नई दिल्ली/ग्रेटर नोएडा: ग्रेटर नोएडा में स्थित शाहबेरी का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. वहां रह रहे सवा लाख लोगों के समर्थन में एक भाजपा नेता सामने आए हैं. रविवार को शाहबेरी में हुई विशाल पंचायत में निवासियों ने एक स्वर में कहा कि वे शाहबेरी में बने मकानों को किसी भी कीमत पर गिरने नहीं देंगे.
'इन बिल्डिंग के लिए प्रशासन जिम्मेदार है'
अगर ये बिल्डिंग अवैध है तो इसे बनाने वाले बिल्डरों से अधिक प्राधिकरण और प्रशासन के अधिकारी दोषी हैं, जिन्होंने इसे बनने दिया और इसकी रजिस्ट्री पर दस्तखत किए. पंचायत में शाहबेरी के निवासियों की मांग है कि शाहबेरी को नियमित किया जाए और बिल्डरों के साथ ही इस मामले में दोषी अफसरों पर भी एनएसए के तहत कार्रवाई की जाए.
इमरजेंसी क्लॉज लगाकर अधिग्रहण किया गया था
शाहबेरी की जमीन को वर्ष-2008 में तत्कालीन मायावती सरकार ने इमरजेंसी क्लॉज लगाकर अधिग्रहण किया था. बाद में गांव के किसान हाईकोर्ट चले गए. हाईकोर्ट ने शाहबेरी की जमीन का अधिग्रहण रद्द कर दिया. उसके बाद प्राधिकरण ने किसानों को उनकी जमीन वापस कर दी. तब छोटे बिल्डरों ने गांव में डेरा डाल दिया और किसानों से जमीन खरीदकर हजारों की संख्या में फ्लैट बनाकर बेच दिए. इन फ्लैटों की बाकायदा रजिस्ट्री हुई है.
बिल्डिंग के गिरने से हुई थी 9 मौत
बीते वर्ष दो बिल्डिंग के गिरने से 9 लोग मर गए थे. तब से ही शाहबेरी में बने भवन सरकार के निशाने पर है. सरकारी शह पर बने हजारों फ्लैटों को अब प्राधिकरण अवैध बताकर गिराने की तैयारी कर रहा है. इसके विरोध में शाहबेरी में रहने वाले लगभग सवा लाख लोग प्राधिकरण और प्रशासन के फैसले के खिलाफ पिछले दो हफ्ते से धरने पर बैठे हैं.
रविवार को हुई विशाल पंचायत में भाजपा नेता तेजा गुर्जर ने कहा कि निवासियों की जान की सुरक्षा के लिए प्राधिकरण अगर बिल्डिंग गिराना चाहता है तो कोई बात नहीं, लेकिन उससे पहले निवासियों के रहने की वैकल्पिक व्यवस्था कर दे. यहां के निवासियों को फ्लैट के बदले फ्लैट दिया जाए.