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Noida Twin Towers क्या कहते हैं आर्किटेक्ट, ईटीवी भारत की विशेष रिपोर्ट

नोएडा का बहुचर्चित ट्विन टावर जमींदोज हो गया. लोगों का कहना है कि दिल्ली एनसीआर में घर लेना एक आम आदमी का सपना होता है. ऐसे में बिल्डरों की मनमानी पिछले कुछ वर्षों के दौरान जिस तरह सामने आई है, आज ट्विन टावर के गिरने से बिल्डरों को बड़ा सबक मिलेगा.

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Published : Aug 28, 2022, 12:43 PM IST

Updated : Aug 28, 2022, 3:23 PM IST

नई दिल्ली/नोएडा: भ्रष्टाचार की नींव पर बनकर तैयार नोएडा का ट्विन टावर ढ़ाई बजते ही महज नौ सेकंड में जमींदोज हो गया. देश में इससे पहले इतनी ऊंची (101 मीटर) इमारत अभी तक नहीं गिराई गई थी, ऐसे में यह ध्वस्तीकरण ऐतिहासिक रहा. दिल्ली से नोएडा आने के क्रम में कुछ लोगों से भी बातचीत हुईं. उन्हें इस बात का संतोष है कि कानूनी कार्रवाई रंग लाई.

दिल्ली एनसीआर में घर लेना एक आम आदमी का सपना होता है. ऐसे में बिल्डरों की मनमानी पिछले कुछ वर्षों के दौरान जिस तरह सामने आई है, आज ट्विन टावर के गिरने से बिल्डरों को बड़ा सबक मिलेगा. प्राधिकरण में जिस तरह भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारी हैं, वह भी आगे से नियमों को ताख पर रखकर कोई निर्णय करने से पहले सौ बार सोचेंगे जरूर. आर्किटेक्ट हरीश त्रिपाठी कहते हैं कि टावर को गिराने में बड़ी सावधानी बरती जा रही है, लेकिन खतरा तब तक बरकरार है, जब तक यह ढह नहीं जाता.

सुपरटेक एमरॉल्ड कोर्ट सोसाइटी के अध्यक्ष और रिटायर्ड डीआईजी उदयभान सिंह तेवतिया बताते हैं कि सुपरटेक बिल्डर को सेक्टर 93ए में 23 दिसंबर 2004 को एमरॉल्ड कोर्ट के नाम पर भूखंड आवंटित हुआ था. जिसमें 10-10 मंजिल के 14 टावर का नक्शा पास हुआ था. लेकिन बिल्डर ने 11-11 मंजिल के 15 टावर पहले बनाए. इसके बाद योजना में तीन बार संशोधन हुआ और दो नए टावर (ट्विन टावर) की मंजूरी दे दी गई. ये दोनों टावर ग्रीन पार्क, चिल्ड्रन पार्क और दो मंजिला कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स की जमीन पर बनाए गए. हम सब फ्लैट खरीदने वाले इसके खिलाफ पहली बार मार्च 2010 में आवाज उठाई और नोएडा प्राधिकरण से नक्शा मांगा, तो हमें प्रशासन, पुलिस और शासन किसी से कोई मदद नहीं मिली. इस पर वर्ष 2012 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर की. सोसाइटी में कानूनी समिति का गठन किया गया, जिसके वे अध्यक्ष चुने गए. तेवतिया कहते हैं आज इस लड़ाई का सुखद परिणाम सामने आने वाला है. तेवतिया कहते हैं कि मुझे खुशी है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ मेरी लड़ाई की वजह से आज अवैध निर्माण का डिमोलिशन किया जा रहा है. एक समय हमने और हमारे परिवार ने उम्मीद छोड़ दी थी. बता दें कि सुपरटेक बिल्डर के ट्विन टावर (एपेक्स और सियान) आज दोपहर ढाई बजे जमींदोज हो जाएंगे. करोड़ों की लागत से बने इस टावर को गिराने के लिए लड़ी गई लड़ाई के लिए सोसाइटी के 400 फ्लैट मालिकों ने चंदा जुटाया था.

800 करोड़ के ट्विन टावर को गिराने में खर्च 20 करोड़

नोएडा के सेक्टर 93 ए स्थित सुपरटेक ट्विन टावर को गिराने में करीब 20 करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है. टावर को गिराने का यह खर्च भी बिल्डर कंपनी सुपरटेक ही वहन करेगी. इन दोनों टावरों में अभी कुल 950 फ्लैट बने हैं और इन्हें बनाने में सुपरटेक ने 200 से 300 करोड़ रुपये खर्च किया था. वर्तमान में जिस इलाके में ये टावर बने हैं, वहां प्रॉपर्टी की कीमत फिलहाल 10 हजार रुपये प्रति वर्ग फीट है. इस हिसाब से सुपरटेक के दोनों टावर की वैल्यू 1000 करोड़ रुपये के पार निकल जाती है. हालांकि कानूनी अड़चनों के कारण इन दोनों टावर की वैल्यू पर असर पड़ा और इनकी मौजूदा वैल्यू 800 करोड़ है.

