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12 करोड़ के गबन के मामले में दो गिरफ्तार, आरोपी पति-पत्नी हैं मास्टरमाइंड - दिल्ली पुलिस आर्थिक अपराध शाखा

दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (delhi police eow) ने 12 करोड़ की ठगी मामले में पति-पत्नी (arrested husband wife for Cheating case) को गिरफ्तार किया है. दोनों ने मॉल में शॉप देने का झांसा देकर कई लोगों से ठगी की वारदात को अंजाम दिया था.

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Published : Nov 16, 2021, 9:19 PM IST

नई दिल्लीः दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (delhi police eow) ने 'जेसी वर्ल्ड मॉल' में शॉप देने के नाम पर लोगों के 12 करोड़ रुपये गबन करने के मामले में आरोपित कंपनी 'मेसर्स जैसी वर्ल्ड हॉस्पिटैलिटी' के दो डायरेक्टर को गिरफ्तार किया है. आरोपियों की पहचान रीता दीक्षित और डॉ. विजय कांत दीक्षित के रूप में हुई है. दोनों पति-पत्नी हैं और ग्रेटर नोएडा के परी चौक के रहने वाले हैं.

एडिशनल कमिश्नर ईओडब्लू, आरके सिंह के अनुसार आरोपियों ने मॉल में शॉप बनाकर 30 महीनों में देने का वादा कर लोगों से पैसे लिए, लेकिन ना तो उन्हें शॉप बनाकर दिया और ना ही उनके पैसे वापस लौटाए. इस मामले में फरवरी 2020 में शिकायतकर्ता धीरेंद्र नाथ और अन्य ने ईओडब्ल्यू में आरोपित कंपनी और उनके डायरेक्टरों के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई. पीड़ित ने दी गयी शिकायत में बताया कि 2014 में उसने आरोपित कंपनी के नोएडा सेक्टर-128 स्थित प्रस्तावित प्रोजेक्ट 'जेसी वर्ल्ड मॉल' में दो शॉप की बुक की, जो उन्हें अगले 30 महीनों में हैंडओवर किया जाना था. इसके एवज में अलग-अलग मौकों पर उन्होंने लगभग 1 करोड़ 76 लाख रुपये का भुगतान किया.



ये भी पढ़ें- देर तक सो रही थी पत्नी तो पति ने मायके लगा दिया फोन, फिर हुआ ये...

पीड़ित ने बताया कि कंपनी ने प्रोजेक्ट पूरा नहीं किया और जब उन्हें पता चला कि पिछले 18 महीनों से, वहां कोई काम नहीं चल रहा है तो उन्होंने कंपनी के डायरेक्टर से जानकारी लेनी चाही तो उन्हें सिर्फ झूठे वादे किए गए. ना तो उन्हें शॉप दिया गया और ना ही उनके पैसे वापस किये गए, जिस पर पीड़ित ने अन्य के साथ मिलकर ठगी की शिकायत दर्ज करवाई.

शिकायत के आधार पर डीसीपी ईओडब्लू और एसीपी रमेश कुमार की निगरानी में एक टीम का गठन कर मामले कि जांच में लगाया गया. इन्वेस्टीगेशन में जुटी पुलिस को नोएडा अथॉरिटी ने बताया कि आरोपित कंपनी ने 2015 में इस प्रोजेक्ट के लिए आवेदन दिया था, लेकिन उनके आवेदन को कुछ आपत्तियों की वजह से रिटर्न कर दिया गया था. बाद में उक्त कंपनी ने उन आपत्तियों को सुधार कर दोबारा आवेदन नहीं दिया, जिस पर उनके प्रोजेक्ट को रद्द कर दिया गया था.

पुलिस को पता चला कि आरोपितों ने मिल कर 30 लोगों से 12 करोड़ की ठगी को अंजाम दिया और रकम को उन्होंने अपने अनुसार इस्तेमाल किया, जिनमें से छह करोड़ रुपये अपनी सिस्टर कंसर्न कंपनी में भी ट्रांसफर किया था.

