नई दिल्ली : ऑस्कर पुरस्कार मिलने की प्रक्रिया इतनी आसान नहीं है. इसके लिए एक लंबी प्रक्रिया होती है और उसको पूरा करने के बाद ही यह पुरस्कार मिलते हैं. विजेता को ऑस्कर की स्वर्ण प्रतिमा के साथ साथ दुनिया भर में ख्याति मिलती है. इस दौरान किसी को कैश या नकद धनराशि नहीं दी जाती है, लेकिन ऑस्कर जीतने वाले कलाकारों की मार्केट वैल्यू जरूर बढ़ जाती है.
ऑस्कर की रेस में शामिल होने के लिए जरूरी शर्तें
- ऑस्कर पुरस्कार की ऑफिशियल वेबसाइट से मिली जानकारी के अनुसार ऐसी कोई भी मोशन फिल्म, जो अमेरिका के 6 मेट्रोपॉलिटन शहरों के सिनेमा घरों में दिखायी गयी हो.
- इन मेट्रोपॉलिटन शहरों में लॉस एंजिल्स, न्यूयॉर्क, शिकागो, इलिनोयस, मियामी, फ्लोरिडा और अटलांटा और जॉर्जिया जैसे शहर शामिल हैं.
- फिल्म को कम से कम एक जगह कमर्शियल सिनेमाघरों में जरूर दिखाया गया हो.
- वह फिल्म 40 मिनट से अधिक टाइम की होनी चाहिए.
- अगर आपकी फिल्म उस साल में 1 जनवरी से 31 दिसंबर के बीच में प्रदर्शित हो.
- फिल्म एक ही सिनेमा घर में कम से कम लगातार 7 दिनों तक जरूर प्रदर्शित रही हो.
- ऑस्कर अवार्ड पाने के लिए कई श्रेणियों में आवेदन मांगे जाते हैं.
- ऑस्कर के लिए विदेशी भाषा की सर्वश्रेष्ठ फिल्म नाम से एक कैटेगरी तय की गयी है. हर साल इन्हीं कैटेगरी में ऑस्कर एकेडमी विश्वभर में बनने वाली हर तरह की फिल्मों को आमंत्रित करती है. हमारे देश से भी हर साल ऑस्कर के लिए फिल्में जाती हैं. ऑस्कर के लिए भारत की तरफ से फिल्मों को सेलेक्ट करने और भेजने की जिम्मेदारी फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया की एक कमेटी के द्वारा की जाती है.
- पूरी फिल्म देश की किसी भी आधिकारिक भाषा में हो, लेकिन उसका सब-टाइटल्स अंग्रेजी में होना चाहिए. तभी फिल्म को ऑस्कर में नामित किया जाता है.
ऐसे होता है सेलेक्शन
- ऑस्कर की टीम अंतिम राउंड के लिए फिल्में चुनने से पहले रिमाइंडर लिस्ट जारी करती है. एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंसेज यह काम अपने फाइनल राउंड से ठीक पहले करता है.
- रिमाइंडर लिस्ट के जारी होने के बाद ऑस्कर के जूरी मेंबर्स इन फिल्मों को बारी बारी देखते हैं और वोटिंग के हिसाब से अलग-अलग कैटेगरी के लिए फिल्मों का चुनाव करते जाते हैं. इस सूची से भी कई फिल्में झट जाती हैं.
- अकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर्स ऑर्टस एंड साइंसेस के द्वारा 6000 प्रोफेशनल्स की एक लंबी चौड़ी टीम है, जिसके जरिए पूरी फिल्म का रिसर्च होता है. इस रिसर्च टीम में एक्टर्स, डायरेक्टर्स, म्यूजिशिएन्स, प्रोड्यूसर्स, राइटर्स, डिजाइनर्स, डॉक्यूमेंट्री एक्सपर्ट, एक्जीक्यूटिव मेंबर्स, सिनेमैटोग्राफर्स, फिल्म एडिटर्स, हेयर स्टाइलिस्ट्स, मेकअप आर्टिस्ट्स, साउंड व विजुअल इफेक्ट के जानकार के साथ साथ पब्लिक रिलेशन के लोग शामिल होते हैं.
- रिसर्च टीम के लोग फिल्म के नॉमिनेशन को हर मापदंड के पैमाने पर जांचने परखने के बाद उसे अगल चरण के लिए तय करते हैं.
- फिल्म के मेकर्स को ज्यादा से ज्यादा वोट हासिल करने के लिए अपने स्तर से तैयारी करनी होती है और अपनी फिल्म को रिसर्च टीम के अधिक से अधिक मेंबर्स को दिखानी होती है. तभी फिल्म की स्क्रीनिंग हो पाती है.
- ऑस्कर में स्क्रीनिंग के साथ-साथ वोटर्स को बुलाने और थियेटर में चाय, नाश्ते और कई अलग तरह के खर्चे करने होते हैं, जिससे फिल्म की अच्छी पब्लिसिटी हो सके. साथ ही ऑस्कर के वोटर्स को पसंद आ सके.
- समारोह से चंद रोज पहले मतदान कराकर फिल्मों का चुनाव किया जाता है. मतदान करने के लिए ऑनलाइन वोटिंग करायी जाती है, जिससे किसी भी तरह की गड़बड़ी न हो सके.
- फिल्म की हर श्रेणियों के लिए होने वाले वोट के दौरान जिस दावेदार को अधिक वोट मिलता है. वही विजेता बनता है.
ये हैं बंदिशें
- ऑस्कर का पुरस्कार जीतने वाले को केवल ताबे की एक ट्रॉफी मिलती है, जिस पर सोने की परत चढ़ी होती है. इसका वजन 8.5 पाउंड होता है. इस दौरान किसी भी विजेता को कोई कैश प्राइज नहीं मिलता है, लेकिन इसे जीतने के बाद मिलने वाले रिकग्नेशन के कारण इसकी कीमत अधिक होती है. ऑस्कर अवॉर्ड जीतने वाली फिल्म व कलाकार की मार्केट वैल्यू जरूर बढ़ जाया करती है.
- ऑस्कर विजेता किसी भी हालात में अपने जीती हुई ट्रॉफी को कहीं बेंच नहीं सकता है. अगर कोई बेंचना चाहता ही है तो इसे केवल 1 डॉलर में अकेडमी ही खरीदती है.
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