गाबोरोने : अफ्रीकी महाद्वीप के दक्षिण में स्थित बोत्सवाना में पिछले कुछ हफ्तों में 330 हाथियों की मौत हो गई है. जानकारी के अनुसार हाथियों ने जहरीले नीले-हरे शैवाल (समुद्री काई) से दूषित पानी पिया था.
वन्यजीव और राष्ट्रीय उद्यान विभाग के कार्यवाहक निदेशक सेसिल टोलो ने कहा सेरोगा क्षेत्र में हाथियों की मौत एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर से हुई थी, जो सियानोबैक्टीरियम के एक जहरीले पानी पीने के कारण हुआ था. गाबोरोन में एक संवाददाता सम्मेलन में टोलो ने कहा कि पानी के सूखने के बाद हाथियों की मौत रुक गई थी.
दुनिया में हाथियों की सबसे अधिक आबादी (1,56,000 से अधिक) बोत्सवाना में हैं, जिसे देश के उत्तर में 2013 के हवाई सर्वेक्षण में गिना गया था.
टोलो ने कहा सेरोगा क्षेत्र में हाथियों की रहस्यमयी मौतों के बाद सरकार ने घातक कारणों का निर्धारण करने के लिए व्यापक परीक्षण किए. उन्होंने कहा कि मौतें मुख्य रूप से मौसमी पानी (जल स्रोतों) से हुईं. सेरोगा क्षेत्र में हाथियों की मौत एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर से हुई थी.
मृत्यु दर और पोस्टमॉर्टम, हिस्टोपैथोलॉजिकल और प्रयोगशाला के निष्कर्षों से पता चलता है कि हाथियों की मृत्यु न्यूरोटॉक्सिक सियानोबैक्टीरियम (नीला-हरा शैवाल) के विष से हुई है, जो इस क्षेत्र में मौसमी पैन में सियानोबैक्टीरियम के जहर से जुड़ा है.
टोलो ने कहा दूषित पानी में रहने वाले साइनोबैक्टीरिया से न्यूरोटॉक्सिन के कारण जानवर के भीतर न्यूरोलॉजिक प्रभावित हो सकता है, जिससे लकवा और मृत्यु हो सकती है, जो मुख्य रूप से श्वसन विफलता से संबंधित है.
पढ़ें : छत्तीसगढ़ : मादा हाथी के मौत केस में डीएफओ को कारण बताओ नोटिस जारी, चार अधिकारी सस्पेंड
टोलो ने कहा भविष्य में होने वाली घटनाओं के लिए नियमित आधार पर मौसमी जल-पैन की एक निगरानी योजना तुरंत स्थापित की जाएगी और इसमें सायनोबैक्टीरिया द्वारा उत्पादित विषाक्त पदार्थों की निगरानी और परीक्षण के लिए क्षमता निर्माण भी शामिल होगा.