जांच के दौरान पुलिस को दोनों आरोपियों के ही प्रोमोटर, शेयर होल्डर और डायरेक्टर होने का पता चला. इस मामले में पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया है और आगे की जांच में जुट गई है.

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नई दिल्लीः दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (delhi police eow) ने 'जेसी वर्ल्ड मॉल' में शॉप देने के नाम पर लोगों के 12 करोड़ रुपये गबन करने के मामले में आरोपित कंपनी 'मेसर्स जैसी वर्ल्ड हॉस्पिटैलिटी' के दो डायरेक्टर को गिरफ्तार किया है. आरोपियों की पहचान रीता दीक्षित और डॉ. विजय कांत दीक्षित के रूप में हुई है. दोनों पति-पत्नी हैं और ग्रेटर नोएडा के परी चौक के रहने वाले हैं.

एडिशनल कमिश्नर ईओडब्लू, आरके सिंह के अनुसार आरोपियों ने मॉल में शॉप बनाकर 30 महीनों में देने का वादा कर लोगों से पैसे लिए, लेकिन ना तो उन्हें शॉप बनाकर दिया और ना ही उनके पैसे वापस लौटाए. इस मामले में फरवरी 2020 में शिकायतकर्ता धीरेंद्र नाथ और अन्य ने ईओडब्ल्यू में आरोपित कंपनी और उनके डायरेक्टरों के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई. पीड़ित ने दी गयी शिकायत में बताया कि 2014 में उसने आरोपित कंपनी के नोएडा सेक्टर-128 स्थित प्रस्तावित प्रोजेक्ट 'जेसी वर्ल्ड मॉल' में दो शॉप की बुक की, जो उन्हें अगले 30 महीनों में हैंडओवर किया जाना था. इसके एवज में अलग-अलग मौकों पर उन्होंने लगभग 1 करोड़ 76 लाख रुपये का भुगतान किया.



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पीड़ित ने बताया कि कंपनी ने प्रोजेक्ट पूरा नहीं किया और जब उन्हें पता चला कि पिछले 18 महीनों से, वहां कोई काम नहीं चल रहा है तो उन्होंने कंपनी के डायरेक्टर से जानकारी लेनी चाही तो उन्हें सिर्फ झूठे वादे किए गए. ना तो उन्हें शॉप दिया गया और ना ही उनके पैसे वापस किये गए, जिस पर पीड़ित ने अन्य के साथ मिलकर ठगी की शिकायत दर्ज करवाई.

शिकायत के आधार पर डीसीपी ईओडब्लू और एसीपी रमेश कुमार की निगरानी में एक टीम का गठन कर मामले कि जांच में लगाया गया. इन्वेस्टीगेशन में जुटी पुलिस को नोएडा अथॉरिटी ने बताया कि आरोपित कंपनी ने 2015 में इस प्रोजेक्ट के लिए आवेदन दिया था, लेकिन उनके आवेदन को कुछ आपत्तियों की वजह से रिटर्न कर दिया गया था. बाद में उक्त कंपनी ने उन आपत्तियों को सुधार कर दोबारा आवेदन नहीं दिया, जिस पर उनके प्रोजेक्ट को रद्द कर दिया गया था.

पुलिस को पता चला कि आरोपितों ने मिल कर 30 लोगों से 12 करोड़ की ठगी को अंजाम दिया और रकम को उन्होंने अपने अनुसार इस्तेमाल किया, जिनमें से छह करोड़ रुपये अपनी सिस्टर कंसर्न कंपनी में भी ट्रांसफर किया था.

जांच के दौरान पुलिस को दोनों आरोपियों के ही प्रोमोटर, शेयर होल्डर और डायरेक्टर होने का पता चला. इस मामले में पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया है और आगे की जांच में जुट गई है.

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