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Oppenheimer : नेहरू ने ओपेनहाइमर को ऑफर की थी भारत की नागरिकता, जानें परमाणु बम के जनक ने क्यों किया था इनकार

Oppenheimer : भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने परमाणु बम के जनक जूलियस रॉबर्ट ओपेनहाइमर को क्यों ऑफर की थी भारत की नागरिकता और ओपेननहाइमर ने क्यों इसे स्वीकार नहीं किया था ? यहां जानें

Oppenheimer
नेहरू और ओपेनहाइमर ( तस्वीर-सोशल मीडिया)
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Published : Jul 25, 2023, 12:40 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 12:51 PM IST

हैदराबाद : हॉलीवुड के शानदार डायरेक्टर क्रिस्टोफर नोलन की हालिया रिलीज फिल्म 'ओपेनहाइमर' ने दुनियाभर में हंगामा मचाया हुआ है. यह फिल्म एक अमेरिकी वैज्ञानिक रॉबर्ट जे ओपेनहाइमर पर आधारित है. ओपेनहाइमर को परमाणु बम का जनक कहा जाता है. फिल्म 'ओपेनहाइमर' का भारत में खूब शोर है और दूसरी तरफ इसे लेकर कुछ लोगों में रोष भी है. फिल्म 'ओपेनहाइमर' में एक इंटीमेट सीन के दौरान एक्टर किलियन मर्फी को भगवद गीता का एक श्लोक बोलते देखा जा रहा है. अब इस सीन का भारत में कई जगह खूब विरोध हो रहा है. इस बीच वैज्ञानिक ओपेनहाइमर और आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के बीच एक कनेक्शन सामने आया है.

इस किताब ने किया बड़ा दावा

हाल ही में रिलीज हुई एक बुक में दावा किया गया है, जवाहरलाल नेहरू ने ओपेनहाइमर को भारत की नागरिकता की पेशकश की थी. किताब 'होमी जे भाभा- एक लाइफ' के रचियता फेमस इंडियन-पारसी राइटर बख्तियार के दादाभाई हैं. यह किताब भारतीय वैज्ञानिक होमी जंहागीर भाभा के जीवन पर लिखी गई है.

JR Oppenheimer
नेहरू और ओपेनहाइमर (तस्वीर-सोशल मीडिया)

किताब के मुताबिक, ओपेनहाइमर और भाभा दोस्त थे. बुक में कहा गया है कि वर्ल्ड वार II की समाप्ति (1945) के बाद ओपेनहाइमर और भाभा की मुलाकात हुई, जिसके बाद दोनों दोस्त बने गए थे, लेकिन इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं, क्योंकि ओपेनहाइमर और भाभा दोनों ही सभ्य इंसान थे. गौरतलब है कि ओपेनहाइमर ने लैटिन और ग्रीक से साथ-साथ संस्कृत का भी अध्ययन किया था.

नेहरू ने क्यों ऑफर की थी ओपेनहाइमर को सिटीजनशिप ?

बता दें, ओपेनहाइमर के बनाए परमाणु बम के धमाकों ने जापान के दो शहरों हिरोशिमा और नागासाकी को एक पल में तहस-नहस कर दिया था, जिससे ओपेनहाइमर बहुत आहत हुए थे और फिर उन्होंने दोबारा ऐसा कुछ करने से अपने पैर पीछे खींच लिए थे. इसके बाद उस वक्त की अमेरिकी सरकार को ओपेनहाइमर पर रूस को परमाणु बम का सीक्रेट देने का शक हुआ और फिर उनके खिलाफ जांच के आदेश दिए गए और फिर उनकी सारी शक्तियां और अधिकार उनसे छीन लिए गए. इसके बाद नेहरू ने ओपेनहाइमर को भारत की नागरिकता की पेशकश की थी. किताब के मुताबिक, नेहरू ने कहा था कि ओपेनहाइमर चाहें तो भारत आ सकते हैं.

नेहरू के ऑफर पर ओपेनहाइमर का ओपन रिएक्शन क्या था?

वहीं, ओपेनहाइमर के लिए उस वक्त बहुत पेचीदा स्तिथि बन गई थी. अगर वह नेहरू के ऑफर को स्वीकार कर लेते तो उनपर देशद्रोही होने का आरोप लग जाता और अमेरिकी सरकार का उनपर शक भारत की नागरिकता अपनाने के बाद सच में बदल जाता. इसलिए सोच समझकर ओपेनहाइमर को ना चाहते हुए भी नेहरू के इस नागरिकता वाले ऑफर को मना करना पड़ा.

वहीं, किताब 'ट्रेजडी ऑफ जे रॉबर्ट ओपेनहाइमर' के लेखक काई बर्ड ने एक इंटरव्यू में बताया है कि ओपेनहाइमर एक सज्जन इंसान थे और उन्हें अपने देश (अमेरिका) से बहुत प्यार था और वह एक पक्के देशभक्त थे, जिसकी वजह से उन्होंने नेहरू के ऑफर को ठुकरा दिया था.

