पष्ट है कि इन सवालों के कुछ मतलब मौजूद हैं.

इराक ने कहा, 'टीके के लिए अनुसंधान वाणिज्यिक नहीं होना चाहिए.'

तुर्की ने कहा, 'प्रतिस्पर्धा का विषय नहीं होना चाहिए.'

कजाखस्तान ने कहा, 'हमें टीके से राजनीति को बाहर रखना चाहिए. '

स्लोवाकिया ने कहा, 'हमें करूणा के वास्तविक वैश्वकीकरण की जरूरत है.'

डोमिनिकन गणराज्य ने एक बयान में कहा, 'हम मांग करते हैं कि यह टीका धरती पर सभी मनुष्यों के लिए उपलब्ध हो. '

मोजाम्बिक ने चेतावनी दी कि महामारी के समय राष्ट्रवाद अलग-थलग होना एक नाकामी है.

फिलिपीन के राष्ट्रपति रोद्रीगो दुतेरते ने कहा कि कोविड टीका को अवश्य ही एक वैश्विक सार्वजनिक वस्तु माना जाना चाहिए.

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