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अगर जागरूक हो जाएं लोग तो अपराध पर लग सकता है अंकुश: एडिशनल डीसीपी रणविजय सिंह

नोएडा के एडिशनल डीसीपी रणविजय सिंह ने लोगों की जागरुकता को लेकर ईटीवी भारत से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि नोएडा में रहने वाले लोग अगर थोड़ा जागरूक हो जाए तो अपराध पर बहुत हद तक अंकुश लगाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि लोग बेपरवाह हो जाते हैं और फिर अपने आप को लूटा हुआ महसूस करते हैं.

Noida News, एडिशनल डीसीपी रणविजय सिंह
ईटीवी भारत की एडिशनल डीसीपी रणविजय सिंह से खास बातचीत
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Published : Jul 28, 2021, 10:53 PM IST

नई दिल्ली/नोएडा: हाइटेक सिटी और औद्योगिक नगरी कहे जाने वाले राष्ट्रीय राजधानी से सटे नोएडा में रहने वाले लोग अगर थोड़ा जागरूक हो जाए तो अपराध पर बहुत हद तक अंकुश पाया जा सकता है. यह बातें एडिशनल डीसीपी नोएडा रणविजय सिंह ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कही. एडिशनल डीसीपी नोएडा रणविजय सिंह ने कहा कि आज किसी भी वारदात के बाद हम पूरी मेहनत और ताकत के साथ उसका खुलासा करने में जुट जाते हैं. वहीं, इससे संबंधित लोगों से पूछताछ भी करते हैं और तमाम क्लू जुटाने के बाद अपराधियों तक पहुंचते हैं और घटना का खुलासा होता है. वहीं, उन अपराधों से पहले अगर लोग थोड़ी भी जागरुकता और समझदारी दिखाएं तो उस पर कुछ हद तक अंकुश पाया जा सकता है.

ईटीवी भारत की एडिशनल डीसीपी रणविजय सिंह से खास बातचीत

उन्होंने कहा कि आज के समय में हम बहुत ज्यादा डिजिटल होते जा रहे हैं. इसके चलते हम किसी भी ऐप को अगर डाउनलोड करें तो हमारा डेटा दूसरों के पास चला जाता हैं. यह करने से पहले हमें एक बार सचेत होने की जरूरत है, जिससे हमारी गोपनीयता किसी और के पास ना जा सके और हम किसी घटना का शिकार ना हो सकें.

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एडिशनल डीसीपी नोएडा रणविजय सिंह ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि ज्यादातर मामलों में देखा जाता है कि लोग जिस वारदात के संबंध में जानकारी रखते हैं, उसी के शिकार हो जाते हैं. अपनी समझ और जागरूकता का परिचय नहीं देते हैं. इसके चलते उनके साथ वारदात हो जाती है. उदाहरण के तौर पर सभी को पता है कि एनसीआर क्षेत्र में ठक-ठक गैंग सक्रिय है, फिर भी लोग इस गैंग का शिकार हो जाते हैं. गाड़ियों का शीशा तोड़कर चोरी करने वाले गैंग भी सक्रिय हैं, लेकिन लोग लापरवाही दिखाते हुए गाड़ियों में अपने सामान के डेस्क बोर्ड पर मोबाइल, गाड़ी के अंदर लैपटॉप, बैग और नगदी सहित अन्य सामान रख कर चले जाते हैं.

उन्होंने कहा कि लोग बेपरवाह हो जाते हैं और फिर अपने आप को लूटा हुआ महसूस करते हैं. साथ ही पुलिस से शिकायत करते हैं. लोग सामानों को अगर अपने साथ ले जा रहे हैं तो गाड़ी की डिग्गी या सुरक्षित स्थान पर रखकर जाए तो उनका सामान भी सुरक्षित रहेगा और घटना भी नहीं होगी.

डीसीपी रणविजय सिंह ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि सजगता और जागरूकता अपराध को रोकने का सबसे बड़ा मंत्र है. अगर हर नागरिक सजग हो जाए और जागरूक हो जाए तो अपराध को रोका जा सकता है. वहीं, 50 प्रतिशत मामले जागरूकता के चलते रोके जा सकते हैं. उन्होंने कहा कि हम लोगों की जवाबदेही है, जिसे लेकर हम समय-समय पर आम नागरिकों को जागरूक करने का भी काम करते हैं, लेकिन लोग अपनी लापरवाही के चलते मामलों के शिकार हो जाते हैं.

पढ़ें: मंगोलपुरी : ऑटो लिफ्टर गिरोह के 7 हिस्ट्रीशीटर सहित 8 गिरफ्तार

आम नागरिक का सपोर्ट अगर पुलिस को शत-प्रतिशत मिलता रहे तो अपराध और अपराधियों पर नकेल कसी जा सकती है. उन्होंने कहा कि आज टेक्नोलॉजी के बढ़ने के साथ ही हमें अलर्ट होने की जरूरत है, क्योंकि हमारी लाइफ इंटरनेट बेस हो गई है, जिसे सिक्योर करना हमारी जिम्मेदारी है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि लोगों की लापरवाही तब सामने आती है, जब बड़ी-बड़ी सोसायटीज में पार्किंग होने के बावजूद लोग अपनी गाड़ियां सोसाइटी के बाहर लगाते हैं और उसमें सामान भी छोड़ कर चले जाते हैं. इसके चलते अपराध करने वाले या तो गाड़ी चोरी करते हैं या फिर गाड़ी में रखे सामान को शीशा तोड़ कर ले जाते हैं. वहीं, वाहन स्वामी अगर अपनी जागरूकता दिखाता है और सोसाइटी के अंदर गाड़ी खड़ी करता है तो शायद ऐसी वारदातें ना होती.

