नई दिल्ली: लॉकडाउन-4 के बीच प्रवासी मजदूरों का पलायन लगातार जारी है. ऐसे में दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी (DPCC) के जरिए मजदूरों के रहने से लेकर उनके टिकट बुक कराने की व्यवस्था करने का दावा तो किया जा रहा है, लेकिन हकीकत ठीक इसके उलट है. श्रमिकों के रहने और खाने के लिए तो दिल्ली प्रदेश कांग्रेस दफ्तर में व्यवस्था की गई है, लेकिन घर भेजने के नाम पर इन्हें बस स्क्रीनिंग सेंटर तक छोड़ दिया जाता है.
आपको बता दें कि दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के पदाधिकारियों के माध्यम से श्रमिकों के रहने से लेकर खाने तक की व्यवस्था तो की जा रही है, लेकिन इन्हें घर भेजने के लिए कोई समुचित कदम नहीं उठाए जा रहे हैं. श्रमिकों को स्क्रीनिंग सेंटर तक भेजने के साथ ही कांग्रेस की जिम्मेदारी खत्म हो जाती है. हालांकि, इस संबंध में सवाल पूछने पर कांग्रेस के पदाधिकारियों का साफ कहना है किवे श्रमिकों की सूची पहले ही दिल्ली सरकार को सौंप चुके है और दिल्ली कांग्रेस इनके घर भेजने का खर्चा उठाने के लिए भी तैयार है. लेकिन दिल्ली सरकार के जरिए अभी तक हमें कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला है. जिस कारण हम इन्हें स्क्रीनिंग सेंटर तक छोड़ रहे है.
आरोप-प्रत्यारोप के बीच पिसते मजदूर
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस और दिल्ली सरकार के बीच बसों को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है. एक तरफ जहां दिल्ली प्रदेश कांग्रेस श्रमिकों को घर पहुंचाने के लिए 300 बस चलाने की मंजूरी मांग रही है तो वहीं दिल्ली सरकार की तरफ से अभी इस पर कोई जवाब नहीं आया है.