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आरटी-पीसीआर टेस्ट फीस मामले में दिल्ली सरकार को नोटिस - Rt pcr corona test in delhi

आरटी-पीसीआर टेस्ट की कीमत आठ सौ रुपये फिक्स करने के दिल्ली सरकार के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है.

Court news
दिल्ली हाईकोर्ट
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Published : Dec 11, 2020, 4:37 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने कोरोना की आरटी-पीसीआर टेस्ट की कीमत आठ सौ रुपये फिक्स करने के दिल्ली सरकार के आदेश को चुनौती देनेवाली याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है. जस्टिस नवीन चावला की बेंच ने दिल्ली सरकार से 25 फरवरी तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.


निजी लैबोरेटरी के अधिकारों का उल्लंघन

याचिका एसोसिएशन ऑफ प्रैक्टिसिंग पैथोलॉजिस्ट ने दायर किया है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील नीरज ग्रोवर ने दिल्ली सरकार के आदेश को निरस्त करने की मांग की. याचिका में कहा गया है कि दिल्ली सरकार का ये आदेश निजी लैबोरेटरी के अधिकारों का उल्लंघन है. उन्हें रोजाना नुकसान झेलना पड़ रहा है. दिल्ली सरकार ने इस फैसले से पहले किसी से मशविरा नहीं किया.


'टेस्ट पर खर्च ज्यादा आता है'

याचिका में कहा गया है कि दिल्ली सरकार का फैसला संविधान की धारा 14, 19(1)(जी) और धारा 21 का उल्लंघन है. इस फैसले के पहले दिल्ली सरकार ने आरटी-पीसीआर टेस्ट करने पर खर्च अलग-अलग लेबोरेटरी के लिए अलग-अलग आता है. याचिका में कहा गया है कि आरटी-पीसीआर टेस्ट पर आमतौर पर 1200 रुपये का खर्च आता है. इसके अलावा ट्रूनैट का खर्च दो हजार के करीब और सीबीनैट का खर्च करीब साढ़े तीन हजार बैठता है. ऐसे में इस टेस्ट की कीमत आठ सौ रुपये तय करना गलत हैै.बता दें कि दिल्ली सरकार ने पिछले 30 नवंबर को दिल्ली सरकार ने आदेश जारी कर आरटी-पीसीआर टेस्ट की सीमा आठ सौ रुपये तय किया था.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने कोरोना की आरटी-पीसीआर टेस्ट की कीमत आठ सौ रुपये फिक्स करने के दिल्ली सरकार के आदेश को चुनौती देनेवाली याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है. जस्टिस नवीन चावला की बेंच ने दिल्ली सरकार से 25 फरवरी तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.


निजी लैबोरेटरी के अधिकारों का उल्लंघन

याचिका एसोसिएशन ऑफ प्रैक्टिसिंग पैथोलॉजिस्ट ने दायर किया है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील नीरज ग्रोवर ने दिल्ली सरकार के आदेश को निरस्त करने की मांग की. याचिका में कहा गया है कि दिल्ली सरकार का ये आदेश निजी लैबोरेटरी के अधिकारों का उल्लंघन है. उन्हें रोजाना नुकसान झेलना पड़ रहा है. दिल्ली सरकार ने इस फैसले से पहले किसी से मशविरा नहीं किया.


'टेस्ट पर खर्च ज्यादा आता है'

याचिका में कहा गया है कि दिल्ली सरकार का फैसला संविधान की धारा 14, 19(1)(जी) और धारा 21 का उल्लंघन है. इस फैसले के पहले दिल्ली सरकार ने आरटी-पीसीआर टेस्ट करने पर खर्च अलग-अलग लेबोरेटरी के लिए अलग-अलग आता है. याचिका में कहा गया है कि आरटी-पीसीआर टेस्ट पर आमतौर पर 1200 रुपये का खर्च आता है. इसके अलावा ट्रूनैट का खर्च दो हजार के करीब और सीबीनैट का खर्च करीब साढ़े तीन हजार बैठता है. ऐसे में इस टेस्ट की कीमत आठ सौ रुपये तय करना गलत हैै.बता दें कि दिल्ली सरकार ने पिछले 30 नवंबर को दिल्ली सरकार ने आदेश जारी कर आरटी-पीसीआर टेस्ट की सीमा आठ सौ रुपये तय किया था.

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