पणजी: आज हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में काम करने वाले बेहतरीन अभिनेताओं में से एक पंकज त्रिपाठी ने पैसे और शोहरत को लेकर बड़ी बात कही है.इंडस्ट्री में बिना किसी गॉडफादर के करियर के शिखर पर पहुंचे एक्टर ने भारत के 53 वें अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल (आईएफएफआई) के दौरान बातचीत में अपनी अब तक की यात्रा के बारे में खुलकर बात की. 'रन' में छोटी भूमिका निभाने से लेकर 'मिर्जापुर', 'लूडो', 'कागज' और 'क्रिमिनल जस्टिस' जैसी मुख्यधारा की परियोजनाओं को सुर्खियों में लाने वाले 47 वर्षीय पंकज त्रिपाठी वर्सटाइल एक्टर हैं.
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पंकज त्रिपाठी बिहार के एक छोटे से गांव से ताल्लुक रखते हैं. उन्होंने कहा 'मैं एक बहुत ही साधारण परिवार से हूं और मैं एक ऐसे गांव से ताल्लुक रखता हूं जहां हमें बिजली की बुनियादी सुविधा के लिए भी संघर्ष करना पड़ा लेकिन हम खुश थे. मैं अभिनय की दुनिया से बहुत दूर रह रहा था और अब मेरा पूरा जीवन अभिनय के बारे में है. मेरा सिनेमा के लिए प्रेम स्वाभाविक रूप से विकसित हुआ. मैं अपने गृहनगर में नाटक देखा करता था .. तभी मुझे वास्तव में रंगमंच में बड़ी रुचि पैदा हुई और फिर मैं दिल्ली चला गया और राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (NSD) में शामिल हो गया.
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उन्होंने आगे बताया कुछ वर्षों के बाद, मैं सपनों क् शहर मुंबई आया और तब से मैं सिनेमा के शिल्प को सीख रहा हूं और पर्दे पर अपने अभिनय के माध्यम से अपने कौशल का प्रदर्शन करने की पूरी कोशिश कर रहा हूं. यह यात्रा मेरे देखे गए किसी भी सपने से परे है. एक्टर ने कहा कि किसी को अपनी जड़ों को कभी नहीं भूलना चाहिए. यदि आप अपनी जड़ों को भूल जाते हैं तो जीवित रहना मुश्किल हो जाता है. व्यक्ति, कहानी या पौधा हो, इस दुनिया में हर चीज की जड़ें हैं. आज मैं जो कुछ भी हूं, सब अपनी जड़ों की वजह से हूं.
पंकज ने कहा कि केवल पैसे और शोहरत के लिए इस पेशे में नहीं आना चाहिए. पहले समझें कि आप यहां (फिल्म उद्योग में) क्यों आना चाहते हैं. अपने प्यार, अपनी जरूरतों को समझें, काम दिल से करोगे तभी असल में सफल होगे. उन्होंने अपनी पहली तनख्वाह को याद करते हुए कहा 'मुझे अभी भी याद है कि मेरी पहली तनख्वाह एक संक्षिप्त टीवी कार्यकाल के लिए 1700 रुपये की थी.'