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RTE: गरीब बच्चों को कुछ निजी स्कूल कर रहे हैं दाखिला देने में आनाकानी

जिले के निजी स्कूलों में 4033 बच्चों का शिक्षा के अधिकार (RTE) के तहत दाखिले होना है, जिसमें अभी तक 2500 दाखिले निजी स्कूलों में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी की तरफ से कराए गए हैं, लेकिन 1533 दाखिले ऐसे हैं, जो अभी हो नहीं सकते हैं.

Some private schools are not giving admission to poor children under RTI
गरीब बच्चों को दाखिला देने में आनाकानी कर रहे निजी स्कूल.
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Published : Sep 26, 2020, 10:00 PM IST

नई दिल्ली/नोएडा: गौतमबुद्ध नगर जिले में निजी स्कूलों में 4033 बच्चों का शिक्षा के अधिकार (RTE) के तहत दाखिला होना है, जिसमें अभी तक 2500 दाखिले निजी स्कूलों में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी की तरफ से कराए गए हैं, लेकिन 1533 दाखिले ऐसे हैं, जो अभी हो नहीं सकते हैं. इसी को लेकर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने मीडिया से बात करते हुए बताया की जो दाखिले फिलहाल नहीं हो पाए हैं, उन पर सभी निजी स्कूलों से बात कर उन्हें कराने का प्रयास किया जा रहा है.

गरीब बच्चों को दाखिला देने में आनाकानी कर रहे निजी स्कूल.



क्या है RTE का नियम


शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत केंद्र सरकार ने नियम बनाया था कि देश में जो परिवार गरीबी रेखा से नीचे हैं. उनके बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके. इसलिए केंद्र सरकार द्वारा 2009 में इस अधिनियम के तहत बिना किसी फीस दिए निजी स्कूलों में दाखिला गरीब परिवार के बच्चे करा सकें. वहीं जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने कहा कि अगर निजी स्कूलों में आरटीई के तहत गरीब परिवार के बच्चों का दाखिला नहीं देते हैं तो उन निजी स्कूलों की मान्यता रद्द करने पर विचार किया जा सकता है.



भेजे जाएंगे नोटिस

जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने कहा कि RTE के तहत निजी स्कूलों में दाखिला देना अनिवार्य है. 25 प्रतिशत प्राइमरी कक्षा में निजी स्कूलों में आरटीई के तहत बच्चों का दाखिला होना अनिवार्य होता है. इसके बाद भी अगर निजी स्कूल के मालिक बच्चों को दाखिला नहीं देते हैं तो पहले उनको 3 बार नोटिस जारी होता है. यदि उन नोटिसों पर भी निजी स्कूल के मालिक कार्रवाई नहीं करते हैं, बच्चों को दाखिला नहीं देते हैं, तो जिला अधिकारी उन निजी स्कूलों की मान्यता रद्द करने की कार्रवाई करेंगे.

नई दिल्ली/नोएडा: गौतमबुद्ध नगर जिले में निजी स्कूलों में 4033 बच्चों का शिक्षा के अधिकार (RTE) के तहत दाखिला होना है, जिसमें अभी तक 2500 दाखिले निजी स्कूलों में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी की तरफ से कराए गए हैं, लेकिन 1533 दाखिले ऐसे हैं, जो अभी हो नहीं सकते हैं. इसी को लेकर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने मीडिया से बात करते हुए बताया की जो दाखिले फिलहाल नहीं हो पाए हैं, उन पर सभी निजी स्कूलों से बात कर उन्हें कराने का प्रयास किया जा रहा है.

गरीब बच्चों को दाखिला देने में आनाकानी कर रहे निजी स्कूल.



क्या है RTE का नियम


शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत केंद्र सरकार ने नियम बनाया था कि देश में जो परिवार गरीबी रेखा से नीचे हैं. उनके बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके. इसलिए केंद्र सरकार द्वारा 2009 में इस अधिनियम के तहत बिना किसी फीस दिए निजी स्कूलों में दाखिला गरीब परिवार के बच्चे करा सकें. वहीं जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने कहा कि अगर निजी स्कूलों में आरटीई के तहत गरीब परिवार के बच्चों का दाखिला नहीं देते हैं तो उन निजी स्कूलों की मान्यता रद्द करने पर विचार किया जा सकता है.



भेजे जाएंगे नोटिस

जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने कहा कि RTE के तहत निजी स्कूलों में दाखिला देना अनिवार्य है. 25 प्रतिशत प्राइमरी कक्षा में निजी स्कूलों में आरटीई के तहत बच्चों का दाखिला होना अनिवार्य होता है. इसके बाद भी अगर निजी स्कूल के मालिक बच्चों को दाखिला नहीं देते हैं तो पहले उनको 3 बार नोटिस जारी होता है. यदि उन नोटिसों पर भी निजी स्कूल के मालिक कार्रवाई नहीं करते हैं, बच्चों को दाखिला नहीं देते हैं, तो जिला अधिकारी उन निजी स्कूलों की मान्यता रद्द करने की कार्रवाई करेंगे.

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