हैदराबाद : इन दिनों आम आदमी पर महंगाई की चौतरफा मार पड़ रही है. किचन से लेकर कार चलाने तक का बजट बिगड़ गया है और महंगाई की ये मार अब आपके टीवी देखने पर भी पड़ने वाली है. पेट्रोल, डीजल, प्याज, टमाटर, सीएनजी, पीएनजी, एलपीजी के बाद अब टीवी देखना भी महंगा होने वाला है.
क्यों महंगा होगा टीवी देखना ?
TRAI के नए टैरिफ ऑर्डर लागू करने की वजह से आपको टीवी देखने के लिए ज्यादा खर्च करना पड़ेगा. TRAI यानि Telecom Regulatory Authority of India, देश में ब्रॉडकास्टिंग और मोबाइल सर्विस को रेग्युलेट करने वाली संस्था. जिसने मार्च 2017 में फैसला लिया था. जिसके तहत टीवी चैनल्स की कीमतों को लेकर न्यू टैरिफ ऑर्डर (NTO) जारी किया गया था.
आपको याद होगा कि इस फैसले के बाद आप अपने मनपसंद चैनलों का पैक बनाते थे और फिर उसी पैक के मुताबिक पैसे डीचीएच सर्विस देने वाली कंपनियों को देते थे. इस साल की शुरुआत में 1 जनवरी, 2020 को TRAI ने एक बार फिर टैरिफ ऑर्डर जारी किए. जिसे NTO 2.0 कहा गया, इस नए टैरिफ ऑर्डर की वजह से ही आपका टीवी देखना महंगा हो जाएगा.
कैसे बढ़ जाएगा टीवी का बिल ?
NTO 2.0 की वजह से ही ब्रॉडकास्टिंग नेटवर्क अपने चैनलों के दाम बढ़ा रहे हैं. ब्रॉडकास्टिंग नेटवर्क यानि ज़ी, स्टार, वायकॉम 18, सोनी आदि. दरअसल TRAI का मानना था कि NTO 2.0 दर्शकों को सिर्फ उन चैनलों के चयन और भुगतान करने का विकल्प और आजादी देगा, जिन्हें वो देखना चाहते हैं. इस नए टैरिफ ऑर्डर में ये शर्त भी लगा दी गई कि बुके देखने की न्यूनतम कीमत 12 रुपये होगी. इससे पहले ब्रॉडकास्टिंग नेटवर्क के किसी बुके में ऑफर किए जाने वाले चैनल की हर महीने वैल्यू 15 से 25 रुपये के बीच थी. यानि कंपनियों को अपने बुके में चैनल की कीमत घटाकर 12 रुपये करनी पड़ेगी.
बुके क्या होता है- बुके मतलब कई चैनलों का एक पैक, ब्रॉडकास्टिंग नेटवर्क अपने चैनलों को एक साथ जोड़कर एक पैक या बुके बनाते हैं और उस बुके को सेलेक्ट करने वाले दर्शक उसमें मौजूद सभी चैनल देख सकते हैं. जैसे स्टार ने अपने सभी चैनल (स्टार प्लस, स्टार गोल्ड, स्टार जश्न आदि) का एक बुके बनाया होता है जिन्हें अलग-अलग ना खरीदकर दर्शक अगर वो बुके खरीद ले तो सभी चैनल देख सकता है. इसी तरह सोनी, वायकॉम 18 और ज़ी के बुके भी हैं.
अब नए टैरिफ ऑर्डर से होने वाले नुकसान से बचने के लिए कंपनियों ने एक रास्ता निकाला है. कंपनियों ने कुछ पॉपुलर चैनल बुके से बाहर कर दिए हैं. इससे कंपनी उन चैनल्स के दाम दर्शकों से अलग से वसूलेगी. यानि अगर वो चैनल देखना है तो सिर्फ बुके खरीदने से काम नहीं चलेगा, ऐसे में ज्यादातर केस में आपको बुके और वो चैनल दोनों खरीदना पड़ेगा और बोझ आपकी जेब पर पड़ेगा.
इसको ऐसे समझिये
मान लीजिये आपने स्टार प्लस का बुके 50 रुपये में लिया है और आप उसके सभी चैनल देख पा रहे हैं. लेकिन अगर स्टार उस बुके से आपका पसंदीदा फिल्मी चैनल निकालकर अलग कर देगा और उसे देखने के लिए एक कीमत तय कर देगा. अगर आप सिर्फ उस चैनल के लिए बुके खरीद रहे थे तो फिर तो आपके लिए ये फायदे का सौदा हो सकता है कि आपको अब सिर्फ एक उसी चैनल के पैसे देने होंगे. लेकिन अगर आप बुके के दूसरे चैनल भी देखते हैं और उस अलग किए गए चैनल पर भी आप फिल्में देखते हैं तो आपको दोनों खरीदने पड़ेंगे.
कब से पड़ेगी आपके टीवी देखने पर ये मार ?
कुल मिलाकर जो कवायद ग्राहकों यानि दर्शकों की भलाई और फायदे कि लिए की गई थी, वो उसी दर्शक की जेब काटने की वजह बन गई है. ये नई व्यवस्था आज से लागू होने वाली है. नए साल से पहले महंगाई का एक और झटका सहने के लिए तैयार रहिये.
कितना महंगा हो जाएगा टीवी देखना ?