नई दिल्ली/नोएडा: हाइटेक सिटी और औद्योगिक नगरी कहे जाने वाले राष्ट्रीय राजधानी से सटे नोएडा में रहने वाले लोग अगर थोड़ा जागरूक हो जाए तो अपराध पर बहुत हद तक अंकुश पाया जा सकता है. यह बातें एडिशनल डीसीपी नोएडा रणविजय सिंह ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कही. एडिशनल डीसीपी नोएडा रणविजय सिंह ने कहा कि आज किसी भी वारदात के बाद हम पूरी मेहनत और ताकत के साथ उसका खुलासा करने में जुट जाते हैं. वहीं, इससे संबंधित लोगों से पूछताछ भी करते हैं और तमाम क्लू जुटाने के बाद अपराधियों तक पहुंचते हैं और घटना का खुलासा होता है. वहीं, उन अपराधों से पहले अगर लोग थोड़ी भी जागरुकता और समझदारी दिखाएं तो उस पर कुछ हद तक अंकुश पाया जा सकता है.

ईटीवी भारत की एडिशनल डीसीपी रणविजय सिंह से खास बातचीत

उन्होंने कहा कि आज के समय में हम बहुत ज्यादा डिजिटल होते जा रहे हैं. इसके चलते हम किसी भी ऐप को अगर डाउनलोड करें तो हमारा डेटा दूसरों के पास चला जाता हैं. यह करने से पहले हमें एक बार सचेत होने की जरूरत है, जिससे हमारी गोपनीयता किसी और के पास ना जा सके और हम किसी घटना का शिकार ना हो सकें.

पढ़ें: दिल्ली क्राइम ब्रांच ने पकड़े दो झपटमार, सत्संग में जाकर चुराते थे सोने के आभूषण

एडिशनल डीसीपी नोएडा रणविजय सिंह ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि ज्यादातर मामलों में देखा जाता है कि लोग जिस वारदात के संबंध में जानकारी रखते हैं, उसी के शिकार हो जाते हैं. अपनी समझ और जागरूकता का परिचय नहीं देते हैं. इसके चलते उनके साथ वारदात हो जाती है. उदाहरण के तौर पर सभी को पता है कि एनसीआर क्षेत्र में ठक-ठक गैंग सक्रिय है, फिर भी लोग इस गैंग का शिकार हो जाते हैं. गाड़ियों का शीशा तोड़कर चोरी करने वाले गैंग भी सक्रिय हैं, लेकिन लोग लापरवाही दिखाते हुए गाड़ियों में अपने सामान के डेस्क बोर्ड पर मोबाइल, गाड़ी के अंदर लैपटॉप, बैग और नगदी सहित अन्य सामान रख कर चले जाते हैं.

उन्होंने कहा कि लोग बेपरवाह हो जाते हैं और फिर अपने आप को लूटा हुआ महसूस करते हैं. साथ ही पुलिस से शिकायत करते हैं. लोग सामानों को अगर अपने साथ ले जा रहे हैं तो गाड़ी की डिग्गी या सुरक्षित स्थान पर रखकर जाए तो उनका सामान भी सुरक्षित रहेगा और घटना भी नहीं होगी.

डीसीपी रणविजय सिंह ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि सजगता और जागरूकता अपराध को रोकने का सबसे बड़ा मंत्र है. अगर हर नागरिक सजग हो जाए और जागरूक हो जाए तो अपराध को रोका जा सकता है. वहीं, 50 प्रतिशत मामले जागरूकता के चलते रोके जा सकते हैं. उन्होंने कहा कि हम लोगों की जवाबदेही है, जिसे लेकर हम समय-समय पर आम नागरिकों को जागरूक करने का भी काम करते हैं, लेकिन लोग अपनी लापरवाही के चलते मामलों के शिकार हो जाते हैं.

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आम नागरिक का सपोर्ट अगर पुलिस को शत-प्रतिशत मिलता रहे तो अपराध और अपराधियों पर नकेल कसी जा सकती है. उन्होंने कहा कि आज टेक्नोलॉजी के बढ़ने के साथ ही हमें अलर्ट होने की जरूरत है, क्योंकि हमारी लाइफ इंटरनेट बेस हो गई है, जिसे सिक्योर करना हमारी जिम्मेदारी है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि लोगों की लापरवाही तब सामने आती है, जब बड़ी-बड़ी सोसायटीज में पार्किंग होने के बावजूद लोग अपनी गाड़ियां सोसाइटी के बाहर लगाते हैं और उसमें सामान भी छोड़ कर चले जाते हैं. इसके चलते अपराध करने वाले या तो गाड़ी चोरी करते हैं या फिर गाड़ी में रखे सामान को शीशा तोड़ कर ले जाते हैं. वहीं, वाहन स्वामी अगर अपनी जागरूकता दिखाता है और सोसाइटी के अंदर गाड़ी खड़ी करता है तो शायद ऐसी वारदातें ना होती.

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