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नारी तू नारायणी: पहले खुद बनी स्वावलंबी, फिर महिलाओं को दिया रोजगार - मध्यप्रदेश की सरमी डोडबे

मध्यप्रदेश के छोटे से ब्लॉक बाग की सरमी डोडबे महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा दे रही हैं. नोएडा के शिल्प हाट में सरमी अपने बाग प्रिंट की साड़ी, चादर और सूट को दुनियाभर में पहचान दे रही. जानिए कैसे महिलाओं को रोजगार दें रही हैं सरमी...

Sarmi Dodbe of Madhya Pradesh is giving employment to women to stop migration
महिला दिवस: 'पलायन रोक, महिलाओं को दे रही रोजगार'
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Published : Mar 10, 2021, 6:12 AM IST

नई दिल्ली: 21वीं शताब्दी के दौर में भी पुरुष, महिलाओं को बराबर का हक देने में अपनी तौहीन समझते हैं, लेकिन समाज में कुछ महिलाएं हीन भावनाओं से उठकर प्रेरणा स्रोत बनती है. आज हम बात करेंगे ऐसी ही एक महिला की जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'वोकल फ़ॉर लोकल' के सपने को साकार कर रही हैं, वो जो महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा दे रही है, वो जो महिलाओं को पलायन करने से रोक रही है और रोजगार देने में मदद कर रही है. हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश के छोटे से ब्लॉक बाग की सरमी डोडबे की.

सरमी डोडबे महिला सशक्तिकरण की मिसाल

मध्यप्रदेश के छोटे से ब्लॉक बाग की सरमी डोडबे अपने गांव की महिलाओं को आत्मनिर्भर कर उन्हें रोजगार मुहैया करा रही है. सरमी बताती हैं कि पलायन करने वाली महिलाओं को रोकने के लिए उनको हाथ जोड़ कर रोकने के लिए तैयार हो जाती हैं. बता दें कि इन दिनों सरमी डोबडे ने नोएडा के शिल्प हाट में अपनी बाग प्रिंट की साड़ियों का स्टॉल लगाया है.

'गांव से पलायन रुके और महिलाओं को रोजगार मिल सके और जीवनयापन हो सके - सरमी डोडबे'

बाग के नाम से मशहूर बाग प्रिंट

सरमी डोबडे बताती हैं कि ब्लॉक बाग के नाम से मशहूर बाग प्रिंट की सदियों की पहचान अब देशभर में हो रही है. इन साड़ियों की ख़ासियत यह है कि ये नैचुरल कलर से बनाई जाती है और इनका स्किन पर कोई एफेक्ट नहीं होता है.

'ब्लॉक बाग के नाम से मशहूर बाग प्रिंट की साड़ियां नैचुरल कलर से बनाई जाती है- सरमी डोबडे'

बाग प्रिंट की साड़ियां, बेडशीट, महिलाओं के सूट देशभर में तारीफ बटोर रहे हैं. बाघ छपाई की प्रक्रिया बेहद पेचीदा और थका देने वाली है. बावजूद इसके अपने परिवार के पालन पोषण के लिए महिलाएं मेहनत और लगन से काम करती है.

'बाघ छपाई की प्रक्रिया बेहद पेचीदा और थका देने वाली है. सरमी डोबडे'

सरमी डोबडे बताती हैं कि इन साड़ियों को बनाने के लिए केवल प्राकृतिक सामग्री का ही प्रयोग किया जाता है. वहीं बाग प्रिंट की एक साड़ी को तैयार करने में करीब-करीब 20 दिनों का वक्त लगता है.

आत्मनिर्भर बनने का दिया संदेश

सरमी डोडबे महिलाओं को संदेश देते हुए कहा कि महिलाएं आत्मनिर्भर बने और पुरुषों को खुद से कम न समझे. पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चले और खुद रोजगार उत्पन्न करें किसी पर भी निर्भर ना हो.

नई दिल्ली: 21वीं शताब्दी के दौर में भी पुरुष, महिलाओं को बराबर का हक देने में अपनी तौहीन समझते हैं, लेकिन समाज में कुछ महिलाएं हीन भावनाओं से उठकर प्रेरणा स्रोत बनती है. आज हम बात करेंगे ऐसी ही एक महिला की जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'वोकल फ़ॉर लोकल' के सपने को साकार कर रही हैं, वो जो महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा दे रही है, वो जो महिलाओं को पलायन करने से रोक रही है और रोजगार देने में मदद कर रही है. हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश के छोटे से ब्लॉक बाग की सरमी डोडबे की.

सरमी डोडबे महिला सशक्तिकरण की मिसाल

मध्यप्रदेश के छोटे से ब्लॉक बाग की सरमी डोडबे अपने गांव की महिलाओं को आत्मनिर्भर कर उन्हें रोजगार मुहैया करा रही है. सरमी बताती हैं कि पलायन करने वाली महिलाओं को रोकने के लिए उनको हाथ जोड़ कर रोकने के लिए तैयार हो जाती हैं. बता दें कि इन दिनों सरमी डोबडे ने नोएडा के शिल्प हाट में अपनी बाग प्रिंट की साड़ियों का स्टॉल लगाया है.

'गांव से पलायन रुके और महिलाओं को रोजगार मिल सके और जीवनयापन हो सके - सरमी डोडबे'

बाग के नाम से मशहूर बाग प्रिंट

सरमी डोबडे बताती हैं कि ब्लॉक बाग के नाम से मशहूर बाग प्रिंट की सदियों की पहचान अब देशभर में हो रही है. इन साड़ियों की ख़ासियत यह है कि ये नैचुरल कलर से बनाई जाती है और इनका स्किन पर कोई एफेक्ट नहीं होता है.

'ब्लॉक बाग के नाम से मशहूर बाग प्रिंट की साड़ियां नैचुरल कलर से बनाई जाती है- सरमी डोबडे'

बाग प्रिंट की साड़ियां, बेडशीट, महिलाओं के सूट देशभर में तारीफ बटोर रहे हैं. बाघ छपाई की प्रक्रिया बेहद पेचीदा और थका देने वाली है. बावजूद इसके अपने परिवार के पालन पोषण के लिए महिलाएं मेहनत और लगन से काम करती है.

'बाघ छपाई की प्रक्रिया बेहद पेचीदा और थका देने वाली है. सरमी डोबडे'

सरमी डोबडे बताती हैं कि इन साड़ियों को बनाने के लिए केवल प्राकृतिक सामग्री का ही प्रयोग किया जाता है. वहीं बाग प्रिंट की एक साड़ी को तैयार करने में करीब-करीब 20 दिनों का वक्त लगता है.

आत्मनिर्भर बनने का दिया संदेश

सरमी डोडबे महिलाओं को संदेश देते हुए कहा कि महिलाएं आत्मनिर्भर बने और पुरुषों को खुद से कम न समझे. पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चले और खुद रोजगार उत्पन्न करें किसी पर भी निर्भर ना हो.

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