कंपनियों की इस पूरे गुणा भाग से आपका टीवी देखना करीब 50 फीसदी तक महंगा हो सकता है यानि अगर आप 28 दिन के लिए 200 रुपये का रिचार्ज करवाते थे तो ये बिल अब 300 रुपये होने वाला है. स्टार प्लस, कलर्स, ज़ी टीवी, सोनी और कुछ लोकप्रिय रीजनल चैनल्स को देखने के लिए दर्शकों को 35 से 50 फीसदी तक ज्यादा पैसे चुकाने होंगे.
अगर कोई दर्शक स्टार और डिज्नी इंडिया के चैनल देखना जारी रखना चाहता है तो उसे 49 रुपये की जगह 69 रुपये हर महीने खर्च करने होंगे. Sony के लिए उन्हें हर 39 की जगह 71 रुपये महीना खर्च करना होगा. ZEE के लिए 39 रुपये की जगह 49 रुपये और Viacom-18 चैनलों के लिए 25 रुपये की जगह 39 रुपये प्रति माह देने होंगे.
नेटवर्क कंपनियों की दलील
TRAI ने जब इस साल की शुरुआत में नए टैरिफ ऑर्डर की घोषणा की थी तो ब्रॉडकास्टिंग नेटवर्क कंपनियों ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट से इस पर स्टे की गुहार लगाई थी, जिसपर आगामी 20 नवंबर को सुनवाई होनी है. कंपनियों के मुताबिक TRAI नए टैरिफ को लागू कराने पर अड़ी है, इसलिये ब्रॉडकास्टिंग कंपनियों द्वारा ऐसा कदम उठाना मजबूरी है.
लगातार कम हो रहे हैं टीवी देखने वाले
बीते कुछ सालों में टीवी देखने वालों की तादाद में गिरावट दर्ज की जा रही है. इसके लिए महंगाई भी एक बड़ी वजह मानी जा रही है. केबल टीवी के जमाने में टीवी देखने पर आने वाला खर्च आज कई गुना बढ़ गया है. डिजिटाइजेशन के बाद से टीवी देखना लगातार महंगा होता रहा और टीवी देखने वालों की संख्या में कमी देखी गई. दरअसल केबल टीवी के जमाने में एक तय रकम पर आप सैकड़ों चैनल देख पाते थे लेकिन डिजिटाइजेशन के बाद जितने चैनल देखना चाहते हैं उनके बदले भुगतान करना पड़ता है. जो केबल के मुकाबले महंगा बैठता है.
1 फरवरी 2019 को TRAI के नए नियम लागू होने के बाद अगले दो से तीन महीनों में ही इसका असर दिखने लगा. टॉप-5 ब्रॉडकास्टर्स की व्यूअरशिप 90 फीसदी से घटकर 78 फीसदी पर पहुंच गई. स्टार इंडिया से लेकर सोनी और वायकॉम 18 तक देशभर के नेटवर्क की व्यूअरशिप में गिरावट देखी गई. उसी दौरान टीवी व्यूअर्स की संख्या बताने वाली संस्था BARC ने जो आंकड़े जारी किए थे उनके मुताबिक हर हफ्ते टीवी देखने वालों की संख्या 27 से 29 अरब से गिरकर 15 अरब तक पहुंच गई.
मौजूदा वक्त में भी टीवी के दर्शकों की संख्या कम हुई है हालांकि कोविड-19 के दौर में भारत में टीवी के दर्शकों की संख्या में इजाफा हुआ था. एक रिपोर्ट के मुताबिक पहले के मुकाबले टीवी के दर्शकों की संख्या में 40 फीसदी का इजाफा हुआ. लॉकडाउन के दौरान लोगों के घर पर होने के अलावा टीवी पर महाभारत, रामायण जैसे 90 के दशक के सीरियल्स का प्रसारण भी इसकी वजह है.
ओटीटी का बढ़ता चलन भी है वजह
मौजूदा दौर ओटीटी का है. ओटीटी यानि ओवर द टॉप प्लेटफॉर्म पर इंटरनेट के माध्यम से वीडियो कंटेट देखा जा सकता है. अब तो कई ओटीटी प्लेटफॉर्म टीवी का कंटेट, क्रिकेट मैच, फिल्में दिखाते हैं. कई देशों का कंटेट और उसमें नयापन ओटीटी को खासकर युवाओं के मनोरंजन की पहली पसंद बना रहा है. आज नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम, जी5, जैसे कई ओटीटी प्लेफॉर्म उपलब्ध हैं. एक अनुमान के मुताबिक भारत में ओटीटी प्लेटफॉर्म के हर महीने 35 करोड़ से ज्यादा दर्शक हैं, जो रोज़ बढ़ रहे हैं.
ओटीटी प्लेटफॉर्म के लिए भी बकायदा रिचार्ज करवाना पड़ता है. लेकिन अच्छी बात ये है कि आप ओटीटी प्लेटफॉर्म पर मौजूद कंटेट मोबाइल से लेकर लैपटॉप और टीवी से कनेक्ट करके भी देख सकते हैं. टीवी देखना लगातार महंगा हो रहा है और टीवी के मुकाबले ओटीटी पर बेहतर कंटेट भी उपलब्ध है. ऐसे में टीवी के दर्शकों के कम होने की एक वजह ओटीटी प्लेटफॉर्म भी है.
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