ये भी पढे़ं : Oppenheimer : कौन हैं ओपेनहाइमर?, दुनिया की सबसे भयानक जंग पर बनी फिल्म, इतिहास जानकर खड़े हो जाएंगे रोंगटे

हैदराबाद : हॉलीवुड के शानदार डायरेक्टर क्रिस्टोफर नोलन की हालिया रिलीज फिल्म 'ओपेनहाइमर' ने दुनियाभर में हंगामा मचाया हुआ है. यह फिल्म एक अमेरिकी वैज्ञानिक रॉबर्ट जे ओपेनहाइमर पर आधारित है. ओपेनहाइमर को परमाणु बम का जनक कहा जाता है. फिल्म 'ओपेनहाइमर' का भारत में खूब शोर है और दूसरी तरफ इसे लेकर कुछ लोगों में रोष भी है. फिल्म 'ओपेनहाइमर' में एक इंटीमेट सीन के दौरान एक्टर किलियन मर्फी को भगवद गीता का एक श्लोक बोलते देखा जा रहा है. अब इस सीन का भारत में कई जगह खूब विरोध हो रहा है. इस बीच वैज्ञानिक ओपेनहाइमर और आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के बीच एक कनेक्शन सामने आया है.

इस किताब ने किया बड़ा दावा

हाल ही में रिलीज हुई एक बुक में दावा किया गया है, जवाहरलाल नेहरू ने ओपेनहाइमर को भारत की नागरिकता की पेशकश की थी. किताब 'होमी जे भाभा- एक लाइफ' के रचियता फेमस इंडियन-पारसी राइटर बख्तियार के दादाभाई हैं. यह किताब भारतीय वैज्ञानिक होमी जंहागीर भाभा के जीवन पर लिखी गई है.

JR Oppenheimer
नेहरू और ओपेनहाइमर (तस्वीर-सोशल मीडिया)

किताब के मुताबिक, ओपेनहाइमर और भाभा दोस्त थे. बुक में कहा गया है कि वर्ल्ड वार II की समाप्ति (1945) के बाद ओपेनहाइमर और भाभा की मुलाकात हुई, जिसके बाद दोनों दोस्त बने गए थे, लेकिन इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं, क्योंकि ओपेनहाइमर और भाभा दोनों ही सभ्य इंसान थे. गौरतलब है कि ओपेनहाइमर ने लैटिन और ग्रीक से साथ-साथ संस्कृत का भी अध्ययन किया था.

नेहरू ने क्यों ऑफर की थी ओपेनहाइमर को सिटीजनशिप ?

बता दें, ओपेनहाइमर के बनाए परमाणु बम के धमाकों ने जापान के दो शहरों हिरोशिमा और नागासाकी को एक पल में तहस-नहस कर दिया था, जिससे ओपेनहाइमर बहुत आहत हुए थे और फिर उन्होंने दोबारा ऐसा कुछ करने से अपने पैर पीछे खींच लिए थे. इसके बाद उस वक्त की अमेरिकी सरकार को ओपेनहाइमर पर रूस को परमाणु बम का सीक्रेट देने का शक हुआ और फिर उनके खिलाफ जांच के आदेश दिए गए और फिर उनकी सारी शक्तियां और अधिकार उनसे छीन लिए गए. इसके बाद नेहरू ने ओपेनहाइमर को भारत की नागरिकता की पेशकश की थी. किताब के मुताबिक, नेहरू ने कहा था कि ओपेनहाइमर चाहें तो भारत आ सकते हैं.

नेहरू के ऑफर पर ओपेनहाइमर का ओपन रिएक्शन क्या था?

वहीं, ओपेनहाइमर के लिए उस वक्त बहुत पेचीदा स्तिथि बन गई थी. अगर वह नेहरू के ऑफर को स्वीकार कर लेते तो उनपर देशद्रोही होने का आरोप लग जाता और अमेरिकी सरकार का उनपर शक भारत की नागरिकता अपनाने के बाद सच में बदल जाता. इसलिए सोच समझकर ओपेनहाइमर को ना चाहते हुए भी नेहरू के इस नागरिकता वाले ऑफर को मना करना पड़ा.

वहीं, किताब 'ट्रेजडी ऑफ जे रॉबर्ट ओपेनहाइमर' के लेखक काई बर्ड ने एक इंटरव्यू में बताया है कि ओपेनहाइमर एक सज्जन इंसान थे और उन्हें अपने देश (अमेरिका) से बहुत प्यार था और वह एक पक्के देशभक्त थे, जिसकी वजह से उन्होंने नेहरू के ऑफर को ठुकरा दिया था.

ये भी पढे़ं : Oppenheimer : कौन हैं ओपेनहाइमर?, दुनिया की सबसे भयानक जंग पर बनी फिल्म, इतिहास जानकर खड़े हो जाएंगे रोंगटे
Last Updated : Jul 25, 2023, 12:51 PM IST
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