नई दिल्ली/नोएडा: भ्रष्टाचार की नींव पर बनकर तैयार नोएडा का ट्विन टावर ढ़ाई बजते ही महज नौ सेकंड में जमींदोज हो गया. देश में इससे पहले इतनी ऊंची (101 मीटर) इमारत अभी तक नहीं गिराई गई थी, ऐसे में यह ध्वस्तीकरण ऐतिहासिक रहा. दिल्ली से नोएडा आने के क्रम में कुछ लोगों से भी बातचीत हुईं. उन्हें इस बात का संतोष है कि कानूनी कार्रवाई रंग लाई.

दिल्ली एनसीआर में घर लेना एक आम आदमी का सपना होता है. ऐसे में बिल्डरों की मनमानी पिछले कुछ वर्षों के दौरान जिस तरह सामने आई है, आज ट्विन टावर के गिरने से बिल्डरों को बड़ा सबक मिलेगा. प्राधिकरण में जिस तरह भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारी हैं, वह भी आगे से नियमों को ताख पर रखकर कोई निर्णय करने से पहले सौ बार सोचेंगे जरूर. आर्किटेक्ट हरीश त्रिपाठी कहते हैं कि टावर को गिराने में बड़ी सावधानी बरती जा रही है, लेकिन खतरा तब तक बरकरार है, जब तक यह ढह नहीं जाता.

सुपरटेक एमरॉल्ड कोर्ट सोसाइटी के अध्यक्ष और रिटायर्ड डीआईजी उदयभान सिंह तेवतिया बताते हैं कि सुपरटेक बिल्डर को सेक्टर 93ए में 23 दिसंबर 2004 को एमरॉल्ड कोर्ट के नाम पर भूखंड आवंटित हुआ था. जिसमें 10-10 मंजिल के 14 टावर का नक्शा पास हुआ था. लेकिन बिल्डर ने 11-11 मंजिल के 15 टावर पहले बनाए. इसके बाद योजना में तीन बार संशोधन हुआ और दो नए टावर (ट्विन टावर) की मंजूरी दे दी गई. ये दोनों टावर ग्रीन पार्क, चिल्ड्रन पार्क और दो मंजिला कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स की जमीन पर बनाए गए. हम सब फ्लैट खरीदने वाले इसके खिलाफ पहली बार मार्च 2010 में आवाज उठाई और नोएडा प्राधिकरण से नक्शा मांगा, तो हमें प्रशासन, पुलिस और शासन किसी से कोई मदद नहीं मिली. इस पर वर्ष 2012 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर की. सोसाइटी में कानूनी समिति का गठन किया गया, जिसके वे अध्यक्ष चुने गए. तेवतिया कहते हैं आज इस लड़ाई का सुखद परिणाम सामने आने वाला है. तेवतिया कहते हैं कि मुझे खुशी है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ मेरी लड़ाई की वजह से आज अवैध निर्माण का डिमोलिशन किया जा रहा है. एक समय हमने और हमारे परिवार ने उम्मीद छोड़ दी थी. बता दें कि सुपरटेक बिल्डर के ट्विन टावर (एपेक्स और सियान) आज दोपहर ढाई बजे जमींदोज हो जाएंगे. करोड़ों की लागत से बने इस टावर को गिराने के लिए लड़ी गई लड़ाई के लिए सोसाइटी के 400 फ्लैट मालिकों ने चंदा जुटाया था.

800 करोड़ के ट्विन टावर को गिराने में खर्च 20 करोड़

नोएडा के सेक्टर 93 ए स्थित सुपरटेक ट्विन टावर को गिराने में करीब 20 करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है. टावर को गिराने का यह खर्च भी बिल्डर कंपनी सुपरटेक ही वहन करेगी. इन दोनों टावरों में अभी कुल 950 फ्लैट बने हैं और इन्हें बनाने में सुपरटेक ने 200 से 300 करोड़ रुपये खर्च किया था. वर्तमान में जिस इलाके में ये टावर बने हैं, वहां प्रॉपर्टी की कीमत फिलहाल 10 हजार रुपये प्रति वर्ग फीट है. इस हिसाब से सुपरटेक के दोनों टावर की वैल्यू 1000 करोड़ रुपये के पार निकल जाती है. हालांकि कानूनी अड़चनों के कारण इन दोनों टावर की वैल्यू पर असर पड़ा और इनकी मौजूदा वैल्यू 800 करोड़ है.

Last Updated : Aug 28, 2022, 3:23 PM IST
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