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'1886 में मजदूरों के जैसे हालात थे, वैसे हालात साल 2019 में भी'

CITU अध्यक्ष गंगेश्वर दत्त शर्मा ने बताया कि मजदूरों के हक की लड़ाई में शहीद हुए मजदूरों की याद में ये दिवस पूरे विश्व मे मनाया जाता है. उन्होंने कहा कि 1886 में जो हालात थे वैसे हालात साल 2019 में भी हैं.

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Published : May 1, 2019, 3:05 PM IST

युक्त ट्रेड यूनियन मोर्चा ने निकाली रैली

नई दिल्ली /नोएडा: 1 मई को पूरी दुनिया मजदूर दिवस के रुप मे मनाती है. इसकी शुरुआत साल 1886 में हुई थी. नोएडा के सेक्टर-8 CITU (संयुक्त ट्रेड यूनियन मोर्चा) ने कार्यालय में झंडारोहण किया और रैली निकाली.

CITU पदाधिकारियों ने काम करते हुए मृतक मज़दूरों को नमन किया और 'पूंजीवाद हो बर्बाद' की नारेबाजी की. CITU के गौतमबुद्ध नगर अध्यक्ष ने अपने संबोधन में मजदूरों के हक के लड़ाई की बात कही.

'1886 में मजदूरों के जैसे हालात थे, वैसे हालात साल 2019 में भी'

CITU अध्यक्ष गंगेश्वर दत्त शर्मा ने बताया कि मजदूरों के हक की लड़ाई में शहीद हुए मजदूरों की याद में ये दिवस पूरे विश्व मे मनाया जाता है. उन्होंने कहा कि 1886 में जो हालात थे वैसे हालात साल 2019 में भी हैं.

देश को 21वीं सदी में ले जाने की बात हो रही है लेकिन मजदूरों के लिए 1886 जैसे हालात पैदा किया जा रहे हैं. सरकार की मंशा पर सवाल खड़े होते हैं क्योंकि श्रम कानून का व्यापक स्तर पर उल्लंघन हो रहा है लेकिन सरकार कुछ नहीं कर रही है.

बता दें अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस की शुरुआत 1 मई को शिकागो से हुई थी.

नई दिल्ली /नोएडा: 1 मई को पूरी दुनिया मजदूर दिवस के रुप मे मनाती है. इसकी शुरुआत साल 1886 में हुई थी. नोएडा के सेक्टर-8 CITU (संयुक्त ट्रेड यूनियन मोर्चा) ने कार्यालय में झंडारोहण किया और रैली निकाली.

CITU पदाधिकारियों ने काम करते हुए मृतक मज़दूरों को नमन किया और 'पूंजीवाद हो बर्बाद' की नारेबाजी की. CITU के गौतमबुद्ध नगर अध्यक्ष ने अपने संबोधन में मजदूरों के हक के लड़ाई की बात कही.

'1886 में मजदूरों के जैसे हालात थे, वैसे हालात साल 2019 में भी'

CITU अध्यक्ष गंगेश्वर दत्त शर्मा ने बताया कि मजदूरों के हक की लड़ाई में शहीद हुए मजदूरों की याद में ये दिवस पूरे विश्व मे मनाया जाता है. उन्होंने कहा कि 1886 में जो हालात थे वैसे हालात साल 2019 में भी हैं.

देश को 21वीं सदी में ले जाने की बात हो रही है लेकिन मजदूरों के लिए 1886 जैसे हालात पैदा किया जा रहे हैं. सरकार की मंशा पर सवाल खड़े होते हैं क्योंकि श्रम कानून का व्यापक स्तर पर उल्लंघन हो रहा है लेकिन सरकार कुछ नहीं कर रही है.

बता दें अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस की शुरुआत 1 मई को शिकागो से हुई थी.

Intro:नोएडा:

1 मई यानी मज़दूर दिवस, साल 1886 में इसकी शुरुआत हुई थी। लेकिन एक सवाल हमेशा उठता आया है कि देश आजाद हो गया लेकिन मज़दूर कब होंगे?

नोएडा के सेक्टर 8 में CITU (संयुक्त ट्रेड यूनियन मोर्चा)ने एक कार्यालय में झंडारोहण किया और रैली निकाली।



Body:CITU पदाधिकारियों ने काम करते हुए मृतक मज़दूरों को नमन किया और "पूंजीवाद हो बर्बाद" नारेबाजी की। CITU के गौतमबुद्ध नगर अध्यक्ष ने झंडारोहण किया और रैली निकलते हुए मज़दूरों के हक के लड़ाई की बात कही।

CITU अध्यक्ष गंगेश्वर दत्त शर्मा ने बताया कि मज़दूरों के हक की लड़ाई में शहीद हुए मज़दूरों की याद में ये दिवस पूरे विश्व मे मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि 1886 में जो हालात थे वैसे हालात साल 2019 में भी हैं। देश को 21वीं सदी में ले जाने की बात हो रही है लेकिन मज़दूरों के लिए 1886 जैसे हालात पैदा किया जा रहे हैं। सरकार की मंसा पर सवाल खड़े होते हैं क्योंकि श्रम कानून का व्यापक स्तर पर उल्लंघन हो रहा है लेकिन सरकार कुछ नहीं कर रही है।


Conclusion:बात दें अंतरराष्ट्रीय मज़दूर दिवस की शुरुआत 1 मई शिकागो से हुई। जिसमें मज़दूरों को 8 घंटे काम करना निर्धारित किया जाए और सप्ताह में एक छुट्टी का प्रावधान हो।
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